आज (9 फरवरी) माघ की अमावस्या है, इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या पर पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म खासतौर पर करना चाहिए। ये अमावस्या पूजा-पाठ, स्नान-दान और तीर्थ दर्शन करने के साथ ही मौन व्रत रखने का पर्व है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, इस अमावस्या पर पूरे दिन मौन व्रत रखना चाहिए। लगातार बोलते रहने से हमारी ऊर्जा खर्च होती है। जब हम मौन रहते हैं तो ये ऊर्जा बचती है और हमारी आंतरिक शक्ति बढ़ती है। वाणी के दोष दूर होते हैं, जैसे हम झूठ बोलने से, किसी की बुराई करने से, किसी का अपमान करने से बच जाते हैं।
ऐसे कर सकते हैं मौन व्रत
इस अमावस्या पर पूरे दिन मौन रहना चाहिए यानी एक भी शब्द बोलना नहीं चाहिए। पूजा-पाठ में भी मंत्र जप मन ही मन करें। जिन लोगों के लिए पूरे दिन मौन रहना संभव नहीं है, उन्हें कम से कम सवा घंटे का मौन व्रत जरूर करना चाहिए। इस पर्व पर सिर्फ सवा घंटे मौन रहकर पूजा-पाठ करने से भी अक्षय पुण्य मिलता है।
पूजा-पाठ और भक्ति के कई तरीके हैं, इन तरीकों में मौन रहना भी एक साधना है। मौन रहने से मन एकाग्र रहता है, पूजन में हमारा पूरा ध्यान भक्ति में लगा रहता है।
मौनी अमावस्या पर भक्त को नियमित रूप से मौन व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए। जैसे हम रोज कम से कम सवा घंटे मौन रहने का संकल्प ले सकते हैं। मौन व्रत के समय हमें किसी से भी बात नहीं करनी चाहिए, सिर्फ ध्यान और मंत्र जप करना चाहिए।
मौनी अमावस्या पर ध्यान रखें ये बातें भी
इस तिथि पर झूठ बोलने से बचें। किसी के लिए अपमानजनक बातें न कहें, किसी की बुराई न करें। व्यर्थ बातचीत करने से बचें। घर-परिवार में शांति और प्रेम बनाए रखना चाहिए। ऐसी बातों से बचें, जिनकी वजह से विचारों में नकारात्मकता बढ़ती है।
इस दिन अपने इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। जैसे ऊँ नम: शिवाय, कृं कृष्णाय नम:, रां रामाय नम:, श्री गणेशाय नम:, राधाकृष्ण, सीताराम, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय, श्रीरामदूताय नम:, दुं दु्र्गायै नम: आदि मंत्रों का जप कर सकते हैं।
रामायण, श्रीमद् भगवद् गीता, विष्णु पुराण, शिव पुराण जैसे ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। धर्म कथाएं पढ़-सुन सकते हैं। किसी संत के सत्संग सुनें। अपने गुरु से उपदेश सुनें।
इस दिन धन, वस्त्र, जूते-चप्पल, बिस्तर, पलंग, अनाज, खाना, पढ़ाई की चीजें दान करना चाहिए।