अभी गणेश उत्सव चल रहा है और ये 28 सितंबर तक चलेगा। विष्णु जी और शिव जी की तरह ही भगवान गणेश ने भी अलग-अलग असुरों को खत्म करने के लिए अवतार लिए थे। यहां जनिए गणेश जी के अवतार और उनसे जुड़ी खास बातें…
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित गणेश अंक में गणेश जी से जुड़ी कई कथाएं बताई गई हैं। इन कथाओं में गणेश जी के अवतार और राक्षसों के बारे में बताया गया है। गणेश जी ने अपने अवतारों से संदेश दिया है कि हमें लालच, मोह, नशा जैसी बुराइयों से बचना चाहिए। जानिए भगवान गणेश के अवतार और उनसे जुड़ी खास बातें…
महोदर अवतार
पुराने समय में मोहासुर नाम का एक राक्षस था, उसने देवताओं को पराजित कर दिया और स्वर्ग को अपने अधिकार में ले लिया था। सभी देवता गणेश जी के पास पहुंचे। तब गणेश जी ने महोदर रूप धारण किया। महोदर अवतार यानी बड़े पेट वाले गणेश जी। महोदर भगवान ने मोहासुर को खत्म कर दिया था।
यहां मोहासुर का मतलब है मोह। गणेश जी की भक्ति करने वाले लोग सभी तरह के मोह से दूर रहते हैं।
वक्रतुंड अवतार
गणेश ने वक्रतुंड अवतार मत्सरासुर नाम के राक्षस को खत्म करने के लिए लिया था। मत्सरासुर शिव भक्त था। मत्सरासुर ने अपने पुत्र सुंदरप्रिय और विषयप्रिय के साथ मिलकर देवताओं को हरा दिया। तब देवताओं की मदद के लिए गणेश जी ने वक्रतुंड अवतार लिया और मत्सरासुर का अंत किया।
मत्सर भी एक बुराई है। मत्सर यानी जलन की भावना। जो लोग दूसरों की धन-संपत्ति देखकर जलते हैं, उन्हें ये बुराई जल्दी से जल्दी छोड़ देनी चाहिए। गणेश जी भक्ति से इस बुराई का अंत जल्दी हो जाता है।
एकदंत अवतार
मद नाम का एक राक्षस था। उसे खत्म करने के लिए गणेश जी ने एकंदत अवतार लिया। मद यानी नशा। मद नाम की बुराई से बचना चाहिए और गणेश जी की भक्ति से ये बुराई जल्दी दूर हो सकती है।
विकट अवतार
विकट अवतार के रूप में गणेश जी ने कामासुर नाम के असुर का वध किया था। इस रूप में गणेश जी मोर पर विराजित हैं। काम यानी कामवासना। इस बुराई से किसी भी व्यक्ति जीवन बर्बाद हो सकता है। इससे बचना चाहिए।
गजानन अवतार
इस अवतार में गणेश जी ने लोभासुर नाम के राक्षस को मारा था। लोभासुर यानी लालच। इस बुराई की वजह से व्यक्ति सही-गलत का फर्क नहीं समझता है, बस धन कमाना चाहता है। इस बुराई से किसी का भी जीवन बर्बाद हो सकता है।
लंबोदर अवतार
क्रोधासुर नाम के राक्षस का वध करने के लिए गणेश जी ने लंबोदर रूप में अवतार लिया था। क्रोधासुर यानी गुस्सा। गणेश जी की भक्ति करने वाले भक्त इस बुराई को जल्दी नियंत्रित कर पाते हैं। क्रोध नियंत्रित रहेगा तो कई समस्याओं से बच सकते हैं।
विघ्नराज अवतार
ममासुर नाम के दैत्य को मारने के लिए गणेश जी ने विघ्नराज अवतार लिया था।
धूम्रवर्ण अवतार
अहंतासुर को मारने के लिए गणेश जी ने धूम्रवर्ण अवतार लिया था। इस स्वरूप में गणेश जी का रंग धुंए जैसा था, इसीलिए इनका नाम धूम्रवर्ण पड़ा। अहंतासुर यानी अहंकार, इसकी वजह से रावण, कंस और दुर्योधन जैसे शक्तिशाली लोगों का परिवार सहित नाश हो गया था। इस बुराई को जल्दी से जल्दी छोड़ देना चाहिए।