आज (18 सितंबर) हरतालिका तीज है। ये व्रत महिलाएं पति की लंबी उम्र, सौभाग्य और अच्छी सेहत की कामना से करती हैं। अविवाहित कन्याएं सुयोग्य वर पाने की कामना से ये व्रत करती हैं। ये व्रत निर्जल किया जाता है यानी व्रत करने वाली महिलाएं अन्न और जल का सेवन पूरे दिन नहीं करती हैं। कुछ महिलाएं सिर्फ अन्न का त्याग करती हैं, कुछ महिलाएं दूध और फलों का सेवन के साथ ये व्रत करती हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, देवी पार्वती की पूजा में लाल चूड़ियां, लाल चुनरी, कुमकुम, लाल फूल, इत्र, सिंदूर, हल्दी जरूर चढ़ाएं। पूजा के बाद ये चीजें दक्षिणा के साथ किसी जरूरतमंद सुहागिन महिला को दान करें।
हरतालिका तीज पर ध्यान रखें ये बातें
पं. शर्मा कहते हैं कि देवी पार्वती की पूजा की शुरुआत गणेश पूजन से करनी चाहिए। गणेश जी प्रथम पूज्य हैं और इनके पूजा के साथ ही हर शुभ काम शुरू होता है। गणेश पूजा के बाद शिव जी के साथ माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
देवी पूजा में मंत्र जप और ध्यान भी करें। तीज पर व्रत करने के बाद अगले दिन यानी चतुर्थी तिथि पर फिर से गणेश जी, शिव जी और पार्वती जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद दान-पुण्य करें। इसके बाद ये व्रत पूरा होता है और महिलाएं अन्न-जल ग्रहण करती हैं।
माना जाता है कि सबसे पहले देवी पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए हरतालिका व्रत किया था।
शिव-पार्वती की पूजा में मंत्र ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के साथ ही देवी मंत्र का जप भी करें।
देवी मंत्र – गौरी मे प्रीयतां नित्यं अघनाशाय मंगला। सौभाग्यायास्तु ललिता भवानी सर्वसिद्धये।।
इस मंत्र अर्थ ये है कि हे गौरी मां, मुझ पर प्रसन्न रहें, मंगला देवी मेरे पापों का नाश करें। देवी ललिता सौभाग्य प्रदान करें और भवानी मां सभी सिद्धियां प्रदान करें।
पूजा में मौसमी फल, दूध से मिठाई, पंचामृत, बिल्व पत्र, धतुरा, हार-फूल भी रखें। ध्यान रखें शिव परिवार की पूजा में तुलसी नहीं रखनी चाहिए।