म्यांमार में सेना ने बढ़ाया आपातकाल, चुनाव टाले:सू की को मिली माफी पर नहीं होंगी रिहा; तख्तापलट के बाद 6 हजार ने गंवाई जान

म्यांमार में 2021 में तख्तापलट कर चुकी सेना ने वहां आपातकाल का समय 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है। म्यांमार में इमेरजेंसी 31 जुलाई को खत्म होने वाली थी। इससे पहली ही सेना के नेतृत्व वाली नेशनल डिफेंस और सिक्योरिटी काउंसिल ने बैठक कर आपातकाल बढ़ाने की घोषणा कर दी। सेना ने अगस्त में होने वाले चुनाव को भी टाल दिया है।

वहीं, स्टेट मीडिया के मुताबिक सेना ने तख्तापलट से पहले म्यांमार की नेता रही आंग सान सू की को उनके गुनाहों के लिए माफ कर दिया है। आंग सान सू की को सेना ने 5 अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराकर 33 साल की सजा दी थी। अब वो उन 7 हजार लोगों में से हैं जिन्हें सेना की तरफ से माफी दी गई है। हालांकि, सेना आंग सान सू की को पूरी तरह रिहा न कर उन्हें हाउस अरेस्ट में ही रखा जाएगा।

तस्वीर म्यांमार के मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग की है।(फाइल फोटो)

तस्वीर म्यांमार के मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग की है।(फाइल फोटो)

2 साल पहले सेना ने किया था तख्तापलट
म्यांमार में सेना ने 1 फरवरी 2021 को तख्तापलट कर दिया था। वहां की लोकप्रिय नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग ने खुद को देश का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया था। सेना ने देश में 2 साल के आपातकाल की घोषणा की थी।

चुनाव के बाद से सरकार-सेना में था मतभेद
दरअसल, म्यांमार में नवंबर 2020 में आम चुनाव हुए थे। इनमें आंग सान सू की पार्टी ने दोनों सदनों में 396 सीटें जीती थीं। वहीं विपक्ष की यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी ने दोनों सदनों में मात्र 33 सीटें ही जीतीं। इस पार्टी को सेना का समर्थन हासिल था।

नतीजे आने के बाद सेना ने इस पर सवाल खड़े कर दिए। सेना ने चुनाव में सू की की पार्टी पर धांधली करने का आरोप लगाया था। चुनाव नतीजों के बाद से ही सरकार और सेना के बीच मतभेद शुरू हो गया, जिसके बाद सेना ने तख्तापलट कर दिया था।

तस्वीर म्यांमार की सेना के हवाई हमले में मारे गए लोगों की है।

तस्वीर म्यांमार की सेना के हवाई हमले में मारे गए लोगों की है।

म्यांमार में तख्तापलट के बाद से सेना ने 6000 लोगों को मारा
पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक म्यांमार में साल 2021 में हुए तख्तापलट के बाद से सेना 6000 लोगों को मार चुकी है। म्यामांर लगातार विरोधियों को फांसी की सजा भी दे रहा है। द गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक म्यामांर में हवाई हमले रोज की कहानी बनते जा रहे हैं। सेना अपने विरोधियों को ढूंढ़ने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। इसके चलते वो आम लोगों को निशाना बना रही है।

म्यामांर विटनेस की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 6 महीनों में वहां 135 से ज्यादा इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। हवाई हमलों में मरने वाले ज्यादातर छोटे बच्चे हैं। UN के मुताबिक एयर रेड से परेशान होकर वहां 11 लाख लोग अपना घर छोड़ने को मजबूर हुए हैं।

म्यांमार के मीडिया पोर्टल द इर्रावाडी के मुताबिक वहां 40 साल बाद पिछले साल जुलाई में मौत की सजा दी गई थी। सरकार ने एक्टिविस्ट को जिम्मी, नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के लॉमेकर को फ्यो जेया थॉ समेत दो और लोगों को फांसी पर लटकाया था। एक अनुमान के मुताबिक म्यांमार की सेना ने एक साल में 100 से ज्यादा लोगों को मौत की सजा दी है।

म्यांमार मिलिट्री को भारत से मिले 420 करोड़ के हथियार
म्यांमार की मिलिट्री ने 2021 में तख्तापलट के बाद 1 बिलियन डॉलर यानी 8 हजार करोड़ के हथियार खरीदे हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ के एक्सपर्ट के मुताबिक ये खरीद म्यांमार की सेना ने उस पर लगी पाबंदियों के बावजूद की है। ज्यादातर हथियार रूस, चीन और सिंगापुर की कंपनियों से खरीदे गए हैं। वहीं, भारत की कंपनियों से भी म्यांमार की सेना को पिछले 2 सालों में 420 करोड़ के हथियार और उससे जुड़ा सामान मिला है।

UN की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बात के पुख्ता सुबूत हैं कि सेना ने इन हथियारों का इस्तेमाल लोगों के खिलाफ हिंसा करने में किया है। इसके बावजूद कुछ देशों ने बिना रुके सेना को हथियार पहुंचाए हैं।

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