काला पीलिया और कोरोना दोनों आरएनए वायरस, पीजीआई में 170 कोरोना मरीजों पर होगा काला पीलिया की दवा का ट्रायल कोरोना को हराने के लिए अब एक और दवा का पीजीआई रोहतक में होगा ट्रायल, डीसीजीआई ने दी मंजूरी
काला पीलिया के 3700 मरीजाें में से किसी काे भी काेराेना नहीं हुआकोरोना काे मात देने के लिए अब हेल्थ यूनवर्सिटी में एक और दवा का ट्रायल हाेगा। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी डीसीजीआई ने हेल्थ यूनिवर्सिटी प्रशासन को कोरोना संक्रमित मरीजों पर काला पीलिया की दवाओं का असर पता करने के लिए ट्रायल करने को मंजूरी दे दी है।
पीजीआईएमएस के डायरेक्टर आफिस के अधिकारी ने बताया कि 170 मरीजों पर ट्रायल करने की अनुमति मिली है। ट्रायल कमेटी में शामिल स्टेट कोविड नोडल ऑफिसर डाॅ. ध्रुव चौधरी और पीसीसीएम विभाग के चिकित्सक डॉ. पवन, फार्माकोलॉजी विभाग के एचओडी डाॅ. एमसी गुप्ता, डॉ. सविता वर्मा 70-70-30 के समूह में कोरोना संक्रमित मरीजों पर ट्रायल करेंगे।
ट्रायल के तहत इसमें दो सप्ताह तक 70-70 कोरोना मरीजों को काला पीलिया की दवा और 30 मरीजों को रेमिडिसिविर सहित अन्य जरूरी दवाएं देंगे, जाे पहले दी जा रही थीं। वहीं, कोरोना की को-वैक्सीन का ट्रायल पीजीआई में दूसरे फेज में सितम्बर में शुरू होगा।
काला पीलिया की नेशनल कमेटी मेम्बर से जानिये क्यों और कैसे होगा ट्रायल
मार्च महीने में काेराेना संक्रमण काल शुरू हाेने पर सभी जगह काेराेना वैक्सीन की बात चल रही थी। ऐसे में एक दिन विचार अाया कि काला पालिया के मरीजाें का भी हेल्थ अपडेट लिया जाना चाहिए। इसके बाद टीम लगाकर काला पीलिया की दवा का सेवन करने वाले 3700 मरीजाें काे चेक करवाया गया तो कोई भी कोरोना की चपेट में नहीं मिला।
इसके बाद दूसरी रिसर्च में 13 हजार कोरोना संक्रमित मरीजों का डेटा खंगाला गया। इसमें पता चला कि इनमें से एक भी काला पीलिया की दवा का सेवन नहीं कर रहा था। हमें ऐसे केस भी मिले, जिनमें पूरा परिवार कोरोना संक्रमित हो गया, लेकिन काला पीलिया की दवा लेने वाला संक्रमित नहीं हुआ। इस रिसर्च से अप्रत्यक्ष तौर पर यह पता चलता कि कोरोना संक्रमण पर काबू पाने में काला पीलिया की दवा कारगर हाे सकती है।
दूसरे देशों में भी इस दवा पर काम चल रहा है। काला पीलिया की दवा का साइड इफेक्ट 10 फीसदी के करीब है। इस दवा का सेवन करने वाले मरीज में सामान्य सी उल्टी, दस्त, हल्का पेट दर्द और मांसपेशियों में जकड़न की समस्या हो सकती है। इस समस्या को आसानी से दूर किया जा सकता है। काला पीलिया और कोविड 19 दोनों ही राईबो न्यूक्लिक एसिड यानी आरएनए वायरस है। ऐसे में काला पीलिया की दवा संक्रमित व्यक्ति के शरीर पहुंचकर संक्रमण को नष्ट करने में मददगार हो सकती है।
काला पीलिया में दवा के निर्धारित 12 सप्ताह की अवधि के कोर्स को पूरा किया जाना जरूरी है। अभी तक के रिसर्च में पाया गया है कि काला पीलिया की दवा लेने वाले रोगियों पर कोरोना संक्रमण बेअसर रहा। काला पीलिया की दवा ज्यादा महंगी नहीं है। केंद्र सरकार की ओर से देश भर में सरकारी अस्पतालों में यह दवाएं नि:शुल्क दी जा रही हैं।