परम एकादशी पर व्रत और दान करने से साल के सभी एकादशी व्रत करने जितना पुण्य मिलता है। अधिक मास की इस एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जाने-अनजाने में हुए सभी पाप खत्म हो जाते हैं। आइए जानते हैं इस एकादशी के बारे में…
12 अगस्त, शनिवार को चातुर्मास और पुरुषोत्तम महीने की एकादशी का संयोग बन रहा है। इस महीने महीने और तिथि, दोनों की ही स्वामी भगवान विष्णु हैं, इसलिए ये दिन स्नान-दान, व्रत और भगवान विष्णु पूजा के लिए बहुत खास हैं।
पद्म पुराण और श्रीमद् भागवत में कहा गया है कि अधिक मास में आने वाली कृष्ण पक्ष की एकादशी को परम एकादशी कहा जाता है। ये व्रत का शुभ प्रभाव इसके नाम के मुताबिक ही होता है। यानी सबसे ज्यादा पुण्य इस एकादशी व्रत से मिलता है।
भगवान विष्णु की पूजा का दुर्लभ संयोग
12 अगस्त को आर्द्रा नक्षत्र, एकादशी और द्वादशी दोनों तिथियां रहेंगी। इस दिन हर्षण नाम का शुभ योग रहेगा। साथ ही दोनों तिथियां होने से उन्मीलनी महाद्वादशी का दुर्लभ शुभ संयोग बन रहा है। इस महायोग में स्नान-दान, व्रत और भगवान विष्णु की पूजा से महापुण्य मिलता है।
जब एक ही दिन में एकादशी और द्वादशी, दोनों तिथियां हो जिसमें एकादशी तय समय से ज्यादा वक्त तक रहे और द्वादशी तिथी भी हो तो इसे महाद्वादशी या उन्मीलनी द्वादशी कहा जाता है। ये भगवान विष्णु की पूजा के लिए महासंयोग माना जाता है।
क्या करें, एकादशी और द्वादशी के संयोग में
इन दोनों एकादशी के स्वामी विश्वदेव हैं और ये तिथि भगवान विष्णु से ही उत्पन्न मानी जाती है। वहीं, द्वादशी के स्वामी भी भगवान विष्णु ही हैं, इसलिए इन तिथियों के संयोग वाले दिन सूर्योदय से पहले पानी में गंगाजल और तिल डालकर नहाने का विधान पुराणों में बताया है।
इस तरह के पुण्य स्नान के बाद भगवान विष्णु का अभिषेक किया जाता है। फिर दिनभर में जरुरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े और अन्य जरूरी चीजें दान करनी चाहिए।