केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी आज 100% एथेनॉल फ्यूल पर चलने वाली कार टोयोटा इनोवा लॉन्च करने। ये कार दुनिया की पहली इलेक्ट्रिफाइड फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल का प्रोटोटाइप होगी। इसे BS6 स्टेज-2 के नॉर्म्स के अनुसार डेवलप किया गया है। इवेंट दोपहर 12 बजे से दिल्ली में होगा।
ये कार हाइब्रिड सिस्टम के लिए फ्लेक्स फ्यूल से 40% इलेक्ट्रिसिटी जनरेट कर सकती है। गडकरी ने कहा, ‘एथेनॉल की कीमत 60 रुपए प्रति लीटर है और यह कार 15 से 20 kmpl का माइलेज दे सकती है। इससे यह पेट्रोल की तुलना में कहीं अधिक किफायती है, जो वर्तमान में लगभग 120 रुपए प्रति लीटर पर बिकता है।
ऑयल इम्पोर्ट पर 16 लाख करोड़ रुपए खर्च होता है गडकरी ने कहा ‘यह फ्यूल पेट्रोलियम के इम्पोर्ट पर होने वाले खर्च को बचा सकता है। अगर हमें आत्मनिर्भर बनना है तो ऑयल इम्पोर्ट को जीरो पर लाना ही होगा। फिलहाल देश इस पर 16 लाख करोड़ रुपए खर्च करता है, जो हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा नुकसान है।’
मारुति भी फ्लेक्स-फ्यूल व्हीकल पर काम कर रही टोयोटा के अलावा मारुति भी फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों पर काम कर रही है। कंपनी ने इस साल जनवरी में ऑटो एक्सपो में वैगन आर प्रोटोटाइप को पेश किया था। ये कार 85% एथेनॉल मिक्स फ्यूल पर चल सकती है।
स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन से बनता है एथेनॉल एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है, जो स्टार्च और शुगर के फर्मेंटेशन से बनाया जाता है। इसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में इको-फ्रैंडली फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। एथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से गन्ने के रस से होता है, लेकिन स्टार्च कॉन्टेनिंग मटेरियल्स जैसे मक्का, सड़े आलू, कसावा और सड़ी सब्जियों से भी एथेनॉल तैयार किया जा सकता है।
1G एथेनॉल : फर्स्ट जनरेशन एथेनॉल गन्ने के रस, मीठे चुकंदर, सड़े आलू, मीठा ज्वार और मक्का से बनाया जाता है।
2G एथेनॉल : सेकंड जनरेशन एथेनॉल सेल्युलोज और लिग्नोसेल्यूलोसिक मटेरियल जैसे – चावल की भूसी, गेहूं की भूसी, कॉर्नकॉब (भुट्टा), बांस और वुडी बायोमास से बनाया जाता है।
3G बायोफ्यूल : थर्ड जनरेशन बायोफ्यूल को एलगी से बनाया जाएगा। अभी इस पर काम चल रहा है।
एथेनॉल फ्यूल कार से क्या फायदा?
कम खर्चीला : एथेनॉल फ्यूल का सबसे बड़ा फायदा तो इसकी कीमत है, जो फिलहाल देश में ₹60 प्रति लीटर के आसपास है। नितिन गडकरी ने कह चुके हैं कि लॉन्च होने वाली कार 15 से 20 kmpl का माइलेज दे सकती है। इससे यह पेट्रोल की तुलना में कहीं अधिक किफायती है, जो अभी लगभग ₹120 प्रति लीटर पर बिकता है।
ईको-फ्रेंडली : पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से पेट्रोल के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। इसके इस्तेमाल से गाड़ियां 35% कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करती है। सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन भी एथेनॉल कम करता है। एथेनॉल में मौजूद 35% ऑक्सीजन के चलते ये फ्यूल नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को भी कम करता है।
इंजन की लाइफ बढ़ाता है: एथेनॉल या एथेनॉल मिक्स पेट्रोल से चलने वाली गाड़ी पेट्रोल के मुकाबले बहुत कम गर्म होती हैं। एथेनॉल में अल्कोहल जल्दी उड़ जाता है, जिसके चलते इंजन जल्द गर्म नहीं होता है। इससे इंजन की लाइफ बढ़ती है।
किसानों को फायदा : एथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। क्योंकि एथेनॉल गन्ने, मक्का और कई दूसरी फसलों से बनाया जाता है। चीनी मिलों को कमाई का एक नया जरिया मिलेगा और कमाई बढ़ेगी। एथेनॉल से किसानों को 21 हजार करोड़ रुपए का फायदा हुआ है।
सरकार को फायदा : गडकरी ने दिल्ली में एक इवेंट में कहा था ‘यह फ्यूल पेट्रोलियम के इम्पोर्ट पर होने वाले खर्च को बचा सकता है। अगर हमें आत्मनिर्भर बनना है तो ऑयल इम्पोर्ट को जीरो पर लाना ही होगा। फिलहाल देश इस पर 16 लाख करोड़ रुपए खर्च करता है, जो हमारी अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा नुकसान है।’