हर तीन साल में आने वाला अधिक मास इस बार सावन में है। ये 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा। अधिकमास की वजह से इस बार गणेश चतुर्थी, जन्माष्टमी, नवरात्रि दशहरा – दीपावली त्योहार करीब 19 दिन देरी से आएंगे। 19 साल पहले 2004 में सावन अधिकमास था। अगला सावन अधिक मास 2042 में पड़ेगा।
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के मुताबिक अधिकमास को पुरुषोत्तम मास या मलमास भी कहा जाता है। इसमें दान-व्रत, उपवास भागवत पारायण, नवाह्न पारायण किए जा सकेंगे। इनका अभय फल प्राप्त होताहै। भागवत पारायण का विशेष महत्व है, लेकिन इसमें प्रतिष्ठा, व्रत उद्यापन, विवाहऔर फल प्राप्ति की इच्छा से किए जाने वाले काम धर्मशास्त्रों में वर्जित हैं।
इसलिए आता है अधिकमास-
डॉ. मिश्र के मुताबिक हमारे व्रत-त्योहार सूर्य और चंद्रमा की चाल से तय होते हैं, लेकिन इन दोनों ग्रहों की गति एक जैसी नहीं होने से हर 33 महीनों के बाद एक अधिकमास आता है।
पृथ्वी 365 दिन 6 घंटे में सूर्य का चक्कर लगाती है और चंद्रमा 354 दिन 23 घंटे में पृथ्वी का चक्कर लगता है। इस तरह हर साल सौर कैलेंडर और चंद्र कैलेंडर में 10 दिन और 21 घंटे, 20 मिनट का अंतर आ जाता है, जो तीन साल में 31 दिन और कुछ घंटों का हो जाता है। इस कारण हिंदू कैलेंडर में तकरीबन तीन साल बाद इसे एक एक्स्ट्रा महीने के तौर पर जोड़ दिया जाता है। जिसे अधिक मास कहते हैं।