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रियल लाइफ बजरंगी भाई जान का इंतजार:तीनसालपहले उदयपुर पहुंची महिला अब तक पता नहीं बता पाई,

रियल लाइफ बजरंगी भाई जान का इंतजार:तीन साल पहले उदयपुर पहुंची महिला अब तक पता नहीं बता पाई, एक्सपर्ट भी भाषा नहीं समझ पा रहेजया 3 साल पहले बच्चों के साथ ट्रेन से उदयपुर पहुंची थीं, 5 साल की बेटी और सफर में पैदा हुआ बेटा हिंदी सीख गए
आपने बजरंगी भाई जान फिल्म ताे देखी हाेगी, जिसमें फिल्म का हीराे सलमान खान बाेलने में असमर्थ बच्ची काे उसके घर तक पहुंचाता है। कुछ ऐसा ही मामला तीन साल पहले (अक्टूबर-2017) अनन्या एक्सप्रेस से उदयपुर पहुंची 35 साल की जया चेतरी (उदयपुर में रखा गया नाम) के साथ हुआ है।

उसके साथ दाे साल की बेटी (मिनी) और ट्रेन में ही जन्मा बेटा (बाबू) था, लेकिन अलग भाषा के चलते वह नहीं बता सकी कि कहां की रहने वाली है और यहां कैसे पहुंची। तब से वह सेवा मंदिर संस्था के हाेम में रह रही है। संस्थान कई भाषाओं के एक्सपर्ट काे बुला चुकी है, लेकिन काेई भी उससे बात नहीं कर सका। हालांकि, इतना अंदाजा जरूर लगाया कि वह बंगाल, बिहार या असम की रहने वाली है।

तीन साल से उदयपुर में रहने के कारण तीन साल का बाबू और पांच साल की मिनी ताे हिंदी बाेलने लगे, लेकिन जया अभी भी हिंदी नहीं समझ पाती। ऐसे में जया काे अब भी उस बजरंगी भाई जान का इंतजार है, जाे उसे घर पहुंचा दे।

परेशान होकर कई बार खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करती है जया

इशारों में समझाया: पति की मारपीट से परेशान होकर अपने घर से निकली गई थी
समाज कल्याण विभाग के अधीन चलने वाले स्वाधार गृह सेवा मंदिर संस्था की काउंसलर निशा ने बताया कि हाथीपोल थाने से 5 अक्टूबर 2017 काे महिला काे यहां भेजा गया। इससे पहले कुछ दिन वह ट्रेन में बेटे काे जन्म देने के कारण लेडी हॉस्पिटल में भर्ती थी। उसका घर तलाशने के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। वह तंग आकर कई बार खुद काे नुकसान पहुंचाने की कोशिश भी कर चुकी है। उसके इशारों से हम सिर्फ इतना अंदाजा लगा पाए हैं कि पति की मारपीट से नाराज होकर वह घर से निकल गई थी।

संस्थान की कोशिश जारी: दाे महीने से महिला बाल विकास मंत्रालय से जवाब नहीं आया
निशा ने बताया कि जया अनपढ़ है और अपनी भाषा में सिर्फ खुद का और बेटी का नाम लिख पाती है, जिसमें बंगाली झलक है। बंगाली, असमी और बिहारी भाषा के एक्सपर्ट को बुलाया, लेकिन वे भी नाकाम रहे। जिस एंबुलेंस से जया काे लेडी हॉस्पिटल भेजा गया, उसके ड्राइवर ने बताया कि वह अनन्या एक्सप्रेस से आई थी। इससे पता चला कि महिला बंगाल तरफ से आई है। सिलिगुड़ी समेत अन्य पुलिस थानों में संपर्क किया गया, लेकिन उसकी पहचान नहीं पाई। पश्चिम बंगाल में पत्र भेजा। जवाब नहीं मिला ताे 17 नवंबर काे महिला बाल विकास मंत्रालय काे पत्र भेजा, लेकिन अब तक काेई जवाब नहीं मिला।

महिला के पुनर्वास के लिए प्रस्ताव भेजा है: निदेशक समाज कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर मांधातासिंह राणावत ने कहा कि महिला के पुनर्वास के लिए डायरेक्टोरेट काे प्रस्ताव बनाकर भेजा है। यह हाे सकता है कि जयपुर नारी निकेतन में भेज दिया जाए और एक्सपर्ट के जरिए काउंसलिंग हाे।

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