तिहरे हत्याकांड में 8 आरोपी दोषी करार, 2 बरी:पंचायत चुनाव की रंजिश को लेकर शेखपुरा में फाग के दिन कहासुनी के बाद हुआ था खूनी खेलतनाव के बाद गांव में पुलिस ने खोली थी अस्थायी चौकी, जहां अब भी पुलिस तैनात
करीब चार साल पहले गांव शेखपुरा में फाग के दिन रामकुमार, मुकेश और प्रदीप फौजी की गोलियां मारकर हत्या करने के मामले में मंगलवार को अदालत ने 8 आरोपियों को दोषी करार दिया है। वहीं, 2 आरोपी अशोक उर्फ काला और सुरेश को बरी कर दिया है। अदालत 5 मार्च को दोषियों को सजा सुनाएगी।
हांसी के साथ लगता गांव शेखपुरा फाग के दिन तिहरे हत्याकांड से दहल उठा था। पंचायत चुनाव में हुई रंजिश तीन लाेगाें की माैत का करण बनी थी। वर्ष 2017, 13 मार्च, फाग का दिन। रामकुमार के बेटे मुकेश की उनके मकान के सामने रहने वाले सुभाष के साथ बहस हुई। दोपहर ढाई बजे, रामकुमार के घर के गली के दरवाजों को कुछ लोगों ने खटखटाया। दरवाजा खुला तो बाहर खड़े लोगों ने हमला कर दिया था। अंधाधुंध गोलियां चलीं।
रामकुमार को गोली लगी थी। गोली की आवाज सुनकर आए मुकेश व प्रदीप फौजी को गोली लगी। रामकुमार के बेटे संजय, मुकेश को भी गोली लगी। जिसके बाद रामकुमार, मुकेश व प्रदीप फौजी की मौत हो गई थी। गोली लगने से 4 लोग घायल हो गए। रामकुमार के बेटे मुकेश की एक आंख में गोली लगी थी। वहीं संजय को छर्रे लगे। राजेश व महेंद्र को भी गोलियां लगी।
घटना के बाद से गांव में तनाव का माहौल पैदा हो गया था। घटना के पीछे का असली कारण वर्ष 2016 में हुई पंचायत चुनाव की रंजिश बताया जाता है। जिसमें डीएसपी भगवान दास की बेटी पूजा चुनाव लड़ी और जीती थी। उनके मुकाबले में बलबीर प्रधान थे। चुनाव के बाद से रंजिश बढ़ती गई। तब से यहां दो गुट बन गए थे।
एक बलबीर प्रधान गुट। बलबीर प्रधान के परिवार के पास तीन बार सरपंची रही। दूसरा गुट डीएसपी भगवान दास समर्थकों के रूप में था। डीएसपी भगवान दास शेखपुरा के ही रहने वाले हैं। उनकी पोस्टिंग तब हिसार जिले में ही थी। हांसी में भी वह डीएसपी रहे। कभी डेरा बाबा के महंत पर आरोप लगाने को लेकर भी विवाद हुआ। लेकिन विवाद ऐसा खूनी रंग लेगा, यह किसी को पता नहीं था। हत्याकांड के बाद तनाव और बढ़ गया। कभी गवाहों पर हमला हुआ, कभी जांच कर रही एसआईटी पर भी सवाल उठे। पीड़ित परिवार के लोगों द्वारा पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए थे।
पुलिस ने 23 पर दर्ज किया था मामला, डीएसपी ने किया था सुसाइड
मृतकों के परिजनों ने हमले में डीएसपी भगवान दास, सुभाष गुर्जर सहित 23 लोग के शामिल होने की बात कही थी। संजय कसाना की शिकायत पर पुलिस ने डीएसपी भगवान दास व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था। मामले के बाद डीएसपी भगवान दास का तबादला तब पंचकूला में कर दिया गया था। जहां डीएसपी भगवान दास ने अपने क्वार्टर में सुसाइड नोट लिखकर अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मार ली थी।
डीएसपी को अस्पताल में दाखिल करवाया गया। पंद्रह दिन बाद उपचार को दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था। पंचकूला पुलिस ने डीएसपी भगवान दास के सुसाइड नोट के आधार पर बलबीर प्रधान गुट के करीब 15 लोगों पर मामला दर्ज किया। इस हत्याकांड के बाद गांव में कई दिनों तक अर्धसैनिक बल व पुलिस के जवान तैनात रहे। तनाव को देखते पुलिस ने शेखपुरा में अस्थायी पुलिस चौकी खोली थी। जो अभी तक बरकरार है। वहीं संजय का कहना है कि हमें कानून पर पूरा भरोसा है।