April 27, 2020

अचानक बैठे बैठे आज मैथिलीशरण गुप्त की सुन्दर रचना याद आई

     तप्त हृदय को , सरस स्नेह से, जो सहला दे , मित्र वही है।     रूखे मन को , सराबोर कर,  जो नहला दे , मित्र […]
April 23, 2020

कर्म

मनुष्य जैसा कर्म करता है उसका फल उसको उसी तरीके से भोगना पड़ता है कर्म मनुष्य के एकमात्र स्वभाव है| एक कहावत है कि अगर आपने […]
April 20, 2020

दोस्ती इम्तिहान नहीं विश्वास मांगती है

दोस्ती इम्तिहान नहीं विश्वास मांगती है नजर और कुछ नहीं दोस्त का दीदार मांगती है जिंदगी अपने लिए कुछ भी नहीं है पर दोस्तों के लिए […]
April 15, 2020

पापा जल्दी आना

पहले जब बच्चों के पापा ऑफिस जाते थे तो बच्चे कहते थे पापा जल्दी आना हम लोग शाम को जल्दी आपका इंतजार करेंगे, दोस्तों आज पूरी […]
Updates COVID-19 CASES