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पश्चिमी देशों को बुरा समझने के सिंड्रोम से उबरना जरूरी:चीन का नाम लिए बिना जयशंकर बोले- उन्होंने मार्केट को सस्ते सामान से भरा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को ग्लोबल ट्रेड के बारे में बात करते हुए कहा कि पश्चिमी देश बुरे नहीं हैं। चीन का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश एशियाई और अफ्रीकी बाजारों को अपने सामान से नहीं भर रहे हैं। हालांकि, विदेश मंत्री ने ये स्पष्ट किया है कि वो वेस्टर्न देशों का पक्ष नहीं ले रहे हैं। जयशंकर के मुताबिक दुनिया काफी पेचीदा है। इसे सिर्फ बुरे पश्चिमी देशों और विकासशील देशों के नजरिए में बांधकर नहीं देखा जा सकता है।

मलयालम न्यूज चैनल एशियानेट को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वेस्टर्न देशों को बुरा समझने के अतीत के “सिंड्रोम” से उबरने की जरूरत है। जयशंकर ने चीन की व्यापार नीतियों पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 15-20 सालों में असमान वैश्विकरण की वजह से अफ्रीका और एशियाई देशों की मार्केट को सस्ते सामान से भर दिया गया। इससे उन देशों में सामान बनाने की क्षमता और रोजगार पर बुरा असर पड़ा।

अफ्रीकन यूनियन के G20 संगठन का सदस्य बनने की घोषणा करते प्रधानमंत्री मोदी।

अफ्रीकन यूनियन के G20 संगठन का सदस्य बनने की घोषणा करते प्रधानमंत्री मोदी।

क्या भारत के ग्लोबल साउथ का नेता बनने में चीन रोड़ा बन रहा?
विदेश मंत्री एस जयशंकर का इंटरव्यू पूर्व डिप्लोमैट टीपी श्रीनिवासन ने लिया था। उन्होंने जयशंकर से G20 समिट में शी जिनपिंग के न आने पर भी सवाल किए। उन्होंने पूछा- क्या चीन भारत को ग्लोबल साउथ देशों का लीडर बनते हुए नहीं देखना चाहता है।

इस पर जयशंकर ने कहा- ये कयासों की बात है। दिल्ली में हुए G20 समिट ने साबित किया है कि दुनिया को चलाने का एजेंडा सिर्फ संपन्न देशों का गुट या कोई एक या दो देश नहीं बना सकते हैं। भारत भी एजेंडे को तय कर सकता है।

G20 समिट से पहले भारत में हुए ग्लोबल साउथ देशों के समिट पर जयशंकर ने कहा हम 125 देशों के एक साथ लाए हैं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ को परिभाषा नहीं बल्कि एक भावना है।

‘कुछ देश राजनीति के लिए खालिस्तान का सहारा ले रहे
कनाडा-भारत के रिश्तों पर पूछे गए सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि समस्या तब होती है जब कुछ वजहों के चलते चंद देश अपने राजनीति में ऐसे (खालिस्तान) तत्वों को जगह देने लगते हैं। उन्होंने कहा राजनीति में कई बार ऐसा हो जाता है पर लोकतंत्र में इस तरह की बातों को समझना जरूरी है। हमें भूल भी जाएं तो जिस देश में ये तत्व अपना सिर उठा रहे हैं। वो उस देश के लिए भी अच्छा नही है। आज ये कनाडा है कल कोई दूसरा देश होगा।

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