हरियाणा के फतेहाबाद में दो दिन पहले हुए विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस समारोह में जींद के भाजपा विधायक डॉ.कृष्ण मिड्ढा के विवादित बोल सामने आए हैं। कार्यक्रम में सीएम मनोहर लाल मुख्यातिथि थे। विधायक मिड्ढा ने कहा कि RSS ने समुदाय विशेष के लोगों को काट कर ट्रेन में भरकर पाकिस्तान भेजा था। इस बयान पर वे विवाद से घिरते हुए दिख रहे हैं। सीएम ने भी बयान से पल्ला झाड़ लिया है।
भाजपा विधायक डॉ.कृष्ण मिड्ढा ने 14 अगस्त को फतेहाबाद में विभाजन के दौरान हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि 1947 में जब मारकाट नहीं रुकी तो आरएसएस के लोगों ने भी यहां से समुदाय विशेष के लोगों को काट कर एक ट्रेन में भरकर कर पाकिस्तान भेजने का काम किया। वहीं जब उनके इस बयान को लेकर सीएम मनोहर लाल से सवाल किया तो उन्होंने भी इस पर कन्नी काटते हुए कहा कि यह कृष्ण मिड्ढा का बयान हो सकता है, मेरा इस पर कोई कमेंट नहीं है।
MLA मिड्ढा ने ये कहा
हमारे बहुत से लोग यह सोचकर कि वापस आएंगे, इसलिए उन्होंने अपना सोना-चांदी भी वहीं मिट्टी में दबा दिया, बहुत से लोग ट्रेनों में आए तो देखा कि बंटवारे के समय शरारती तत्व बहन बेटियों की इज्जत को लूट रहे हैं। सोच कर भी कलेजा कांप जाता है कि हमारे बुजुर्गों ने अपने हाथों से अपनी बहू बेटियों को रोटी में जहर देने काम किया, ताकि कोई उनकी आबरु न लूट सके।
विधायक ने कहा कि किसी न किसी तरीके से लोग ट्रेन के माध्यम से यहां पहुंचे और अन्य रास्तों से आए। जब लगातार ट्रेनों में बुरा हाल होता रहा, लोगों को मारे जाता रहा तो आरएसएस के लोगों ने भी लोगों से भरी एक ट्रेन को काट कर वापस पाकिस्तान भेजने का काम किया, तब जाकर वो लोग रुके।’
विभाजन के वक्त का बयां किया दर्द
दरअसल विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस में कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल मुख्यातिथि थे। जिसमें सभी वक्ताओं ने विभाजन के दौरान लोगों, खासकर पंजाबियों ने जो दर्द झेला, उस पर अपनी बात रखी थी। इसी दौरान कृष्ण मिड्ढा ने कहा कि ‘जब देश का विभाजन हुआ, लोगों ने जान गंवाई, उनकी याद में कार्यक्रम करने का काम किया। बंटवारा हुआ तो किस प्रकार से लोग उधर से इधर आए, ट्रेनों में किस प्रकार हमारे परिवार व बुजुर्गों को मौत के घाट उतारा गया।
विधायक बोले- RSS की भूमिका अच्छी रही
विधायक कृष्ण मिड्ढा से इसको लेकर बात की गई तो उन्होंने कहा कि यहां ट्रेनें कट कर आ रही थी, फिर यहां से भी ऐसी कार्रवाई करके भेजी तो तब यह मामला शांत हुआ। उस समय गदर था, जो जिसकी मदद करेगा, उसका नाम ही लेंगे। उस समय के बुजुर्ग बताते हैं कि आरएसएस ने मदद की थी। अंतिम संस्कार करवाए।
उन्होंने कहा कि आरएसएस की भूमिका अच्छी रही, तभी लोगों ने बताया, वही मैंने कहा, जो बुजुर्गों से सुना। अकेले आरएसएस ने नहीं किया, बल्कि जो उस समय हिंसा रोकने के लिए जुनून में थे, उन्होंने भी यही किया।