व्रत-उपवास और पूजा-पाठ के नजरिए से शनिवार (29 जुलाई) बहुत खास है। इस दिन सावन अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी है। इसे पद्मिनी एकादशी कहते हैं। हिन्दी पंचांग में हर तीन साल में एक बार अधिक मास आता है, लेकिन सावन महीने का अधिक मास 19 साल बाद आया है। सावन शिव जी का प्रिय महीना है और अधिक मास में भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, पूरे अधिक मास में भगवान विष्णु की भक्ति खासतौर पर की जाती है। इस महीने की एकादशी का महत्व काफी ज्यादा है। इस तिथि पर किए गए व्रत-उपवास से विष्णु जी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, ऐसी मान्यता है। जानिए पद्मिनी एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं…
इन देवी-देवताओं का करें अभिषेक
पद्मिनी एकादशी पर शिव जी और देवी पार्वती, गणेश जी, भगवान विष्णु और महालक्ष्मी, शनिदेव का अभिषेक करना चाहिए। शिव जी, देवी पार्वती और गणेश जी का अभिषेक जल, दूध और फिर जल से करें। विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक केसर मिश्रित दूध से करें। शनिदेव का अभिषेक सरसों के तेल से करें।
ऐसे कर सकते हैं पूजा
देवी-देवताओं का अभिषेक करने के बाद हार-फूल, वस्त्र आदि चढ़ाएं। देवताओं को जनेऊ पहनाएं। देवियों को लाल चुनरी और सुहाग का सामान भेंट करें। शिव जी, देवी पार्वती और गणेश जी को बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, दूर्वा भेंट करें। विष्णु-लक्ष्मी को तुलसी खासतौर पर चढ़ाएं। शनिदेव को नीले फूल और शमी के पत्ते चढ़ाएं।
देवी-देवताओं का श्रृंगार करने के बाद चंदन से तिलक करें। मिठाई का भोग लगाएं। नारियल अर्पित करें। मौसमी फल चढ़ाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें।
पूजा-पाठ के साथ करें ये शुभ काम
पूजन के बाद देवी-देवताओं के मंत्रों का जप करें। जप के साथ ही ध्यान भी करेंगे तो बेहतर रहेगा। जरूरतमंद लोगों को अनाज, धन, जूते-चप्पल, छाता और कपड़ों का दान करें। इस दिन शिव पुराण, विष्णु पुराण, रामायण, श्रीमद् भगवद् गीता जैसे ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ भी कर सकते हैं।