हरियाणा में पहलवानों के बाद अब मुक्केबाजों के एशियाई खेलों के लिए सेलेक्शन पर विवाद छिड़ गया है। एशियाई खेलों में बिना ट्रायल मुक्केबाजों के चयन को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर खेल मंत्रालय ने अपना जवाब दाखिल किया है। मंत्रालय ने खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया में अपनी भूमिका होने से साफ इनकार कर दिया है।
जवाब में कहा गया है कि चयन के सभी अधिकार स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के पास हैं। मंत्रालय के निदेशक शिव प्रताप सिंह तोमर ने हलफनामा दाखिल करके बताया कि मंत्रालय का खिलाड़ियों के चयन में कोई दखल नहीं है। चयन का जिम्मा फेडरेशन को दिया गया है। चयन के लिए मानक या नीति तय करने का अधिकार भी उनके पास ही है। साथ ही बताया कि प्रतिभागियों का नाम भेजने की अंतिम तिथि 15 जुलाई थी और इसके लिए नाम भेजे जा चुके हैं।
इन दिन मुक्केबाजों ने लगाई थी याचिका
हरियाणा के ओलंपियन मुक्केबाज अमित पंघाल, रोहित मोर और सागर ने 51 किलोग्राम, 57 किलोग्राम व 92 किलोग्राम वर्ग में दीपक, सचिन व नरेंद्र के एशियाई खेलों में चयन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याची पक्ष ने कोर्ट को बताया कि भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता 2011 के तहत प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में खिलाड़ियों के चयन के लिए ट्रायल का प्रावधान है।
वहीं बाक्सिंग फेडरेशन आफ इंडिया ने राष्ट्रीय कोचिंग शिविर, विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेल 2023 के लिए चयन मानदंडों को मनमाने रूप से बदल दिया है। विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों में मुक्केबाजों के चयन का फैसला ट्रायल के बजाय व्यक्तिगत मूल्यांकन के आधार पर किया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि इन प्रतियोगिताओं के लिए जिन खिलाड़ियों का चयन किया गया, वह उनसे (याचिकाकर्ताओं) से हार चुके हैं। याचिका में अपील की गई थी कि प्रतियोगिता के लिए नाम बिना ट्रायल नहीं भेजने का आदेश दिया जाए, लेकिन मंत्रालय ने साफ कर दिया कि नाम एक सप्ताह पहले ही भेजे जा चुके हैं।