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देर शाम ओवरलोडेड डंपरों के चलने से एक हफ्ते में बढ़ा प्रदूषण नमी के कारण बन रहा

देर शाम ओवरलोडेड डंपरों के चलने से एक हफ्ते में बढ़ा प्रदूषण नमी के कारण बन रहा गैंस चैंबर भी सेहत के लिए हानिकारक पिछले सप्ताह एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 के साथ था खराब, बढ़कर 323 के साथ और खराब स्तर पर पहुंचाजिले में लगातार वायु में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है। दादरी का प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ा हुआ है कि एनजीटी ने तो यहां क्रेशर जोन में भी टीम भेजकर निरीक्षण करवाया है। मगर एक बार सख्ती होने पर पानी छिड़काव का काम चल जाता है लेकिन बाद में फिर पुराने ढररे पर कार्य शुरू हो जाता है। ऐसे में पिछले सप्ताह वायु में प्रदूषण की मात्रा एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 थी जो रविवार को बढ़कर 323 पर पहुंच गई है।

इसका मुख्य कारण यह भी है कि क्रेशर एसोसिएशन ने दो दिन माइनिंग व क्रेशर बंद किए हुए थे जो शनिवार रात को दोबारा शुरू हो गए हैं। ऐसे में दो दिन बंद रहने की पूर्ति करने के लिए लगातार क्रेशर व माइनिंग का कार्य शुरू होने से धूल वायु में मिलकर उसे प्रदूषित कर रही है। दूसरी तरफ वायु प्रदूषण बढ़ने से सांस के रोगियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। जिन मरीजों को कोरोना महामारी में और ज्यादा डर लग रहा है। अगर यहीं हालात रहे तो दशहरा और दिवाली पर प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच जाएगा।

नमी के चलते धूल के कण आसमान तक नहीं पहुंच रहे

पिछले दस दिनों से मौसम ठंडा बना हुआ है। क्योंकि अधिकतम तापमान लुढ़क कर 35 आ गया है जो सुबह शाम 30 डिग्री सेल्सियस पर आ जाता है। वहीं मौसम में नमी भी बनी हुई है। नमी के कारण उड़ने वाली धूल आसमान में ज्यादा ऊपर तक नहीं जा पा रही है और नीचे ही नमी में प्रदूषण से परत बन जाती है। जो सांस लेने में लोगों को परेशानी दे रहा है। ऐसे में मौसम में सांस लेने पर ज्यादातर बुजुर्गों व बच्चों को बीमारियां अपनी जकड़ में ले रही हैं।

रात 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक रहता है ज्यादा प्रदूषण

देर शाम को ही मौमस ठंडा होने लग जाता है। वहीं जिले में सभी क्रेशर जोन से रात के समय ही ओवरलोडेड वाहन ज्यादा निकलते हैं। जिनसे उड़ने वाली धूल हवा में मिल जाती है और रात करीब 11 बजे से ही प्रदूषण का स्तर बढ़ना शुरू हो जाता है। जिसका असर सुबह करीब 11 से 12 बजे तक रहता है। इसके बाद शाम तक प्रदूषण का स्तर कम होना शुरू हो जाता है। दिन में चालान के डर से ओवरलोडेड डंपर कम चलते हैं और देर शाम ज्यादा संख्या में चलने शुरू हो जाते हैं। यहीं कारण है कि देर शाम से लेकर सुबह 11 बजे तक प्रदूषण का स्तर 300 से ऊपर रहता है और दिन में यह स्तर 150 से 200 के बीच रहता है। लेकिन यह स्तर भी सेहत के लिए खराब ही है।

प्रशासन ने नहीं की है अभी कोई तैयारी

हरसाल मौसम ठंडा होने पर वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगता है। जिससे आसमान में प्रदूषण की सफेद चादर छा जाती है और धुंध जैसा आसमान दिखाई देने लगता है। इस प्रदूषण के कणों को हवा से निकालने के लिए प्रशासन नगर परिषद ने पानी की बौछार करवाता है। लेकिन इस बार अभी तक पानी की बौछार के लिए कोई तैयारियां नहीं की गई हैं।

नवंबर में एनजीटी को सौंपी जाएगी रिपोर्ट

इस बार एनजीटी की टीम ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ मिलकर इसी महीने क्रेशर जोन का निरीक्षण किया है। जो अपनी रिपोर्ट तैयार करने में लगे हैं कि क्रेशर संचालकों की किस लापरवाही से प्रदूषण फैल रहा है। नवंबर में रिपोर्ट सौंपते ही एनजीटी प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए फैसला ले सकता है।

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