3 टी का रियलिटी चेक:थ्री-टी की पालना न होने से 2 माह में नए केस 3005% तक बढ़े, सक्रिय मरीज 1386% बढ़ गएपहले- टेस्टिंग के लिए कैंप लगे, कॉन्टैक्ट में आए लोगों की ट्रैकिंग होती थी, क्वारेंटाइन कर कंटेनमेंट जोन बना करते थे ट्रीटमेंट
अब- नवंबर के पीक से 50% घटी टेस्टिंग, कैंप भी नहीं लग रहे, कंटेनमेंट जोन और कॉन्टैक्ट ट्रैकिंग सिर्फ कागजों में सीमित
घर में आइसोलेशन पर जोर, सही कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग न होने से नहीं टूट रही कोरोना चेन
प्रधानमंत्री ले चुके बैठक, लिखित आदेश आने के बाद भी फॉलो नहीं हो रहे
प्रदेश में कोरोना संक्रमण पिछले पीक से अभी 10 गुना ज्यादा है। दूसरी लहर रोकने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्रियों की बैठक ले चुके हैं। केंद्र से ट्रिपल टी यानी टेस्टिंग, ट्रैकिंग और ट्रीटमेंट पर फोकस करने के लिखित निर्देश जारी किए हैं। इसके बावजूद न नए केसों की ग्रोथ अनुसार टेस्टिंग हो रही, न पॉजिटिव मिलने वालों की कॉन्टैक्ट हिस्ट्री ट्रेस हो रही, जिससे कोरोना की चेन टूटने की जगह लंबी बन रही है।
ट्रीटमेंट के नाम पर होम आइसोलेशन पर ही फोकस है। झाेपड़ियों और एक कमरे के घरों में परिजनों के साथ मरीजों को आइसोलेट कर रहे हैं। कंटेनमेंट जोन भी केवल एक घर तक सीमित रह गए हैं। उसमें भी कौन आ-जा रहा है, इसे कोई देखना वाला नहीं।
कई जगह दवाई समय पर नहीं पहुंचाई जा रही। इसके चलते फरवरी में जो नए केस प्रतिदिन 60 तक रह गए थे, वे शुक्रवार को 3005% बढ़कर 1863 हो गए, शनिवार को 1634 आए हैं। सक्रिय मरीज फरवरी के मुकाबले 1386% बढ़कर 13686 हो गए। वहीं, 13 नई मौतों के साथ कुल मौत 3197 हो गई हैं। पॉजिटिविटी रेट 4.7% हो गया है और 3.7% सक्रिय दर के साथ देश में 7 वें स्थान पर आ गए हैं।
प्रशासन की व्यवस्थाओं में पहले और अब में बड़ा बदलाव
टेस्टिंग – रोज औसतन 10 हजार टेस्ट घटे, मोबाइल टीमें भी नहीं घूम रही
पहले: बड़े इलाकाें व गांवाें की सीएचसी-पीएचसी में कैंप लगाकर सैंपलिंग होती थी। हर जिले में 10 से 15 हेल्थ माेबाइल टीम भीड़भाड़ वाले इलाकाें से रैंडम सैंपल लेती थी। नवंबर में औसतन प्रतिदिन 30 हजार तक सैंपलिंग होती थी।
अब: सिर्फ स्वास्थ्य केंद्राें पर ही सैंपलिंग हाे रही है। एंटीजन टेस्ट लगभग बंद हैं। कोई कैंप नहीं लग रहे। मोबाइल टीमें भी नहीं घूम रहीं। मार्च में प्रतिदिन औसतन 20 हजार सैंपलिंग हुई। यानी नवंबर के मुकाबले प्रतिदिन 10 हजार तक टेस्ट कम हुए।
ट्रैकिंग-
पहले: जिलों में 10 से ज्यादा क्वारेंटाइन सेंटर थे। सैंपलिंग के बाद क्वारेंटाइन करते थे। पाॅजिटिव आने पर अस्पताल में आइसोलेट। ट्रैवल हिस्ट्री के साथ कॉन्टैक्ट में आए लोगों के सैंपल लिए जाते थे। कंटेमनेंट जाेन बना सील किया जाता।
अब: क्वारेंटाइन सेंटर बंद कर दिए। 80% मरीज हाेम आइसाेलेट हैं। ट्रैकिंग सिस्टम बंद है। मरीज के घरवालाें के सैंपल भी तब लिए जाते हैं, जब उनमें काेई लक्षण दिखते हैं। जहां केस मिलता है, सिर्फ उसी घर या 2 से 5 घराें काे कंटेनमेंट जाेन बनाते हैं।
ट्रीटमेंट- न कोविड अस्पताल में इलाज, संक्रमित भी बेपरवाह घूम रहे
पहले: टीम मरीज को अस्पताल एंबुलेंस से लाकर भर्ती कराती थी। डाॅक्टर, स्टाफ नर्स व फाेर्थ क्लास के कर्मचारियाें की टीम देखरेख में हाेती थी। होम आइसोलेशन वालों की घर जाकर देखभाल करते थे। चेकअप के साथ दवाइयां उपलब्ध कराई जाती थी।
अब: ज्यादातर मरीज हाेम आइसाेलेशन का ऑप्शन चुनते हैं। कई जगह कोरोना संक्रमित सरेआम बेपरवाह घूम रहे हैं। 80% केसाें में टीम माैके पर जाकर चेक नहीं कर रही कि मरीज ठीक है या नहीं। टीमें समय पर दवाएं नहीं पहुंचा पा रहीं। पानीपत में एक्सपायर डेट वाली दवा दे दी।
ग्राउंड रिपोर्ट – कई जगह एक ही बाथरूम का उपयोग कर रहे मरीज व परिजन, मॉनिटरिंग में भी आई कमी
फतेहाबाद: संक्रमित लड़की झोपड़ी में रही, मिलते रहने से 2 और पॉजिटिव
जाखल की मास्टर कॉलोनी में रहने वाले परिवार की लड़की कोरोना संक्रमित मिली। 6 सदस्यों का परिवार एक कमरे के घर में रहता है। इसके बावजूद होम आइसोलेशन का ऑप्शन चुना। स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर गई तो लड़की को परिवार से अलग एक झोपड़ी में दिखा दिया। लेकिन लड़की का घर के बाकी सदस्यों से मिलना-जुलना जारी रहा।
नतीजा यह हुआ कि लड़की के माता-पिता भी पॉजिटिव हो गए। अब तीनों पॉजिटिव सदस्य बाकी 3 सदस्यों के साथ एक कमरे के घर में रह रहे हैं। टाॅयलेट भी एक है, सभी उसी का प्रयोग करते हैं। लड़की के पिता का कहना है कि विभाग उन्हें तो जबरन संक्रमित दिखा रहा है। विभाग की ओर से एक-दो दिन ही दवा देने के लिए कर्मचारी आए थे, उसके बाद कोई पूछने नहीं आया।
भिवानी: समय पर दवा भी नहीं
जिले में 41 में से 40 मरीज होम आइसाेलेट हैं। 50% मरीज व परिजन एक ही बाथरूम का उपयोग कर रहे हैं। संक्रमित मरीज की परिजन सुमन ने बताया कि घर पर एक ही टॉयलेट व बॉथरूम है। इसलिए परिवार का संक्रमित मरीज भी उन्हीं का उपयोग करता है और परिवार के अन्य सदस्य भी। लोहानी निवासी 9 वर्षीय छात्र के परिजनों ने बताया कि उनके पास अभी तक दवा ही नहीं पहुंची है। संक्रमित व परिवार के अन्य सदस्य एक ही बॉथरूम व टॉयलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं।
कुरुक्षेत्र: टाॅयलेट की दिक्कत
जिले में करीब 878 मरीजों में से 643 मरीज घरों में ही आइसोलेट हैं। कई मरीज ऐसे भी हैं, जिनका परिवार एक से दो कमरे के मकान में है। लाडवा के एक मरीज ने बताया कि उनके परिवार में सात सदस्य हैं और एक ही बाथरूम है। मरीज के प्रयोग करने के बाद बाथरूम को बाकी सदस्य प्रयोग करते हैं।n
पानीपत: ट्रेन से गया संक्रमित
मूलरूप से उत्तर प्रदेश का रहने वाला 32 वर्षीय व्यक्ति पाॅजिटिव मिला था। बुधवार काे वह बिना बताए नागपुर में काम करने के लिए ट्रेन में बैैठकर रवाना हाे गया। इस मामले का स्वास्थ्य विभाग काे पता भी नहीं चला। युवक ने कहा कि पानीपत में जाे सैंपल हुआ है, उन्हाेंने सिर्फ नाक में डालकर किया है। मैं 40 बार टेस्ट करा चुका हूं, उसमें नाक व गले से सैंपल लिया जाता है। मैं ताे नागपुर जा रहा हूं, चाहे काेई केस दर्ज करा दें, मैं जवाब देने के लिए बैठा हूं।
होम आइसोलेशन का ये है प्रोटोकॉल
इसके लिए अलग से कमरा और अलग टायलेट होना चाहिए। मरीज 14 दिन तक अलग रहे। परिवार के सदस्य मरीज से न मिलें। समय पर विभाग दवाई दवाई पहुंचाए। अगर अलग कमरा और टायलेट नहीं है तो अस्पताल में आइसोलेट करना होता है।