सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (4 अगस्त) को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में यस बैंक के फाउंडर राणा कपूर की जमानत याचिका खारिज कर दी है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि इस मामले ने पूरे बैंकिंग सिस्टम को हिलाकर रख दिया है। कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) 3,642 करोड़ रुपए के यस बैंक घोटाले की जांच में इतना समय क्यों ले रहा है।
अगर ED की जांच में इतना समय लग रहा है, तो कुछ गलत है
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, ‘इस मामले ने भारतीय बैंकिंग सिस्टम को हिलाकर रख दिया है। यस बैंक मुश्किल में पड़ गया और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को निवेशकों की सुरक्षा के लिए आगे आना पड़ा था।’ उन्होंने आगे कहा, ‘आपको ऐसे मामलों को प्राथमिकता पर लेना होगा, जहां भारी दांव हो और बड़ी संख्या में लोग शामिल हों। अगर ED की जांच में इतना समय लग रहा है तो कुछ गलत है।’
सैकड़ों शेल कंपनियां हैं, जांच में लंबा समय लग रहा: ASG
इसके जवाब में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने कहा, ‘सैकड़ों शेल कंपनियां हैं। जांच में लंबा समय लग रहा है, क्योंकि हम विदेशों से जानकारी हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।’
8 मार्च 2020 से सलाखों के पीछे हैं राणा कपूर: सीनियर एडवोकेट
इस बीच राणा कपूर की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा, ‘बैंक को मुश्किल में डाल दिया गया था, लेकिन किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल तक सलाखों के पीछे रखने का कोई कारण नहीं है। राणा कपूर 8 मार्च 2020 से सलाखों के पीछे हैं। उन्हें तीन साल से ज्यादा समय से कैद में रखा गया है। वे न्यूनतम संभव सजा से ज्यादा सजा भुगत चुके हैं।’
एक बार जमानत मिल गई तो मुकदमा कभी खत्म नहीं होगा: SC
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘एक बार उन्हें जमानत मिल गई तो मुकदमा कभी खत्म नहीं होगा।’ वहीं ASG ने अदालत को बताया कि यह एक कॉम्प्लिकेटेड इन्वेस्टिगेशन है। जब कोर्ट ने कहा कि उसे मामले में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है, तो अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह कभी न खत्म होने वाली जांच है और PMLA कोर्ट पर अत्यधिक बोझ है।
DHFL मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राणा कपूर मार्च 2020 से जेल में बंद हैं
सिंघवी ने आगे कहा कि पब्लिक फंड्स की कोई हानि नहीं हुई है और राणा कपूर ने 2019 में ऑफिस छोड़ दिया था। अपेक्स कोर्ट के जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार करने के बाद कपूर ने इसे वापस ले लिया है। DHFL मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राणा कपूर मार्च 2020 से जेल में बंद हैं।
यह मामला बैंक के अधिकारियों द्वारा रिटेल इन्वेस्टर्स को बैंक के AT1 (एडिशनल टियर-1) बांड की गलत बिक्री से जुड़ा है। यह आरोप लगाया गया था कि बैंक और कुछ अधिकारियों ने इन्वेस्टर्स को सेकेंडरी मार्केट में AT1 बांड बेचते समय इसमें शामिल जोखिम के बारे में नहीं बताया था। AT1 बांड की बिक्री 2016 में शुरू हुई और 2019 तक जारी रही थी।