इस बार सावन पूर्णिमा दो दिन रहेगी। पूर्णिमा 30 अगस्त की सुबह करीब 10 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 31 अगस्त की सुबह 7.37 बजे तक रहेगी। इस वजह से रक्षाबंधन की तारीख को लेकर मतभेद हैं। इस दिन रक्षा सूत्र बांधने के साथ ही पूजा-पाठ, दान-पुण्य, नदी स्नान और तीर्थ दर्शन करने की भी परंपरा है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, शिव जी का प्रिय महीने की अंतिम यानी पूर्णिमा पर शिव जी के साथ ही चंद्र देव की भी पूजा जरूर करनी चाहिए। ये पूर्णिमा बुधवार और गुरुवार को रहेगी। इस वजह से बुधवार को गणेश जी और गुरुवार को गुरु ग्रह की विशेष पूजा करें।
सावन पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम करें
सावन पूर्णिमा यानी रक्षा बंधन पर गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, श्रीराम, श्रीकृष्ण, हनुमान जी और अपने इष्टदेव को रक्षा सूत्र जरूर बांधें। रक्षा सूत्र बांधकर भगवान से कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें।
रक्षाबंधन पर किसी पवित्र नदी में स्नान कर सकते हैं। नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए स्नान करें। इसके लिए में पानी थोड़ा गंगाजल मिलाएं और स्नान करें।
इस दिन शिव जी, विष्णु जी और श्रीकृष्ण के मंदिरों में दर्शन और पूजन करें। मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर पर ही पूजा करें। अपने शहर के आसपास किसी पौराणिक महत्व वाले मंदिर में दर्शन करने जा सकते हैं।
पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए। इस दिन देवी लक्ष्मी की परंपरा है। लक्ष्मी पूजा विष्णु जी के साथ करते हैं तो भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं। भगवान को तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
बाल गोपाल का गोमाता की मूर्ति के साथ अभिषेक करें। बाल गोपाल का माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।
पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने की भी परंपरा है। अगर आप चाहें तो रामायण, श्रीमद् भगवद् गीता, विष्णु पुराण, शिव पुराण जैसे ग्रंथों के कुछ अध्यायों का पाठ कर सकते हैं। इस दिन सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है।