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मोदी सरनेम केस में राहुल की सजा पर रोक:सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- अधिकतम सजा क्यों दी? राहुल ही नहीं,

सुप्रीम कोर्ट ने मानहानि केस में राहुल गांधी की 2 साल की सजा पर शुक्रवार को रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि इस बात में कोई शक नहीं कि जो भी कहा गया, वह अच्छा नहीं था। नेताओं को जनता के बीच बोलते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। यह राहुल गांधी का कर्तव्य बनता है कि इसका ध्यान रखें।

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वकील महेश जेठमलानी से भी सवाल किया था कि अधिकतम सजा क्यों दी गई। कम सजा भी दी जा सकती थी। 1 साल 11 महीने की सजा हो सकती थी। ऐसे में राहुल डिस्क्वालिफाई नहीं होते।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी- सजा की वजह बताई जानी थी, लेकिन ऑर्डर में इस पर कुछ नहीं लिखा था। इससे न केवल राहुल गांधी के राजनीतिक जीवन जारी रखने के अधिकार पर फर्क पड़ा, बल्कि उन लोगों पर भी पड़ा, जिन्होंने राहुल को चुना था।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट में 3 घंटे बहस चली। सुनवाई जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और संजय कुमार की बेंच ने की। राहुल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी और पूर्णेश मोदी की तरफ से महेश जेठमलानी ने दलीले दीं।

राहुल को गुजरात की सेशन कोर्ट ने 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाई थी। जिसके चलते राहुल की सांसदी चली गई थी। बाद में राहुल ने हाईकोर्ट का रुख किया। उन्हें वहां भी राहत नहीं मिली। 7 जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने अपने फैसले में दो साल की सजा बरकरार रखी। आखिर में 15 जुलाई को राहुल ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली।

3 अप्रैल को राहुल ने सूरत की सेशन कोर्ट में लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई की याचिका दाखिल की थी। तस्वीर उसी दिन की है।

3 अप्रैल को राहुल ने सूरत की सेशन कोर्ट में लोअर कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुनवाई की याचिका दाखिल की थी। तस्वीर उसी दिन की है।

कोर्ट रूम LIVE
राहुल के वकील: मानहानि केस के चलते राहुल गांधी को 8 साल के लिए चुप करा दिया गया? लोकतंत्र में मतभेद होते हैं। हिंदी में बोलें तो हम इसे शालीन भाषा कहते हैं। मैं यह समझता हूं और मुझे नहीं लगता कि राहुल गांधी की नीयत किसी को मोदी सरनेम वाले सभी लोगों को नीचा दिखाने की थी। नैतिक पतन की बात आ रही है। ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है। यह गंभीर अपराध नहीं है, जमानत दिए जाने वाला केस है। ये ऐसा मामला कैसे बन गया, जिसमें नैतिक पतन शामिल हो?

राहुल के वकील: ये कोई गंभीर अपराधी नहीं हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं ने ना जाने कितने केस दर्ज करवाए, लेकिन एक के अलावा कभी कोई सजा नहीं हुई। मोदी कम्युनिटी में जो लोग भी राहुल के बयान से खफा हैं, सिर्फ भाजपा नेता और कार्यकर्ता हैं। इनके खिलाफ आरोप है ही नहीं। यह एक गंभीर मसला है, क्योंकि एक आदमी डिस्क्वालिफिकेशन झेल रहा है।

राहुल के वकील: मेरी दलीलें खत्म होने के बावजूद अदालत ने 66 दिन तक फैसला रिजर्व रखा। मैंने मई में दलीलें खत्म कीं और फैसला जुलाई में दिया गया। अभी तक केरल की सीट के लिए भी इलेक्शन कमीशन ने नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है। उन्हें लगता होगा कि जीत के चांस काफी कम हैं।

सुप्रीम कोर्ट: इस मामले को राजनीतिक मत बनाइए। सिंघवीजी और जेठमलानी जी, आप ये सारी चीजें राज्यसभा के लिए बचाकर रखिए।

राहुल के वकील: इस इवेंट का कोई एविडेंस ही नहीं है। शिकायतकर्ता को वॉट्सऐप पर एक न्यूज पेपर की कटिंग मिली और उसने शिकायत कर दी। उसने नहीं बताया कि उसे यह कटिंग कैसे मिली और किसने उसे भेजी। वास्तव में क्या हुआ, यह एविडेंस एक्ट के तहत साबित ही नहीं हुआ। इसी बीच शिकायतकर्ता हाईकोर्ट जाता है और उसे ट्रायल पर स्टे मिल जाता है ताकि वो और साक्ष्य जुटा सके। एक महीने बाद सजा सुना दी जाती है।

पूर्णेश मोदी के वकील: महेश जेठमलानी ने कहा, ‘राहुल गांधी ने क्या कहा था? अच्छा एक छोटा सा सवाल, इन सब चोरों का नाम मोदी, मोदी, मोदी कैसे है। ललित मोदी, नीरव मोदी और थोड़ा ढूंढ़ोगे तो और सारे मोदी निकल आएंगे। उनका मकसद मोदी सरनमे वाले हर आदमी का अपमान करना था। सिर्फ इसलिए, क्योंकि यह प्रधानमंत्री के नाम से मिलता है। यह पुरानी दुर्भावना से प्रेरित था।’

पूर्णेश मोदी के वकील: पूरी स्पीच 50 मिनट से ज्यादा की है। सबूतों की भरमार है। इस भाषण के क्लिपिंग्स इलेक्शन कमीशन के रिकॉर्ड में दर्ज है।

सुप्रीम कोर्ट: कितने राजनेता हैं, जो यह याद रखते हैं कि एक दिन में 15-20 सभाएं की हैं तो उनमें क्या कहा है?

सुप्रीम कोर्ट: हम जानना चाहते हैं कि जज ने अधिकतम सजा क्यों दी। अगर जज ने 1 साल 11 महीने की सजा दी हो ती तो राहुल गांधी को डिसक्वालिफाई नहीं किया जाता।

पूर्णेश मोदी के वकील: राहुल गांधी ने जब कहा था कि प्रधानमंत्री पर टॉप कोर्ट में राफेल मामले में आरोप लगा था। इस बयान पर उन्हें चेतावनी दी गई थी, लेकिन उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया।

सुप्रीम कोर्ट: क्या ये बात विचार योग्य नहीं है कि अधिकतम सजा के चलते एक सीट बिना प्रतिनिधित्व के रह जाएगी। यह सिर्फ एक ही व्यक्ति के अधिकार तक ही सीमित रहने वाला मामला नहीं है, ये उस सीट के वोटरों के अधिकार से भी जुड़ा मसला है। ट्रायल जज को बताना था कि उन्होंने अधिकतम सजा क्यों दी, लेिकन इस पर उन्होंने कुछ कहा ही नहीं।

राहुल के इस बयान के चलते उनको 2 साल की सजा सुनाई गई थी।

सुप्रीम कोर्ट में दो बार हो चुकी सुनवाई…

21 जुलाई : 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका देने के बाद सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने 21 जुलाई को इस मामले पर पहली सुनवाई की। सुनवाई शुरू करने से पहले जस्टिस गवई ने कहा कि उनके पिता कांग्रेस से जुड़े हुए थे और भाई भी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। ऐसे में उनके सुनवाई करने से किसी पक्ष को कोई आपत्ति तो नहीं है। इस पर दोनों पक्षों ने कहा कि उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है।

राहुल के वकील अभिषेक सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि राहुल गांधी एक संसद सत्र में शामिल नहीं हो पाए और मानसून सत्र भी निकला जा रहा है। वायनाड लोकसभा क्षेत्र के लिए जल्द ही उपचुनाव भी घोषित किए जा सकते हैं। ऐसे में मामले में जल्द सुनवाई की जानी चाहिए।

सिंघवी ने राहुल के लिए अंतरिम राहत की मांग भी की। इस पर कोर्ट ने कहा कि वे दूसरे पक्ष को सुने बिना अंतरिम राहत नहीं दे सकते।

2 अगस्त : 2 अगस्त को इस केस में सुप्रीम कोर्ट में दोबारा सुनवाई हुई थी। पहली सुनवाई में कोर्ट ने दोनों पक्षों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। पूर्णेश मोदी ने कोर्ट में 21 पेज का हलफनामा दायर करते हुए कहा कि मोदी सरनेम केस में राहुल का रवैया अहंकारी है। उनकी याचिका खारिज कर देनी चाहिए।

राहुल ने कोर्ट में जवाब दाखिल कर बताया था कि कानूनी प्रकिया का दुरुपयोग हुआ है। माफी मांगने से मना करने पर मुझे अहंकारी कहा गया, ये निंदनीय है।

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