भगवान गणेश, शिव और सूर्य पूजा का हफ्ता:23 फरवरी को विनायक चतुर्थी, 24 को नागेश्वर पंचमी और 26 तारीख को रहेगा
February 22, 2023
हीरामंडी में दिग्गज एक्ट्रेस रेखा करेंगी कैमियो!:मेकर्स से चल रही है बातचीत, वेब सीरीज में लीड रोल देना चाहते थे
February 22, 2023

23 फरवरी को रहेगी विनायक चतुर्थी:समृद्धि और सफलता की कामना से की जाती है फाल्गुन महीने में गणेश पूजा,

फाल्गुन महीने की विनायक चतुर्थी 23 फरवरी, गुरुवार को है। इस दिन गणेशजी की पूजा और व्रत किया जाता है। गणेश पुराण के मुताबिक चतुर्थी पर सुबह और दोपहर में गणेशजी की पूजा करनी चाहिए। इस तिथि पर शाम को चंद्रमा के दर्शन कर के अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है।

गणेश पुराण में लिखा है कि विनायक चतुर्थी व्रत करने से सभी काम पूरे हो जाते हैं। मनोकामनाएं पूरी होती हैं और समस्त सुख-सुविधाएं भी प्राप्त होती हैं। साथ ही रोग मुक्ति की कामना से भी ये व्रत किया जाता है। इसलिए फाल्गुन महीने की विनायक चतुर्थी महत्वपूर्ण मानी गई हैं।

विनायक चतुर्थी व्रत पर क्या करें
गणेश पूजन के बाद भोग लगाए प्रसाद में से कुछ गरीबों या ब्राह्मणों में बांट दें। यदि आप इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराते हैं और कुछ दान करते हैं तो भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।

चतुर्थी व्रत में दिनभर उपवास रखें और शाम को भोजन ग्रहण करने से पूर्व गणेश चतुर्थी व्रत कथा, गणेश चालीसा आदि का पाठ जरूर करें। शाम को संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ और श्री गणेश की आरती करें। ॐ गणेशाय नम: मंत्र के जाप से अपने व्रत को पूर्ण करें।

व्रत की पौराणिक कथा
एक बार देवी पार्वती ने शिवजी ने चौपड़ खेलना शुरू किया लेकिन इस खेल में मुश्किल थी कि हार-जीत का फैसला कौन करेगा। इसलिए घास-फूस से बालक बनाकर उसमें प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस खेल में तीन बार देवी पार्वती जीतीं। लेकिन उस बालक ने कहा महादेव जीते।

इस पर देवी पार्वती ने बालक को कीचड़ में रहने का श्राप दिया। बालक के माफी मांगने पर माता पार्वती ने कहा कि एक साल बाद नागकन्याएं यहां आएंगी। उनके कहे अनुसार गणेश चतुर्थी व्रत करने से तुम्हारे कष्ट दूर होंगे। इसके बाद बालक की उपासना से गणेश जी प्रसन्न हो गए।

गणेशजी ने उसे अपने माता-पिता यानी भगवान शिव-पार्वती को देखने के लिए कैलाश जाने का वरदान दिया। बालक कैलाश पहुंच गया। वहीं माता पार्वती को मनाने के लिए शिवजी ने भी 21 दिन तक गणेश व्रत किया और पार्वतीजी मान गईं। फिर माता पार्वती ने भी अपने पुत्र से मिलने के लिए 21 दिन तक व्रत किया और उनकी ये इच्छा पूरी हो गई। माना जाता है वो बालक ही भगवान कार्तिकेय हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Updates COVID-19 CASES