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माॅनसून बिन सब सून / एंटी साइक्लोन ने अटकाया माॅनसून, 96 घंटे बाद होगा सक्रिय

माॅनसून बिन सब सून / एंटी साइक्लोन ने अटकाया माॅनसून, 96 घंटे बाद होगा सक्रिय, अब आषाढ़ नहीं सावन से उम्मीद, बीच-बीच में बूंदाबांदी की संभावना चार-पांच जुलाई को पश्चिम विक्षोभ के साथ ही माॅनसून भी सक्रिय हो जाने की संभावना है।
दिन का पारा 41 व रात का 32 डिग्री के पार
तपन और उमसभरी गर्मी ने किया बेहाल, शाम को अम्बाला समेत कई जिलों में बारिश-बूंदाबांदीराजधानी हरियाणा. एंटी साइक्लोन ने हरियाणा का माॅनसून अटका दिया है। यह एंटी साइक्लोन फिलहाल राजस्थान व पाकिस्तान के बार्डर पर 3.1 किलोमीटर ऊपर बना हुआ है। इन दिनों में यह ईरान-इराक के बीच होता है। यही नहीं बंगाल की खाड़ी व अरब सागर से भी नमी वाली हवाएं नहीं आ रही।

माॅनसून का ट्रफ भी फिलहाल हिमालय पर्वत के ऊपरी भाग में है। लोअर लेवल पर जो हवाएं बंगाल की खाड़ी से हरियाणा की ओर आ रही हैं, यह एंटी साइक्लोन उनको रोक रहा है। अरब सागर से नमी वाली जो कुछ हवा आ रही है, उससे राजस्थान या पंजाब में बरसात हो रही है। ऐसे में मानसून की झमाझम बरसात के लिए प्रदेश के बाशिंदों को 96 घंटे और इंतजार करना होगा।

चार-पांच जुलाई को पश्चिम विक्षोभ के साथ ही माॅनसून भी सक्रिय हो जाने की संभावना है। इससे अच्छी बरसात की उम्मीद बनेगी। हालांकि अगले तीन से चार दिनों की अवधि में कहीं-कहीं हलकी बरसात हो सकती है। उमस वाली गर्मी से राहत मिलने की उम्मीद भी फिलहाल कम है और गर्मी भी बढ़ने की संभावना है।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि पांच जुलाई के आस-पास अच्छी बरसातों का दौर शुरू हो सकता है, जबकि छह जुलाई से सावन महीने का आगाज हो रहा है। ऐसे मंे संभावना यही है कि सावन के प्रथम व दूसरे सप्ताह में अच्छी बरसात हो सकती हैं। इसी से माॅनसून में बरसात की कमी काफी हद तक धुल सकती है।

आगे क्या: फिलहाल तेज बारिश के आसार कम- मौसम विभाग के अनुसार माॅनसून कमजोर पड़ा है। इससे फिलहाल तेज बारिश के आसार कम हैं। 4-5 जुलाई से माॅनसून फिर सक्रिय होगा।

13 जिलों में सामान्य से कम, आठ में अधिक बरसात
प्रदेश के 13 जिलों में जून में सामान्य से कम बरसात हुई है, जबकि आठ जिलों में सामान्य से अधिक बरसात हो चुकी है। प्रदेश में एक से 29 जून तक 44.3 एमएम बरसात हो चुकी है। जो सामान्य से तीन फीसदी अधिक है।

ये है बड़ी चुनौती
12 लाख हेक्टेयर में रोपाई होनी है, अब तक यह महज 4 लाख हेक्टेयर तक पहुंच पाई है, जबकि तीन लाख हेक्टेयर में ग्वार और पांच लाख हेक्टेयर में बाजरा की बिजाई होनी है। 7.25 लाख हेक्टेयर में कपास की फसल है। आठ लाख बिजली से चलने वाले ट्यूबवेल और तीन लाख डीजल पंपों से पानी का दोहन और बढ़ेगा। भू-जल स्तर भी 20.71 मीटर तक नीचे जा चुका है।

डॉ. सुरेंद्र पाल, निदेशक, आईएमडी, चंडीगढ़ ने कहा कि राजस्थान व पाकिस्तान की सीमा के पास 3.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर एंटी साइक्लोन बना हुआ है, इससे मानसून कमजोर है।

जून में इन जिलों में कम बरसात
अम्बाला: 64.4 एमएम, 36% कम
यमुनानगर: 57.1 एमएम, 47% कम
पानीपत: 37.0 एमएम, 32% कम
सोनीपत: 34.3 एमएम, 21% कम
रोहतक: 19.4 एमएम, 56% कम
हिसार: 26.1 एमएम, 21% कम
महेंद्रगढ़: 27.3 एमएम, 43% कम
मेवात: 29.5 एमएम, 24% कम
पलवल: 2.3 एमएम, 92% कम
पंचकूला: 37.0 एमएम, 65% कम
फतेहाबाद: 24.1 एमएम, 18% कम
भिवानी: 28.1 एमएम, 12% कम
गुड़गांव: 30.8 एमएम, 15% कम

इन जिलों में हुई खूब बरसात
कुरुक्षेत्र: 119.7 एमएम,85% ज्यादा
कैथल: 78.3 एमएम, 94% ज्यादा
करनाल: 109.7 एमएम, 94% ज्यादा
जींद: 62.9 एमएम, 62% ज्यादा
सिरसा: 31.1 एमएम, 29% ज्यादा
झज्जर: 43.3 एमएम, 65% ज्यादा
रेवाड़ी: 69.8 एमएम, 105% ज्यादा
फरीदाबाद: 52.2 एमएम, 38% ज्यादा

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