शाहाबाद में किसान दलित महापंचायत:चढ़ूनी बोले-महापंचायतें किसान आंदोलन की बड़ी रणनीति, देशभर में होंगी ऐसी महापंचायतदलितों को आंदोलन से जोड़ने के प्रयास, राजनीतिक दलों के नेताओं को नहीं करने दिया पंचायत में मंच साझा
चार माह से चल रहे किसान आंदोलन के साथ अब किसानों के साथ दूसरे वर्गों को भी लाने प्रयास में भाकियू जुट गई है। इसी कड़ी में शनिवार को शाहाबाद में किसान दलित महापंचायत बुलाई। इसमें दलितों को आंदोलन के साथ जोड़ने की अपील वक्ताओं ने की। शहीद उधम सिंह स्मारक स्थल पर हुई इस महापंचायत में भाकियू की तरफ से प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी व दलित नेता डॉ. उदितराज मुख्य वक्ता रहे।
मई में दिल्ली कूच : भाकियू प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि प्रदेश में दलित व किसान महापंचायतें किसान आंदोलन की बड़ी रणनीति का हिस्सा हैं। अब यह लड़ाई सभी जातियों, धर्मों, कर्मचारियों, मजदूरों, आढ़तियों को साथ लेकर लड़ी जाएगी। पहले की तरह मई में दिल्ली कूच की तैयारी चल रही है। इस बार यह मिशन पहले से भी प्रभावी ढंग से पूरा होगा।
अगर इस बार दिल्ली कूच को लेकर सड़क पर बाधाएं आई तो पहले अनुभव के आधार पर इसे पूरी तैयारी से निपटेंगे। सभी को आज समाज व देश को बचाने के लिए सभी एकजुट हो चुके हैं। गुरनाम सिंह ने कहा कि दलित समाज के साथ हर वर्ग के लोगों को किसानों के साथ मिलकर इस तरह की महापंचायतें करनी चाहिए ताकि देश व समाज को शोषण से बचाने की लड़ाई लड़ी जा सके।
अंबानी व अडानी का विरोध
उन्होंने कहा कि सभी अडानी, अम्बानी व रामदेव के उत्पादकों विरोध करें। यदि पूंजीपतियों के हाथ में अनाज चला गया तो देश भूखो मर जाएगा। देश में अडानी और अंबानी की एस्टेट बन कर रह जाएंगी। इसलिए सभी मिलकर इस धर्मयुद्ध में अपना सहयोग करें। इस आंदोलन को फेल करने के लिए सरकार तानाशाही रवैया अपनाए हैं।
मृतक किसानों को सहायता राशि देने वालों के यहां भी इस सरकार ने छापे लगवाए। सरकार की छापा नीति से परेशान होकर ही किसानों ने नेताओं के कार्यक्रमों में छापा मारने का फैसला लिया। सरकार द्वारा प्रदर्शनकारियों से नुकसान वसूलने की बात की जा रही है। किसान पिछले साढ़े 3 माह से टोल टैक्सों को बंद करके बैठे हैं और सरकार साढे चार सौ करोड़ का नुकसान बता रही है।
किसान आंदोलन है आशा की किरण : डॉ. उदित
अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदितराज ने कहा कि संविधान बचाने व निजीकरण के खिलाफ किसान आंदोलन एक आशा की किरण है। इसलिए दलित समाज पूरी एकजुटता के साथ किसान आंदोलन को समर्थन करेगा। उन्होंने कहा कि पिछले सात साल में विपक्षी दल केंद्र सरकार की तानाशाही को रोक नहीं पाए। देश का संविधान खतरे में है।
ऐसे में संविधान व देश बचाने में दलित समाज अकेले नहीं लड़ सकता। इसलिए सभी को एकजुट होकर किसान आंदोलन के माध्यम से यह लड़ाई लड़नी होगी। सिख धर्म की लंगर सेवा महान है। इसी लंगर सेवा की बदौलत किसान आंदोलन मजबूत हुआ।
मंच नहीं किया साझा : इस कार्यक्रम में कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के नेता भी मंच पर पहुंचना चाह रहे थे, लेकिन किसान नेताओं ने उन्हें हाथ जोड़कर मना कर दिया। कहा कि यह गैर राजनीतिक मंच है। कांग्रेस नेत्री सुनीता नहरा ने कहा कि बेशक मंच साझा नहीं किया, लेकिन वे लोग दिल से इस आंदोलन के साथ हैं। इससे पहले कार्यक्रम में पहुंचने पर एडवोकेट वीरेन्द्र बिंदा, प्रेम हिंगाखेड़ी और एडवोकेट जयभगवान चिब्बा ने भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी व डॉ. उदित राज का स्वागत पटके पहनाकर व स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया।
मंच का संचालन राकेश बैंस व प्रवीन कुमार ने किया। इस अवसर पर जसबीर सिंह मामूमाजरा, एडवोकेट वीरेंद्र बिंदा, स्वर्णजीत सिंह कालड़ा, सुखविन्द्र कंबोज, पंकज हबाना, हरकेश खानपुर, पवन बैंस, कमल कुमार मौजूद रहे।