मणिपुर में स्थानीय पुलिस और असम राइफल्स आमने-सामने हो गए हैं। दोनों के बीच टकराव बढ़ गया है। दोनों के बीच बहस के कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर सामने आ चुके हैं।
इस बीच, राज्य के एडीजी ने बिष्णुपुर जिले के मोइरंग लमखाई चेकपॉइंट से असम राइफल्स को हटाने और उसकी जगह पुलिस और सीआरपीएफ को तैनात किया है।
यह कदम मैतेई महिलाओं के संगठन मेइरा पाइबीस के असम राइफल्स को हटाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन के बाद उठाया गया है।
संगठन का आरोप है कि असम राइफल्स कुकी समुदाय की तरफदारी कर रहा है। मैतेई समुदाय की मांग को मणिपुर के भाजपा विधायक का भी समर्थन मिल रहा है।
असम राइफल्स ने कहा- कमांड मुख्यालय के निर्देश का पालन कर रहे थे
पुलिस ने असम राइफल्स जवानों के खिलाफ कुकी उग्रवादियों के विरुद्ध ऑपरेशन में रुकावट डालने के आरोप में 5 अगस्त को एफआईआर दर्ज की थी। इसे लेकर असम राइफल्स ने कहा है कि उसने सेना के कमांड मुख्यालय के निर्देशों का पालन किया था।
असम राइफल्स ने बताया कि उन्हें बफर जोन की गाइडलाइंस को बनाकर रखने के निर्देश मिले थे, जिससे दोनों समुदायों में संघर्ष को रोका जा सके। असम राइफल्स का ये भी कहना है कि एक अन्य घटना को लेकर उसको निशाना बनाया जा रहा है, जबकि वहां सेना की इन्फैंट्री बटालियन तैनात है।
7 अगस्त को इंफाल में महिलाओं ने असम राइफल्स का पुतला जलाया था।
सूत्रों के मुताबिक, असम राइफल्स पर निशाना बनाया जा रहा
सूत्रों ने कहा कि मैतेई लोगों को रोकने के कारण असम राइफल्स कुकी हमलावरों का तरफदार बताकर निशाना बनाया जा रहा है। हिल्स एरिया में कई जगह असम रायफल्स के कैंप कुकी-जो सू-संगठनों के ठिकानों के समीप हैं। इन्हें सोशल मीडिया में दिखा दोनों की मिलीभगत का आरोप लगाया जा रहा है।
कुकी-मैतेई के बीच का बॉर्डर है बफर जोन
मणिपुर में 5 अगस्त को सुरक्षाबलों और मैतेई समुदाय के बीच झड़प हुई थी। इस दौरान तीन लोगों की मौत हो गई। ये हिंसक झड़प टेराखोंगसांगबी कांगवे और थोरबुंग में हुई। यह इलाका कुकी-मैतेई के बीच का बॉर्डर है, जो बफर जोन कहलाता है। हमलावर बफर जोन क्रॉस करने की कोशिश कर रहे थे। सुरक्षाबलों ने जब रोका तो इनके बीच झड़प हो गई।
इस दौरान फायरिंग भी की गई। सुरक्षाबलों को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। तीन लोगों की मौत के बाद इलाके में तनाव बढ़ गया। थोरबंग एरिया में पहाड़ों से फायरिंग की गई। मोर्टार से भी हमला किया गया। इसके बाद भीड़ ने कई रास्ते जाम कर दिए।
बिष्णुपुर में मैतेई समुदाय की महिलाओं ने 3 अगस्त को बफर जोन को पार करने का प्रयास किया। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोका। इस दौरान दोनों में झड़प हुई।
अमित शाह से मिले कुकी-जो समुदाय के लोग
बुधवार को मणिपुर के इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के एक डेलिगेशन ने नई दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। मुलाकात के बाद इस फोरम के नेताओं ने बताया कि राज्य में और अधिक सुरक्षा बल की तैनाती की जाएगी ताकि संवेदनशील इलाकों में शांति बहाली की जा सके।
ITLF ने ये भी बताया कि हिंसा में मारे गए कुकी-जो समुदाय के लोगों के शव दफनाने के लिए वे जल्द ही दूसरी जगह तय करेंगे। मृतकों के शवों को 3 अगस्त को दफनाया जाना था, लेकिन गृहमंत्री ने उन्हें कोई और जगह शव दफनाने की अपील की थी।
दरअसल, पिछले हफ्ते कुकी-जो समुदाय के मृतकों के शवों को दफनाए जाने को लेकर मैतेई समूह के लोगों ने विरोध प्रदेशन किया था। मैतेई लोगों ने मृतकों को दफनाने की जगह पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि सभी शव चुराचांदपुर में ही दफनाए जाएं। इसके बाद गृहमंत्रालय ने दखल दिया था और शव दफनाने का काम टाल दिया गया था।
मणिपुर हिंसा में मारे गए कुकी-जो समुदाय के लोगों के शव इंफाल में रखे हुए हैं।
4 पॉइंट्स में जानिए, मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतेई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नगा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।
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मणिपुर हिंसा में असम राइफल्स के जवानों पर FIR:आरोप- हत्या के मामले में गिरफ्तारी नहीं करने दी और पुलिस का रास्ता रोका
मणिपुर पुलिस ने केंद्रीय अर्धसैनिक बल असम राइफल्स के जवानों के खिलाफ FIR दर्ज की है। आरोप है कि असम राइफल्स के जवानों ने राज्य पुलिस को बिष्णुपुर जिले में तीन लोगों की हत्या में शामिल लोगों को गिरफ्तार करने से रोका। जवानों के खिलाफ FIR 5 अगस्त को दर्ज की गई लेकिन पुलिस ने इसकी जानकारी 8 अगस्त को दी।