वैगनर आर्मी की बगावत के बाद से पुतिन लगातार लोगों के बीच जा रहे हैं। रविवार को एक रूसी दुल्हन से मिलते हुए पुतिन का वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। वीडियो में बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशेंको भी उनके साथ हैं। वीडियो रूस के क्रोंसटाट शहर की है, जिसे रूसी मीडिया हाउस RT ने शेयर किया है।
वीडियो में पुतिन शादी के बाद चर्च से बाहर आई ब्राइड के साथ फोटो खिंचवाते दिखाई दे रहे हैं। वहीं पुतिन को देखने और उनसे मिलने के लिए भीड़ जुटी दिखाई दे रही है। प्रिगोजिन के तख्तापलट की कोशिशों के बाद पुतिन पहले के मुकाबले ज्यादा पब्लिक में दिख रहे हैं। 4 जुलाई को उन्होंने एक 8 साल की बच्ची को मुलाकात के लिए अपने ऑफिस बुलाया था। पुतिन ने फाइनेंस मिनिस्टर को कॉल कर बच्ची की उनसे बात भी कराई थी।
तस्वीर 8 साल की बच्ची से अपने ऑफिस में मिलते हुए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की है।
36 घंटे की बगावत का पुतिन की इमेज पर असर
पिछले महीने रूस की प्राइवेट मिलिट्री ने पुतिन के खिलाफ बगावत कर दी थी। वैगनर के चीफ और कभी पुतिन के रसोइये रह चुके येवगेनी प्रिगोजिन ने अपने लड़ाकों के साथ रूस के रोस्तोव शहर पर कब्जा कर लिया था और रूस की ओर बढ़ गए थे। हालांकि, ये बगावत 36 घंटे के भीतर खत्म हो गई।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इसका पुतिन की ताकतवर नेता वाली छवि पर काफी असर पड़ा था। जर्मनी और पश्चिमी देश के नेताओं ने कहा था कि प्रिगोजिन की बगावत से रूस पर पुतिन की पकड़ कमजोर हुई ।
ग्रेन डील पर पहली बार बोले पुतिन
वैगनर की बगावत के बाद पुतिन न सिर्फ लोगों से मिल रहे हैं। बल्कि उन्होंने मीडिया के सामने ज्यादा आना भी शुरू कर दिया है। पुतिन ने रविवार को यूक्रेन के साथ खत्म की ग्रेन डील पर पहली बार चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच जंग शुरू होने के बाद हुई ब्लैक सी डील का मकसद ही खत्म हो गया था। इसे लेकर जेलेंस्की ने बुधवार को नाटो काउंसिल की एक बैठक भी बुलाई है।
जेलेंस्की के स्पोक्सपर्सन ने कहा था- रूस के अलग होने से हमें कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हम ब्लैक सी के जरिए सप्लाई जारी रखेंगे। इसमें UN की मदद लेते रहेंगे। हमने शिपिंग कंपनियों से बातचीत की है और वो सप्लाई के लिए तैयार हैं। तुर्किये के रास्ते दुनिया को अनाज पहुंचाना जारी रखा जाएगा।
जानें क्या है वो ग्रेन डील जिससे रूस ने खुद को बाहर किया…
रूस-यूक्रेन जंग के बाद अफ्रीकी देशों में अनाज की भारी कमी हो गई थी। जंग के बाद यूक्रेन से अनाज और तेल बीजों का निर्यात लगभग बंद हो गया था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे लेकर चेतावनी दी थी।
उन्होंने कहा था- अगर युद्ध लंबा खिंचा और रूस, यूक्रेन से अनाज की सप्लाई सीमित रही तो करोड़ों लोगों के गरीबी के जाल में फंसने का खतरा है। राजनीतिक अशांति बढ़ेगी, बच्चों की शारीरिक वृद्धि प्रभावित होगी और भुखमरी फैलेगी।
इसकी वजह ये थी कि काफी देश यूक्रेन से गेहूं इम्पोर्ट करते हैं, जो ब्लैक सी के जरिए किया जाता है। जंग के शुरुआती दिनों में रूस और यूक्रेन ब्लैक सी से गुजरने वाले एक-दूसरे के जहाजों पर हमला करने लगे थे। जिससे सप्लाई चेन ठप पड़ गई थी।
हालात बिगड़ते देख तुर्किये और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों के बीच एक डील कराई थी। डील के तहत रूसी सेना यूक्रेन के बंदरगाहों पर हमला नहीं करेगी। तुर्की और संयुक्त राष्ट्र जहाजों का निरीक्षण करेंगे जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके की रूसी हथियार यूक्रेन न लाए जा रहे हों।