18 जुलाई से शुरू हो रहे अधिमास में 15 दिन शुभ योग रहेंगे। मंगलवार, पुष्य नक्षत्र और वर्धमान योग में शुरू हुए अधिमास के आखिरी दिन 16 अगस्त तक खास मुहूर्त और योग बन रहे हैं।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक अधिमास के दौरान खरीदारी और नई शुरुआत के लिए 18 दिन शुभ रहेंगे। सर्वार्थसिद्धि योग 6 दिन, द्विपुष्कर योग 1 दिन, रवियोग 9 दिन और पुष्य नक्षत्र 2 दिन तक आ रहा है। पुष्य नक्षत्र भी सोम और मंगल पुष्य होंगे।
पौराणिक सिद्धांतों के मुताबिक इस महीने के दौरान यज्ञ-हवन के अलावा श्रीमद् भागवत पुराण, देवी भागवत, विष्णु पुराण, हरिवंश पुराण और भविष्योत्तर पुराण का पाठ करना और सुनना खासतौर से फलदायी होता है। अधिमास के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं, इसीलिए इस पूरे समय में विष्णु मंत्रों का जाप विशेष लाभकारी होता है।
सर्वार्थसिद्धि योगः ये योग सारी मनोकामनाएं पूर्ण करने व सफलता देने वाला होता है। अधिमास में 6 दिन यानी 23, 28, 30 जुलाई, 9, 14 और 15 अगस्त को 2023 को ये योग रहेगा।
द्विपुष्कर योगः द्विपुष्कर योग ज्योतिष में खास माना जाता है। इस योग में किसी भी काम का दोगुना फल मिलता है, ऐसी मान्यता है। 25 जुलाई को द्विपुष्कर योग रहेगा।
रवियोगः रवियोग के बारे में ज्योतिष ग्रंथों की मान्यता है कि इस योग में की गई खरीदारी और नई शुरुआत लंबे समय तक फायदा देने वाली होती है। 20, 21, 22, 23, 24, 27, 28, 31 जुलाई और 7 अगस्त 2023 को रवियोग रहेगा।
पुष्य नक्षत्रः इस बार अधिमास में दो दिन पुष्य नक्षत्र का होना शुभ रहेगा। 18 जुलाई को पुष्य नक्षत्र में इस शुभ महीने की शुरुआत हुई। अब 14-15 अगस्त को सोम और मंगल पुष्य का संयोग रहेगा। ये ऐसी तारीखें होंगी, जब कोई भी आवश्यक शुभ काम किया जा सकता है।
अधिमास को पुरुषोत्तम मास क्यों कहते हैं?
पौराणिक कथाओं के मुताबिक बचे हुए दिनों से मिलकर बना महीना होने से इसे मल कहा गया है। वहीं, ज्योतिष के मुताबिक सूर्य अलग-अलग रूप में हर महीने का स्वामी होता है। लेकिन अधिक मास में संक्रांति नहीं होती, इसलिए इस महीने का स्वामी सूर्य नहीं है।
इस कारण इसे मलमास कहा गया, लेकिन भगवान विष्णु ने इसे अपना नाम देकर पुरुषोत्तम मास कहा। साथ ही ये आशीर्वाद दिया कि जो इस माह में भागवत कथा श्रवण, मनन करेगा, वह अक्षय फल प्रदान करने वाला होगा।