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19 साल बाद सावन अधिक मास की पूर्णिमा आज:1 अगस्त को बन रहे हैं दुर्लभ योग, जानिए कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं

आज (मंगलवार, 1 अगस्त) सावन अधिक मास की पूर्णिमा है। 1 अगस्त को धर्म-कर्म के नजरिए से 5 शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सावन, अधिक मास, पूर्णिमा, मंगलवार और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का शुभ योग रहेगा। ये पूर्णिमा दुर्लभ और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने वाली है। दुर्लक्ष इसलिए, क्योंकि सावन महीने का अधिक मास 19 साल बाद आया है।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, अधिक मास की पूर्णिमा पर पूजा-पाठ के साथ ही अन्य शुभ काम भी जरूर करना चाहिए। इस दिन किए गए शुभ कामों से घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। सावन शिव जी का माह है, अधिक मास को विष्णु जी ने अपना नाम पुरुषोत्तम दिया है। इस कारण ये पूरा अधिक मास और खासतौर पर इस महीने की पूर्णिमा शिव जी और विष्णु जी की भक्ति करने के लिए बहुत खास है। जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…

  1. इस तिथि पर नदी स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। स्नान के बाद घर के आसपास जरूरतमंद लोगों को अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-पुण्य जरूर करें।
  2. सुबह सूर्य को जल जरूर चढ़ाएं। इसके लिए तांबे के लोटे का उपयोग करें। लोटे में जल के साथ ही लाल फूल और चावल भी डालें, इसके बाद ऊँ सूर्याय नम: बोलते हुए अर्घ्य चढ़ाएं।
  3. पूर्णिमा पर शिव जी के साथ ही चंद्र देव की भी पूजा करनी चाहिए। चंद्र देव की प्रतिमा न हो तो शिव जी के मस्तक पर विराजित चंद्र की पूजा करें। दूध चढ़ाएं, चंदन से तिलक लगाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल आदि शुभ चीजें चढ़ाएं। मिठाई का भोग लगाएं और धूप-दीप जलाकर आरती करें।
  4. पूर्णिमा की शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्र देव को जल और दूध से अर्घ्य दें। अर्घ्य चांदी के लोटे से देंगे तो बेहतर रहेगा। चांदी का लोटा न हो तो मिट्टी के छोटे कलश से अर्घ्य दे सकते हैं। इसके बाद चंद्र की पूजा करें।
  5. अपने शहर के आसपास शिव जी, विष्णु जी और श्रीकृष्ण के पौराणिक मंदिरों में दर्शन और पूजन करें। शिव पूजा में सभी बारह ज्योतिर्लिंगों का ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से पूजा जल्दी सफल हो सकती है। ऐसी मान्यता है।
  6. मंगलवार हनुमान जी का जन्म वार है। इसलिए इस दिन हनुमान जी की पूजा खासतौर पर करनी चाहिए। हनुमान का सिंदूर और चमेली के तेल से श्रृंगार कर सकते हैं। हनुमान जी प्रतिमा को चोला चढ़वा सकते हैं। भगवान को मिठाई का भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और राम नाम का जप करें। सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  7. पूर्णिमा पर विष्णु जी और महालक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए। इस तिथि पर देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करने की परंपरा है। लक्ष्मी पूजन विष्णु जी के साथ किया जाए तो भक्तों की मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो सकती हैं।
  8. अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करें, इसके लिए केसर मिश्रित दूध का इस्तेमाल करना चाहिए। भगवान का तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें।
  9. बाल गोपाल का गोमाता की मूर्ति के साथ अभिषेक करें। बाल गोपाल का माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।

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