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माघी अमावस्या 9 फरवरी को:इस पर्व पर मौन रहने की परंपरा, तीर्थ स्नान और दान करने से मिलता है कई यज्ञ करने जितना पुण्य

9 फरवरी को माघ महीने की अमावस्या रहेगी। इस दिन शुभ वार होने से इसका फल और बढ़ गया है। ग्रंथों में बताया गया है कि शुक्रवार को पड़ने वाली अमावस्या शुभ फल देती है। इस तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध किया जाता है। स्नान-दान के बाद दिनभर व्रत रखने से ग्रह दोष भी खत्म होते हैं। इस दिन पूजा-पाठ करने के बाद ब्राह्मण भोजन करवाने से व्रत का पूरा पुण्य मिलता है।

माघ महीने की अमावस्या पर अष्ट महादान
माघ महीने की अमावस्या पर तिल, लोहा, सोना, कपास, नमक, सात तरह के धान, भूमि और गाय का दान करने का महत्व बताया गया है। इन आठ चीजों का दान करना ही अष्ट महादान होता है।

इस तरह का महादान हर तरह के पाप खत्म करने वाला और पुण्य बढ़ाने वाला होता है। इन आठ के दान से कई यज्ञ करने जितना पुण्य मिल जाता है।

माघ महीने की अमावस्या होती है खास
माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस अमावस्या को लेकर मान्यता है कि इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था और मनु शब्द से ही इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है।

मनु ऋषि को ब्रह्मा का मानस पुत्र माना जाता है। वहीं माघ मास की अमावस्या का धार्मिक महत्व भी है। इस दिन अपने पूर्वजों की पूजा करने और गरीबों को दान पुण्य करने से पापों का नाश होता है। बहुत से श्रद्धालु इस दिन पवित्र जल में स्नान करके व्रत भी रखते है।

शुक्रवार की अमावस्या का महत्त्व
किसी भी महीने की अमावस्या अगर शुक्रवार को पड़ती है तो ज्योतिष ग्रंथों के मुताबिक वो शुभ फल देने वाली होती है। ऐसे संयोग में किए गए स्नान-दान और पूजा-पाठ का पुण्य फल और भी बढ़ जाता है। शुक्रवार को अमावस्या का संयोग कम ही बनता है, लेकिन इस साल माघ महीने की अमावस्या पर ये शुभ योग बन रहा है।

इस दिन गंगा-यमुना जैसी पवित्र नदियों, मथुरा और बाकी तीर्थों में नहाने, गौदान, अन्नदान, ब्राह्मण भोजन, कपड़े और सोने का दान करने का विशेष महत्त्व बताया गया है। धर्म ग्रंथों में बताया गया है कि इस दिन स्नान-दान और ब्राह्मण भोजन करवाने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं।

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