पीटीआई, तिरुवनंतपुरम। सीपीआई (एम) (Kerala CPI(M) नेता अनिल कुमार द्वारा हिजाब पर की गई विवादित टिप्पणी से सत्तारूढ़ पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई है। कई धार्मिक संगठन और विद्वान इसके विरोध में उतर आए हैं।
दरअसल, एक नास्तिक संगठन द्वारा आयोजित एक हालिया कार्यक्रम में अनिल कुमार ने कथित तौर पर केरल में मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले पारंपरिक हिजाब पर टिप्पणी की थी।
अनिल कुमार ने कहा, ‘यह मार्क्सवादी पार्टी का ही प्रभाव है कि अब मुस्लिम बहुल मलप्पुरम जिले की महिलाओं ने हिजाब पहनना छोड़ दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि दक्षिणी राज्य में मुस्लिम महिलाओं को भूख से नहीं मरने के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन को नहीं बल्कि कम्युनिस्ट पार्टी को धन्यवाद देना चाहिए।’
इस विवादित टिप्पणी से नाराज सुन्नी विद्वानों के प्रभावशाली संगठन ‘समस्ता'( Samastha) ने अनिल कुमार की आलोचना की और कहा कि सीपीआई (एम) के ‘दोहरे मानदंड’ उजागर हो गए है। समस्ता के एक प्रमुख नेता अब्दुस्समद पूककोट्टूर ने आरोप लगाया कि धर्मत्याग वामपंथी पार्टी का मूल है और वह वोटों के लिए अल्पसंख्यकों से संपर्क कर रहे हैं। आईयूएमएल नेता के एम शाजी और केपीए मजीद भी अनिल कुमार के बयान पर सीपीआई (एम) की निंदा करने में विद्वानों के संगठन में शामिल हो गए।
मार्क्सवादी पार्टी नेतृत्व के कट्टर आलोचक शाजी ने फेसबुक पोस्ट में आरोप लगाया कि पार्टी ने दो टीमें तैयार की हैं- एक तर्कवादियों के बीच जाकर विश्वासियों के खिलाफ बोलने के लिए और दूसरी विश्वासियों की बैठकों में भाग लेने और प्रशंसा करने के लिए। उन्होंने धार्मिक समुदाय से पूछा कि ‘क्या वे अभी भी विश्वास करना चाहते हैं कि साम्यवाद निर्दोष है?’
मजीद ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के जरिए वाम दल की भी आलोचना की और कहा कि अनिल कुमार की टिप्पणियों ने उनके असली इरादों को उजागर कर दिया है। उन्होंने मलप्पुरम में संवाददाताओं से कहा कि यहां तक कि वर्तमान पीढ़ी के लोग भी सिर पर स्कार्फ पहने हुए हैं।