मन की बात:मोदी बोले- आत्मनिर्भर भारत के लिए वर्ल्ड लेवल के प्रोडक्ट बनाना जरूरी
December 27, 2020
ठंड के तीखे तेवर:हिमाचल में दो दिन बारिश-बर्फबारी का अनुमान, बिहार में पारा 10 डिग्री से नीचे,
December 27, 2020

कोरोना के नए रूप से ना घबराएं:WHO ने कहा- वायरस कितना भी बदले,

कोरोना के नए रूप से ना घबराएं:WHO ने कहा- वायरस कितना भी बदले, 6 हफ्तों में अपडेट हाेगी वैक्सीनब्रिटेन में मिले कोरोना के नए स्वरूप (स्ट्रेन) से घबराने की बिलकुल भी जरूरत नहीं है। यह कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन का। डॉ. स्वामीनाथन ने दैनिक भास्कर को बताया कि भारत समेत दुनियाभर में बन रहीं वैक्सीन वायरस के नए स्वरूप पर भी उतनी ही कारगर हैं, जितनी शुरुआती दौर में मिले स्वरूप पर। नौ से दस महीने में अब तक कोरोनावायरस में जितना भी बदलाव आया है, वह मामूली है। वायरस में आने वाले संभावित बदलावों को देखते हुए ही वैक्सीन तैयार की जाती है।

विशेषज्ञों के अनुसार दुनिया में वैक्सीन अलग-अलग कॉम्पोनेंट्स से बन रही हैं। भारत में बन रहीं वैक्सीन प्रोटीन आधारित हैं। मान लेते हैं वायरस का स्वरूप काफी बदल गया, तो भी डरने की जरूरत नहीं। क्योंकि, प्रोटीन आधारित वैक्सीन को 4 से 6 हफ्ते में अपडेट किया जा सकता है। हालांकि, इसकी जरूरत शायद ही कभी पड़े।भारत में कितने तरह के स्ट्रेन हैं, उनमें कितना अंतर है?
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) के पूर्व वैज्ञानिक प्रो. रमन गंगाखेड़कर के अनुसार भारत में जीनोम सीक्वेंसिंग बहुत ज्यादा नहीं हुई है। इसी से पता चलता है कि वायरस की प्रवृत्ति में कितना और कैसा बदलाव आता है। अभी तक हुई सीक्वेंसिंग के पता चला है कि भारत में शुरुआती दौर में सबसे पहले वायरस का स्वरूप चीन के वुहान शहर वाला था। फिर इटली और अन्य यूरोपीय देशों के स्वरूप भी यहां आए। अफ्रीका-अमेरिका के स्वरूप भी देश के अलग-अलग राज्यों में सामने आए हैं। लेकिन कोई भी स्वरूप अब तक ऐसा नहीं देखा गया, जिसकी मूल प्रकृति में बहुत ज्यादा बदलाव हुआ हो।

ब्रिटेन में मिला स्वरूप 70% तेजी से फैलता है, अगर यह भारत में आ गया तो असर क्या होगा?
कोई खास असर नहीं पड़ेगा। यहां दर्जनों अलग-अलग स्वरूप पहले से हैं। नए स्वरूप पर यूरोप में अध्ययन हो चुका है कि यह सिर्फ फैलता तेजी से है, मौतों ज्यादा नहीं होतीं। उदाहरण के लिए ब्रिटेन में नया स्वरूप आने के बाद रोज मिलने वाले मरीज 14 हजार से बढ़कर 29 हजार हो गए, जबकि रोजाना मौतें 400 से 500 हुई हैं। यानी मरीज तो 100% से ज्यादा बढ़े, जबकि मौतें 25% ही बढ़ीं।

तीन दिन में ब्रिटेन से भारत आए 30 से ज्यादा लोग संक्रमित पाए गए हैं। इनमें से कितनों में नया स्वरूप है?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कोई अफसर यह बताने को तैयार नहीं। जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट वैसे तो 36 घंटे में आ जाती है, लेकिन ब्रिटेन से आए संक्रमितों की रिपोर्ट तीन दिन बाद भी सामने नहीं आई है।

तो नया स्वरूप भी अपनी प्रवृत्ति बदलता रहेगा?
हां। लेकिन, यह जरूरी नहीं कि वह और ज्यादा खतरनाक होगा। क्योंकि, ज्यादातर वायरस परिवर्तन के बाद और कमजोर होते जाते हैं। हो सकता है कि यह भी समय के साथ निष्प्रभावी हो जाए।

नया स्वरूप वैक्सीन का असर कम कर सकता है?
भारत बायोटेक कंपनी की ओर से तैयार वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल की जिम्मेदारी संभाल रहे कम्युनिटी मेडिसिन के डॉ. संजय रॉय ने बताया कि वायरस में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। लेकिन, मूल प्रवृत्ति नहीं बदलती। इसलिए अब तक सामने आईं सभी वैक्सीन इस पर कारगर साबित होंगी। भारत बायोटेक और दूसरी कंपनियों ने जो वैक्सीन तैयार की हैं, उन्हें वायरस में आने वाले बदलावों को ध्यान में रखकर तैयार किया है। वैक्सीन में कई तरह के प्रोटीन हैं। हो सकता है कि कोई प्रोटीन नए स्वरूप पर बेअसर हो जाए, लेकिन दूसरे अपना काम करते रहेंगे। दुनिया में कुछ वैक्सीन प्रोटीन, कुछ न्यूक्लिक एसिड या स्पाइक प्रोटीन से बन रही हैं।

तो क्या ये माना जा सकता है कि नए स्वरूप को लेकर दुनियाभर में बेवजह घबराहट फैल गई है?
सभी देश अपने नागरिकों को ज्यादा सतर्क रहने को कह रहे हैं। जो सही भी है, क्योंकि नए प्रवृत्ति वाला वायरस फैल बहुत तेजी से रहा है। यानी वह संक्रमित तो कर ही रहा है। इसलिए घबराहट है। वॉयरोलॉजिस्ट प्रो. शाहीद जमील ने बताया- यह समझना भी जरूरी है कि नई प्रवृत्ति वाला वायरस मूल वायरस से बहुत ज्यादा अलग नहीं है। इसे वैक्सीन से खत्म किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Updates COVID-19 CASES