Mysore Dussehra कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु से मात्र 150 किलोमीटर दूर स्थित है मैसूर जो अपने प्राचीन गौरव और इतिहास के लिए मशहूर है। इस खूबसूरत शहर को देखने का दशहरे से बेहतरीन कोई दूसरा अवसर हो ही नहीं सकता क्योंकि यहां का दशहरा बहुत ही मशहूर है। इस दौरान यहां आकर एक अलग ही तरह की चहल-पहल देखने को मिलती है।
नई दिल्ली, लाइफस्टाइल डेस्क। Mysore Dussehra: मैसूर का नाम भी महिषासुर के नाम महिषुरु से बना है। जो भारत के खास पर्यटन स्थलों में शामिल है। कर्नाटक का कल्चर कैपिटल कहलाने वाला यह शहर कई सारी खासियतों को अपने में समेटे हुए है। यहां के शासक कला प्रेमी भी रहे हैं शायद इसी वजह से यहां कला और संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। मैसूर सिल्क, मैसूर पाक, मैसूर चंदन, मैसूर पेंटिंग, मैसूर दशहरा, यहां तक कि मैसूर डोसा भी इस शहर का नाम दुनिया के कोने-कोने में पहुंच रहा है।
पर्यटन स्थलों, खानपान, हस्तशिल्प के अलावा मैसूर में होने वाला दशहरा भी अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए है। जिसे देखने दुनियाभर के कोने-कोने से पर्यटक पहुंचते हैं। इसकी शुरुआत वादियार राजाओं ने 16वीं शताब्दी में की थी। विजयादशमी के दिन सजे-धजे हाथी के ऊपर सवार होकर मां चामुंडेश्वरी की झांकी निकलती है। जिसके पीछे ढोल-नगाड़े और नाचते-गाते लोग चलते हैं। अगर आप दशहरे की छुट्टी में कहां जाए, ये सोच रहे हैं, तो यहां का प्लान कर सकते हैं।
इसका असली नाम अम्बा विलास पैलेस है। 1912 में बना यह भव्य महल पर्यटकों की सूची में पहले स्थान पर रहता है।
चामुंडी हिल्स के समीप 1921 में बने इस श्वेत महल को कई फिल्मों में भी देखा गया है।
यह महल 1861 में बना था। इसकी दीवारों पर masoor शैली में आकर्षक चित्र बने हुए हैं। इसे अब कला संग्रहालय बना दिया गया है। यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते रहते हैं।
भारत का यह पहला म्यूजियम है, जहां बालू से बनी करीब डेढ़ सौ कलाकृतियां देखी जा सकती हैं।
कृष्णराज बांध के समीप 1932 में बना यह विशाल उद्यान अपनी सुंदरता के लिए विख्यात था। अभी भी पर्यटकों के बीच यह लोकप्रिय है।
इस संग्रहालय में वाद्य यंत्रों का सबसे बड़ा संग्रह है। यहां सौ से भी ज्यादा वैक्स की मूर्तियां देखी जा सकती हैं।
अगर आप कुछ समय प्रकृति की शांति में बिताना चाहते हैं, तो हरियाली से घिरी पहाड़ियों की गोद में स्थित यह झील एक बेहतरीन जगह हो सकती है।
मैसूर के करीब श्री रंगपट्टनम में बना यह महल जो टीपू सुल्तान का गर्मियों का आवास था, दरिया दौलत बाग कहलाता है और यहां टीपू सुल्तान की कई पर्सनल चीज़ें प्रदर्शित हैं।
अगर आप पक्षी प्रेमी हैं, तो श्री रंगपट्टनम के पास इस birds abhiyaran में आपको 170 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी देखने को मिलेंगे।
बेंगलुरु से बस या कार से दो घंटे का सफर तय करके आप मैसूर जा सकते हैं।
वैसे तो मैसूर का मौसम सामान्यतः अच्छा ही रहता है, फिर भी यहां जाने के लिए सितंबर से मार्च तक का समय सबसे अच्छा है।
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