मल्टीप्लेक्स चेन PVR आइनॉक्स (INOX) ने खाने-पीने के सामानों की कीमतों में 40% तक कटौती की है। बीते दिनों कंपनी को सोशल मीडिया पर उसे अपनी दरों को लेकर विरोध का सामना करना पड़ा था। कंपनी ने अब 99 रुपए से शुरू होने वाले फूड कॉम्बो पेश किए हैं।
वहीं, GST काउंसिल ने 11 जुलाई को सिनेमा हॉल में खाने-पीने की चीजों के बिल पर लगने वाले GST को 18% से घटाकर 5% कर दिया है। इस फैसले का पॉजिटिव असर मल्टीप्लेक्स चेन्स के बिजनेस पर दिख सकता है, जिन्हें OTT प्लेटफॉर्म्स से कड़ी चुनौती मिल रही है।
इस साल की शुरुआत में OTT से मुकाबले के लिए आइनॉक्स और PVR ने मर्जर कर लिया था। मर्जर के बाद ये 1500 से ज्यादा स्क्रीन्स के साथ भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की 5वीं बड़ी मल्टीप्लेक्स चेन बन गई। टॉपर पर ANC थिएटर्स है जिसकी 10,500 स्क्रीन है।
कंपनी की वेबसाइट के अनुसार अभी भारत और श्रीलंका के 114 शहरों में उसकी 360 प्रॉपर्टीज पर 1600 से ज्यादा स्क्रीन्स हैं। हाल ही में उसने दिल्ली और अहमदाबाद में 15 स्क्रीन्स ओपन की हैं। अगले 5 साल में स्क्रीन्स की संख्या को 3,000 से 4,000 तक ले जाने का प्लान है।
ऐसे में यहां हम मल्टीप्लेक्स बिजनेस क्या चैलेंज फेस कर रहे हैं, उस बारे में बता रहे हैं। आखिर PVR-आइनॉक्स को साथ क्यों आना पड़ा? मल्टीप्लेक्स चेन्स फिल्म दिखाने के अलावा किन-किन चीजों से कमाई करती है। चलिए इन सवालों के जवाब जानते हैं…
PVR-INOX को साथ क्यों आना पड़ा?
दोनों कंपनियों के साथ आने की 3 बढ़ी वजह हैं:
1. OTT प्लेटफॉर्म से मुकाबला: 2018 में OTT मार्केट 2,590 करोड़ रुपए का था। कोरोना महामारी के दौरान इसमें तेजी से ग्रोथ आई। भारत में अभी OTT मार्केट लगभग ₹10,500 करोड़ रुपए का हो चुका है। यानी 5 साल में यह 300% बढ़ा है। 2030 में इसके ₹30,000 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। ऐसे में OTT से मुकाबले के लिए मर्जर जरूरी था।
साल 2018 में ग्रॉस बॉक्स ऑफिस रेवेन्यू 11,100 करोड़ रुपए रहा था। 2020 में कोरोना महामारी के कारण यह घटकर 2,400 करोड़ और 2021 में 3,200 करोड़ रुपए रह गया। साल 2022 में इसमें रिकवरी दिखी और ये बढ़कर 11,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। यानी 2018 में रेवेन्यू जितना था, अभी भी उतना ही है। दूसरी ओर, इस दौरान OTT में 300% की ग्रोथ देखने को मिली।
2. खर्च कम करना, प्रॉफिट बढ़ाना: मर्जर से कंपनी को कॉस्ट ऑप्टिमाइजेशन में मदद मिलेगी। यानी बिजनेस वैल्यू बढ़ाते हुए खर्च में कमी लाना। बिजनेस के लॉन्ग टर्म सर्वाइवल के लिए ये जरूरी है। PVR आईनॉक्स ने जनवरी-मार्च क्वार्टर में 334 करोड़ रुपए का नेट लॉस और 1,143 करोड़ का रेवेन्यू दर्ज किया था। FY21 में PVR का रेवेन्यू 91% और INOX का 92% गिर गया था।
दोनों ब्रांड्स के बीच प्रति व्यक्ति फूड एंड बेवरेज रेवेन्यू में बड़े अंतर था। IDBI कैपिटल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि PVR के लिए यह 93 रुपए और आईनॉक्स के लिए 75.2 रुपए था। यानी 24% का अंतर। अब दोनों ब्रांड मर्ज हो गए हैं, तो फूड एंड बेवरेज रेवेन्यू बढ़ सकता है। एम्प्लॉई कॉस्ट में भी कमी आने की उम्मीद है।
3. सिनेमा एक्सपीरिएंस बेहतर करना: कंपनी के नॉन एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सिद्धार्थ जैन कहते हैं- ‘हमें बड़े पर्दे पर आने की आदत बरकरार रखनी होगी और यह तभी संभव है जब हम सिनेमा के अनुभव को बेहतर बनाएंगे।’ वहीं MD अजय बिजली कहते हैं-
मल्टीप्लेक्स 3 बड़े चैलेंज फेस कर रहे हैं?
1. सिनेमाघरों में कम फुटफॉल: स्टैटिस्टा के अनुसार, साल 2018 में भारत में 94.5 करोड़ लोग सिनेमाघर पहुंचे। कोविड से ठीक पहले 2019 में ये संख्या 103 करोड़ थी। 2020 में लॉकडाउन के कारण ये संख्या घटकर 22.5 करोड़ रह गई। साल 2022 में इसमें रिकवरी आई और ये 89.2 करोड़ पर पहुंच गई। यानी 5 साल पहले 2018 में जो फुटफॉल था, वहां तक भी संख्या नहीं पहुंच पाई हैं।
2. ऑडियंस का शिफ्टिंग ट्रेंड: हिंदी सिनेमा इंडस्ट्री इस समय ऑडियंस के शिफ्टिंग ट्रेंड का सामना कर रही है। लोग साउथ मूवीज की तरफ माइग्रेट हो रहे हैं। कोरियन मूवीज में भी लोगों का इंटरेस्ट बढ़ा है। बड़ी संख्या में बॉलीवुड फिल्में फ्लॉप हुईं है। एमके ग्लोबल की एक रिपोर्ट में इसका कारण खराब कंटेंट क्वालिटी को बताया है।
3. ‘बॉयकॉट’ कैंपेन और टिकट की ऊंची कीमत: एमके ग्लोबल के मुताबिक, सोशल मीडिया पर एक्टिव ‘बॉयकॉट’ कैंपेन और टिकट की ऊंची कीमतों ने सिनेमाघरों में दर्शकों की संख्या को प्रभावित किया है। इससे मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन ओनर्स को नुकसान उठाना पड़ा है। आदिपुरुष, ब्रह्मास्त्र, राम सेतु, पठान जैसी फिल्मों को अलग-अलग कारणों से बॉयकॉट झेलना पड़ा था। हालांकि, पठान इसके बावजूद ब्लॉकबस्टर रही।
अब बात मर्जर की….
PVR-INOX का मर्जर कब और कैसे हुआ?
27 मार्च 2022 को PVR और आईनॉक्स लीजर ने देश में सबसे बड़ी मल्टीप्लेक्स चेन बनाने के लिए मर्जर डील की घोषणा की। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, स्टॉक एक्सचेंज, सेबी और शेयरधारकों की मंजूरी के बाद 6 फरवरी 2023 को इनका मर्जर हो गया। मर्जर के बाद बनी कंपनी का नाम PVR INOX रखा गया।
PVR के CMD अजय बिजली नई कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर बन गए और आइनॉक्स के डायरेक्टर सिद्धार्थ जैन को नॉन-एग्जीक्यूटिव नॉन-इंडिपेंडेंट डायरेक्टर बनाया गया। मर्जर को कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया से अप्रूवल की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि दोनों कंपनियों का कंबाइन्ड रेवेन्यू कोरोना महामारी के कारण 1,000 करोड़ रुपए से कम था।
तब दोनों की 109 शहरों में 1,546 स्क्रीन थीं
मर्जर के समय आईनॉक्स 72 शहरों की 160 प्रॉपर्टीज में 675 स्क्रीन ऑपरेट करता था, जबकि PVR 73 शहरों में 181 प्रॉपर्टीज में 871 स्क्रीन ऑपरेट करता था। ऐसे में नई कंपनी 109 शहरों की 341 प्रॉपर्टीज में 1,546 स्क्रीन ऑपरेट करने वाली सबसे बड़ी फिल्म एग्जीबिशन कंपनी बन गई। इसके कॉम्पिटिटर कार्निवल सिनेमाज और सिनेपोलिस इंडिया के पास 450 और 417 स्क्रीन थीं।
75% से ज्यादा स्क्रीन महानगरों और टियर-1 शहरों में
PVR आइनॉक्स की 75% से ज्यादा स्क्रीन महानगरों और टियर-1 शहरों में हैं। पूरे भारत में अभी PVR-आइनॉक्स को मिलाकर 9,500 से ज्यादा स्क्रीन्स हैं। कंपनी का टियर-2 और टियर-3 शहरों में अपनी पहुंच बढ़ाने का प्लान है। वहीं नई कंपनी में शेयर अलॉटमेंट की रिकॉर्ड डेट 17 फरवरी 2023 रखी गई थी। मर्जर के तहत आईनॉक्स के 10 शेयरों के लिए PVR के 3 शेयर मिले।
PVR INOX कमाई कैसे करती हैं?
PVR-INOX जैसे मल्टीप्लेक्स तीन तरीकों से कमाई करते हैं:
1990 के दशक में शुरू हई थी PVR
अजय बिजली ने 26 अप्रैल 1995 में प्रिया विलेज रोड शो लिमिटेड बनाई थी। इसके कॉमर्शियल ऑपरेशन की शुरूआत जून 1997 में हुई थी। 28 जून 2002 को प्रिया और विलेज रोड शो अलग हो गई और कंपनी का नाम बदल कर PVR लिमिटेड कर दिया गया। अजय बिजली के परिवार के पास दिल्ली में एक थिएटर था। कंपनी ने पुणे में अपना पहला मल्टीप्लेक्स स्थापित किया था।
1999 को आइनॉक्स लीजर की शुरुआत हुई थी
INOX ग्रुप की शुरुआत देवेन्द्र कुमार जैन ने की थी, जब उन्होंने 1963 में ट्रेडिंग बिजनेस से आगे जाने का फैसला किया। 9 नवंबर 1999 को आइनॉक्स लीजर की स्थापना हुई थी। 11 फरवरी 2000 को इसे सर्टिफिकेट ऑफ कमेंसमेंट ऑफ बिजनेस मिला था। इस ग्रुप की मल्टीप्लेक्स जर्नी 2002 में बुंड गार्डन पुणे से शुरू हुई थी।