तमिलनाडु के साथ कावेरी नदी के जल बंटवारे के विरोध में आज कर्नाटक बंद है। 30 से ज्यादा किसान समूहों, व्यापारिक और कन्नड़ समर्थक संगठनों ने सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटे के बंद का आह्वान किया है। बेंगलुरु और मांड्या में बंद का सबसे ज्यादा असर है।
यहां प्रशासन ने स्कूल-कॉलेज में छुट्टी का ऐलान किया है। बेंगलुरु के केंपेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट, अत्तीबेले समेत जगह-जगह प्रदर्शन कर रहे 50 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है। बंद के चलते दुकानें, शॉपिंग मॉल, मूवी थिएटर्स, होटल और रेस्त्रां बंद हैं।
प्रदर्शनकारी हाईवे, टोल गेट्स, रेल सेवाओं और एयरपोर्ट बंद कराने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, बैंकों में कामकाज चल रहा है। बस और मेट्रो सेवाएं भी चालू है। इससे पहले, इन्हीं संगठनों ने 26 सितंबर को बेंगलुरु बंद किया था।
कावेरी विवाद पर सीएम सिद्धारमैया की बैठक बुलाई
कर्नाटक बंद के बीच सीएम सिद्धारमैया ने कावेरी विवाद पर बैठक बुलाई है। इसमें डिप्टी सीएम और सिंचाई मंत्री डीके शिवकुमार भी रहेंगे। दरअसल, 13 सितंबर को कावेरी वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी (CWMA) ने एक आदेश जारी किया था।
इसमें कहा गया कि कर्नाटक अगले 15 दिन तक तमिलनाडु को कावेरी नदी से 5 हजार क्यूसेक पानी दे। कर्नाटक के किसान संगठन, कन्नड़ संस्थाएं और विपक्षी पार्टियां इसी फैसले का विरोध कर रही हैं। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी से जुड़ा यह विवाद 140 साल पुराना है।
कर्नाटक बंद के दौरान आज की तस्वीरें…
बेंगलुरु के अत्तीबेले के पास कन्नड़ समर्थक संगठनों के लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया।
बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में प्रदर्शनकारी हाथ में बाल्टी-झाड़ू लेकर नीचे लेट गए।
मांड्या के पास प्रदर्शनकारी बैनर-पोस्टर लेकर कावेरी नदी में खड़े हो गए।
बेंगलुरु में विरोध प्रदर्शन करते किसान संगठन के सदस्य।
कर्नाटक बंद को लेकर मांड्या में पुलिस की टीम सुबह से निगरानी कर रही है।
बंद को लेकर विजयनगर मेट्रो स्टेशन पर भी यात्री नहीं दिखे।
कर्नाटक के कई जिलों में धारा 144 लागू
बेंगलुरु अर्बन, मांड्या, मैसूर, चामराजनगर, रामानगर और हसन में धारा 144 लागू की गई है। यानी 4 से ज्यादा लोग एक साथ एक जगह पर इकट्ठा नहीं हो सकते हैं। इन जिलों में सभी शैक्षणिक संस्थाएं बंद हैं।
दो बंद के दौरान करीब 4,000 करोड़ के नुकसान का अनुमान
बेंगलुरु के इंड्रस्टियलिस्ट ने एक हफ्ते में होने वाले दो बंद के दौरान करीब 4,000 करोड़ के नुकसान का अनुमान लगाया है। उनका कहना है कि इससे अभी-अभी महामारी से उबरी अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है। इसलिए बंद की जगह विरोध प्रदर्शन की परमिशन दी जानी चाहिए।
दो दिन पहले प्रदर्शनकारियों ने सरकार से कहा था- 5 मांगें पूरी करें
दो दिन पहले किए गए विरोध प्रदर्शन में प्रदर्शनकारियों ने सरकार से कहा था कि हमारी 5 मांगें पूरी करें। इन समितियों ने सरकार को फैसला लेने के लिए तीन दिन का समय दिया था। ऐसा न होने पर संगठन ने विरोध तेज करने की चेतावनी भी दी थी।
वहीं, कर्नाटक सरकार की तरफ से परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने फ्रीडम पार्क में प्रदर्शनकारियों से मुलाकात कर 5 मांगों वाला ज्ञापन लिया था। इन मांगों में तमिलनाडु को पानी न देना, संकट काल में आकलन करने चुनाव आयोग जैसी संस्था बनाने, मेकेदातु परियोजना लागू करने और किसानों-समर्थकों के खिलाफ मामले वापस लिया जाना शामिल है।
CM सिद्धारमैया बोले- विपक्ष राजनीति कर रहा है
मंगलवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कावेरी जल विवाद को लेकर विपक्षी दलों भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (सेक्युलर) पर राजनीति करने का आरोप लगाया था। मैसूरु में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा था कि कोई भी बंद बुलाया जा सकता है, हमें उस पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, लेकिन हम उन्हें परेशान नहीं करेंगे, उन्हें बंद बुलाने दीजिए।
वहीं, कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार ने कहा था कि तमिलनाडु के लोगों ने 12500 क्यूसेक पानी मांगा है। फिलहाल हम 5000 क्यूसेक पानी छोड़ने की स्थिति में भी नहीं है।
26 सितंबर को बंद के दौरान बेंगलुरु में रैपिड एक्शन फोर्स के करीब 100 प्लाटून तैनात थे।
क्या है कर्नाटक-तमिलनाडु के बीच कावेरी जल विवाद
800 किमी लंबी कावेरी नदी कर्नाटक के पश्चिमी घाट के कोडागू जिले में ब्रह्मगिरी पर्वत से निकलती है। यह तमिलनाडु होती हुई बंगाल की खाड़ी में मिलती है। कावेरी के बेसिन में कर्नाटक का 32 हजार वर्ग किलोमीटर और तमिलनाडु का 44 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र आता है। दोनों राज्यों के बीच कावेरी के पानी से सिंचाई की जरूरतों को लेकर लगभग 140 साल से ज्यादा समय से विवाद है।