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लोन महंगे नहीं होंगे, EMI भी नहीं बढ़ेगी:रेपो रेट 6.50% पर बरकरार, FY24 में महंगाई अनुमान 5.1% से बढ़ाकर 5.4% किया

भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को रेपो रेट में इजाफा न करने का फैसला किया। यानी ब्याज दर 6.50% बनी रहेगी। लगातार तीसरी बार RBI ने दरों में बदलाव नहीं किया है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में लिए फैसलों की जानकारी दी।

RBI ने वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में महंगाई का अनुमान 5.1% से बढ़ाकर 5.4% कर दिया है।। इसके अलावा वित्त वर्ष 2023-24 में रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 6.5% पर बरकरार रखा है। Q1 में 8%, Q2 में 6.5%, Q3 में 6% और Q4 में 5.7% GDP रह सकती है।

पिछले वित्त वर्ष में रेपो रेट 6 बार में 2.50% बढ़ी
मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। पिछले वित्त वर्ष-2022-23 की पहली मीटिंग अप्रैल-2022 में हुई थी। तब RBI ने रेपो रेट को 4% पर स्थिर रखा था, लेकिन RBI ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाकर 4.40% कर दिया था।

22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था। इसके बाद 6 से 8 जून को हुई मीटिंग में रेपो रेट में 0.50% इजाफा किया। इससे रेपो रेट 4.40% से बढ़कर 4.90% हो गई। फिर अगस्त में इसे 0.50% बढ़ाया गया, जिससे ये 5.40% पर पहुंच गई।

सितंबर में ब्याज दरें 5.90% हो गई। फिर दिसंबर में ब्याज दरें 6.25% पर पहुंच गई। इसके बाद वित्त वर्ष 2022-23 की आखिरी मॉनेटरी पॉलिसी की मीटिंग फरवरी में हुई, जिसमें ब्याज दरें 6.25% से बढ़ाकर 6.50% कर दी गई थीं।

रेपो रेट में बदलाव न होने से लोन महंगे नहीं होंगे, EMI भी नहीं बढ़ेगी
RBI के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, RBI रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को RBI से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में RBI रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को RBI से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। इस उदाहरण से समझते हैं। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थीं तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में RBI ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।

महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता बरकरार
RBI गवर्नर ने कहा कि महंगाई को लेकर चिंता और अनिश्चितता अभी भी बरकरार है। RBI के अनुमान के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 (FY24) में महंगाई 4% के ऊपर ही रहने की संभावना है। RBI ने महंगाई अनुमान को FY24 में 5.1% से बढ़ाकर 5.4% कर दिया है।

जानिए महंगाई के आंकड़े क्या कहते हैं?

1. जून में रिटेल महंगाई 4.81%
जून में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 4.81% पर आ गई थी। मई में महंगाई दर 4.25% रही थी। जून में सब्जियों की ऊंची कीमतों के कारण महंगाई बढ़ी थी। असमान मानसूनी बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचाया है जिससे दाम बढ़े हैं। कंज्यूमर फूड प्राइस इंडेक्स (CPI) जून में बढ़कर 4.49% पर पहुंच गया। मई में ये 2.96% था। वहीं अप्रैल में यह 3.84% रहा था।

2. थोक महंगाई दर -4.12% रही थी
जून महीने में थोक महंगाई दर यानी होलसेल प्राइस इंडेक्स (WPI) घटकर -4.12% पर आ गई थी। लगातार तीसरे महीने WPI में गिरावट दर्ज की गई है। थोक महंगाई का यह 8 साल का सबसे निचला स्तर था। इससे पहले अक्टूबर 2015 में ये -3.81% रही थी। मई महीने में यह -3.48% पर थी। वहीं पिछले साल जून 2022 में थोक महंगाई दर 15.18% पर रही थी।

जून में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 4.81% पर आ गई है। टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में इजाफे से महंगाई बढ़ी है

जून में रिटेल महंगाई दर बढ़कर 4.81% पर आ गई है। टमाटर और अन्य सब्जियों की कीमतों में इजाफे से महंगाई बढ़ी है

महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए, यदि महंगाई दर 7% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 93 रुपए होगा। इसलिए, महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

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