इसरो आज यानी 18 अगस्त को शाम करीब 4 बजे चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को डीबूस्टिंग के जरिए थोड़ी निचली कक्षा में लाया जाएगा। डीबूस्टिंग यानी स्पेसक्राफ्ट की रफ्तार को धीमी करना। ये प्रोसेस 20 अगस्त को भी होगी। इसके बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 30 किमी रह जाएगी। सबसे कम दूरी से ही 23 अगस्त को शाम 5:47 बजे सॉफ्ट लैंडिंग होगी।
इससे पहले 17 अगस्त को चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया था। सेपरेशन के बाद लैंडर ने प्रोपल्शन मॉड्यूल से कहा- ‘थैक्स फॉर द राइड मेट’। प्रोपल्शन मॉड्यूल अब चंद्रमा की कक्षा में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन्स का अध्ययन महीनों तक करेगा। जबकि लैंडर-रोवर सतह पर 14 दिन तक पानी की खोज सहित अन्य प्रयोग करेंगे।
चंद्रयान-3 जब चंद्रमा की 153 Km X 163 Km की कक्षा में था तो उसके प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर-रोवर से अलग किया गया। ग्राफिकल रिप्रेजेंटेशन
तीन सवालों के जवाब…
5 अगस्त को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था यान
22 दिन के सफर के बाद चंद्रयान 5 अगस्त को शाम करीब 7:15 बजे चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा था। तब उसकी स्पीड कम की गई थी, ताकि यान चंद्रमा की ग्रैविटी में कैप्चर हो सके। स्पीड कम करने के लिए इसरो वैज्ञानिकों ने यान के फेस को पलटकर थ्रस्टर 1,835 सेकेंड यानी करीब आधे घंटे के लिए फायर किए। ये फायरिंग शाम 7:12 बजे शुरू की गई थी।
चंद्रयान ने चांद की तस्वीरें कैप्चर कीं
चंद्रयान ने जब पहली बार चंद्रमा की कक्षा में एंट्री की थी तो उसकी ऑर्बिट 164 Km x 18,074 Km थी। ऑर्बिट में प्रवेश करते समय उसके ऑनबोर्ड कैमरों ने चांद की तस्वीरें भी कैप्चर की थीं। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर इसका एक वीडियो बनाकर शेयर किया।
इसरो ने चंद्रयान पर लगे कैमरों से ली गई तस्वीरों का एक वीडियो बनाकर शेयर किया था। इन तस्वीरों में चंद्रमा के क्रेटर्स साफ-साफ दिख रहे हैं।
मैं चंद्रयान-3 हूं… मुझे चांद की ग्रैविटी महसूस हो रही है
मिशन की जानकारी देते हुए इसरो ने X पोस्ट में चंद्रयान के भेजे मैसेज को लिखा था, ‘मैं चंद्रयान-3 हूं… मुझे चांद की ग्रैविटी महसूस हो रही है।’ इसरो ने यह भी बताया था कि चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है।’ 23 अगस्त को लैंडिंग से पहले चंद्रयान को कुल 4 बार अपनी ऑर्बिट कम करनी है। वो रविवार को एक बार ऑर्बिट कम कर चुका है।
थ्रस्टर तब फायर किए जब ऑर्बिट में चंद्रमा के सबसे करीब था चंद्रयान
इसरो ने बताया था कि पेरिल्यून में रेट्रो-बर्निंग का कमांड मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX), ISTRAC, बेंगलुरु से दिया गया था।
अब तक का चंद्रयान-3 का सफर…
इस मिशन को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है:
1. पृथ्वी से उसकी कक्षा तक का सफर
2. पृथ्वी की कक्षा से चंद्रमा की कक्षा का सफर
3. चंद्रमा की कक्षा से लैंडिंग तक का सफर