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18 शक्तिपीठ वाले तमिलनाडु से ग्राउंड रिपोर्ट:कांची कामाक्षी मंदिर में इस साल भी नवरात्र के सारे अनुष्ठान

18 शक्तिपीठ वाले तमिलनाडु से ग्राउंड रिपोर्ट:कांची कामाक्षी मंदिर में इस साल भी नवरात्र के सारे अनुष्ठान, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दर्शन भी…पूजा से जुड़े बाजारों में रौनक, 40% बिक्री हो भी चुकी है पूरे राज्य में उत्सव का माहौल, घर के बाहर गुड़िया सजेंगी, रिश्तेदारों को भी बुलाएंगे
हर साल नवरात्र में यहां आते हैं लाखों श्रद्धालु, इस साल छाेटा उत्सव होगातमिलनाडु नवरात्र उत्सव के लिए तैयार है। 51 प्रमुख शक्तिपीठों में 18 शक्तिपीठ वाले इस राज्य में जश्न 9 रात 10 दिन तक चलता है। यहां सबसे बड़ा उत्सव शक्तिपीठ कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर और कन्याकुमारी स्थित मां भगवती शक्तिपीठ में होता है।

नवरात्र की तैयारियों में लगे कामाक्षी अम्मन मंदिर मंदिर के मुख्य पुजारी गोपी अय्यर कहते हैं कि 9 दिन कांची कामाक्षी मां का अलग-अलग शृंगार होगा। हर रोज 5 बार विशेष पूजा होगी। पहले तीन दिन दुर्गा की पूजा होती है, जो लोगों के मन में वीरता और साहस को पैदा करती है। अगले तीन दिन जीवन में समृद्धि लाने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा होती है। आखिरी के तीन दिन मां सरस्वती की उपासना की जाती है, ताकि हममें सीखने की क्षमता बढ़े।

नवरात्र में हर साल लाखों लोग आते हैं

विजयादशमी के साथ उत्सव समाप्त होता है। इस दिन से लोग अपने नए प्रतिष्ठान और काम शुरू करते हैं। नवरात्र में इस शक्तिपीठ में हर साल लाखों लोग आते हैं। मंदिर समिति के सदस्य शंकर आनंद बताते हैं- ‘कोविड-19 के खतरे को ध्यान में रखते हुए इस साल उत्सव को छोटे स्तर पर मनाएंगे लेकिन सभी रस्में और अनुष्ठान पूरे होंगे। पुजारियों ने परंपरागत पंथकाल वैभव (मंदिर के चारों कोनों पर पवित्र खंबे स्थापित करने की परंपरा) स्थापित कर दिए हैं।

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ दर्शन

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोगों को दर्शन कराएं जाएंगे।’ हालांकि नवरात्र में यहां के मंदिरों में होने भरतनाट्यम डांस फेस्टिवल नहीं होंगे। दूसरी ओर, घरों में सजावट शुरू हो चुकी है। नवरात्रि की शुरुआत गणेश पूजा से होती है। घर का बड़ा सदस्य कलश स्थापना की परंपरा निभाता है। यहां ज्यादातर परिवार अपने घरों के बाहर सीढ़ियों पर गुड़ियों को रखते हैं।

यह यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है। ये सीढ़ियां 3,5,7,9 और 11 के क्रम में होती है। लकड़ी की बनी इन फोल्डिंग सीढ़ियों को ‘गोलू पड़ी’ कहा जाता है। मान्यता है कि आध्यात्मिक प्रगति के लिए गुड़ियों को सीढ़ियों पर रखा जाता है। लोग सामाजिक संदेश देते हुए पर्यावरण, अंतरिक्ष की थीम पर गुड़ियां सजाते हैं। मित्र और सगे संबंधी एक-दूसरे के घर आते हैं। घर पर ही बनी मिठाइयां और नमकीन परोसा जाता है।

चेन्नई में रहने वाली 59 साल की सुब्बालक्ष्मी कहती हैं कि ‘इस साल नवरात्र महोत्सव में कोई बदलाव नहीं है। कोरोना को लेकर हम सतर्क जरूर हैं। हमने परिचितों और रिश्तेदारों को बुलाया है। मुझे भरोसा है कि सुरक्षा के साथ मां की पूजा अच्छे से पूरी कर सकेंगे।’

बाजारों में बीते साल जैसी रौनक, लोग सुरक्षा के सारे एहतियात बरत रहे

नवरात्र ‘गुड़िया महोत्सव’ के तौर पर मनाया जाता है। यहां गुडिय़ों की नई वैरायटी के साथ दुकानें सज चुकी हैं। मदुरै में गुडिय़ों के दुकानदार 54 साल के मुरुगंधम कहते हैं, इस साल कोरोना की वजह से मैंने सीमित स्टॉक ही खरीदा। लेकिन लोगों में उत्साह है। 40% माल बिक गया है। दुकानदार से मोलभाव कर रही 45 साल की कृष्णावेनी कहती हैं, बाजार में पिछले साल जैसी ही रौनक है। बस फर्क इतना है कि इस बार लोग मास्क में दिख रहे हैं और एक-दूसरे से दूरी मेंटेन कर रहे हैं। नवरात्र बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। इसी तरह हम कोरोना पर भी विजयी पा लेंगे।

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