अमेरिका की कोर्ट ने 2008 के मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा की तरफ से दायर याचिका को खारिज कर दिया है। इससे राणा को भारत के हवाले करने का रास्ता साफ हो गया है। भारत को सौंपे जाने से बचने के लिए पाकिस्तानी मूल के तहव्वुर राणा ने अमेरिका की कोर्ट में हेबियस कॉर्पस यानी प्रत्यक्षीकरण रिट दायर की थी।
दरअसल, लॉस एंजिलिस के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 16 मई के आदेश में कहा था कि जिन आरोपों को आधार बनाकर भारत ने तहव्वुर के प्रत्यर्पण की मांग की है, उन्हें देखते हुए उसके प्रत्यर्पण की इजाजत दी जा सकती है। हालांकि, इस फैसले के खिलाफ दायर रिट खारिज होने के बाद राणा ने नाइंथ सर्किट कोर्ट में एक और याचिका दायर की है। राणा ने गुहार लगाई है कि सुनवाई तक उसे भारत को न सौंपा जाए।
26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए हमले में 166 लोगों की मौत हुई थी। NSG कमांडो और सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 9 आतंकी भी मारे गए थे।
आतंकियों को सम्मान दिलवाना चाहता था तहव्वुर राणा
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय पर इस मामले में सवाल किया गया तो उनकी तरफ से कोई खास जवाब नहीं मिला। हालांकि, प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा है कि वो आतंकी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के पक्ष में हैं।
मई में अमेरिकी कोर्ट के 48 पेज के ऑर्डर में बताया गया था कि मुंबई आतंकी हमले में तहव्वुर राणा की भूमिका साफ होती है। कोर्ट ऑर्डर के दस्तावेजों के मुताबिक, राणा मुंबई हमले के बाद के दिनों में बेफिक्र हो गया था। वह चाहता था कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों को पाकिस्तान का सबसे ऊंचा सैन्य सम्मान दिया जाए।
हमले के मास्टर माइंड डेविड हेडली के बचपन का दोस्त है तहव्वुर
कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकारी वकीलों ने तर्क दिया कि तहव्वुर इस हमले के मास्टर माइंड डेविड हेडली का बचपन का दोस्त है, और उसे पता था कि हेडली लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर काम कर रहा है। हेडली की मदद करके और उसे आर्थिक मदद पहुंचाकर तहव्वुर आतंकी संस्था और उसके साथ आतंकियों को भी सपोर्ट कर रहा था।
राणा को जानकारी थी कि हेडली किससे मिल रहा है, क्या बात कर रहा है। उसे हमले की प्लानिंग और कुछ टारगेट्स के नाम भी पता थे। अमेरिकी सरकार ने कहा है कि राणा इस पूरी साजिश का हिस्सा था और इस बात की पूरी आशंका है कि उसने आतंकी हमले को फंडिंग देने का अपराध किया है।
अमेरिकी वकीलों ने कोर्ट में दलील दी कि राणा को जानकारी थी कि हेडली किससे मिल रहा है, क्या बात कर रहा है। उसे हमले की प्लानिंग और कुछ टारगेट्स के नाम भी पता थे।
हमले में मारे गए 9 आतंकियों को निशान-ए-हैदर दिलवाना चाहता था
कोर्ट की तरफ से जारी किए गए प्रत्यर्पण के ऑर्डर के मुताबिक, इस हमले का एक सह आरोपी राणा से दुबई में मिला था। 25 दिसंबर 2008 को उसने हेडली को एक मेल लिखकर पूछा कि राणा कैसा है? क्या वो घबराया हुआ है या रिलैक्स्ड है? अगले दिन हेडली ने जवाब दिया था कि राणा एकदम बेफिक्र है और मुझे भी समझा रहा है कि मैं न घबराऊं।
7 सितंबर 2009 को राणा ने हेडली से कहा था कि मुंबई हमले में मारे जाने वाले 9 आतंकियों को पाकिस्तानी सेना का सबसे ऊंचा सम्मान निशाने-हैदर दिया जाना चाहिए। उसने हेडली से यह भी कहा था कि मुंबई हमले की साजिश में मदद करने वाले एक साथी को बताए कि उसे टॉप-क्लास का मेडल मिलना चाहिए।
सरकारी वकील बोले- तहव्वुर के खिलाफ पर्याप्त सबूत
सरकारी वकील ने कहा कि लश्करे-तैयबा के हमले में 166 लोग मारे गए थे, जिसमें 6 अमेरिकी लोग शामिल थे। आतंकियों ने हत्या करने की मंशा से ऐसे काम किए जिससे लोगों की मौत हुई, या कम से कम आतंकियों को अपने एक्शन से जुड़े खतरों की जानकारी तो रही होगी। ऐसे में पुख्ता प्रमाण है कि ये केस मर्डर के सभी पैमानों को पूरा करता है।
हालांकि, तहव्वुर के वकील ने इन सभी आरोपों को नकारते हुए प्रत्यर्पण का विरोध किया।
इस पर जज ने कहा कि भारत ने राणा पर केस दर्ज किया है और उसके खिलाफ अरेस्ट वॉरंट जारी किया गया है, इसी आधार पर अमेरिका में कार्रवाई हो रही है। राणा पर लगाए गए आरोपों में युद्ध छेड़ने और मर्डर करने की साजिश रचने, धोखा देने के इरादे से जालसाजी करना, आतंकी गतिविधि को अंजाम देने जैसे मामले शामिल हैं। जज ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ऐक्सट्रैडीशन यानी प्रत्यर्पण संधि हुई है। राणा का भारत प्रत्यर्पण इसी संधि के तहत किया जाएगा।