इस संक्रांति का पुण्यकाल तुला लग्न में शुरू हो रहा है। चर लग्न होने से इस समय किए गए शुभ कामों का फल लंबे समय तक मिलेगा। यानी स्नान-दान से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होगा।
इस समय की कुंडली में भाग्य, कर्म और लाभ के स्वामी ग्रहों में आपसी संबंध बन रहा है। जिसके चलते किए गए पुण्य कमों का फायदा लंबे समय तक मिलेगा। साथ ही इस दिन ध्रुव नाम का शुभ योग बन रहा है। तिथि, नक्षत्र और ग्रहों के शुभ संयोग में खरीदारी का मुहूर्त भी रहेगा।
रविवार को अर्घ्य और स्नान-दान से बढ़ेगा पुण्य
रविवार को तीर्थ स्नान के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने और जरुरमंद लोगों को दान देने का पुण्य फल और बढ़ जाएगा। क्योंकि इस दिन का स्वामी सूर्य होता है। इस दिन सावन महीने की चतुर्दशी तिथि रहेगी।
इस तिथि के कारण भी इस पर्व का महत्व और बढ़ जाएगा। क्योंकि इस दिन सावन महीने की पहली शिवरात्रि रहेगी। संक्रांति और शिवरात्रि का संयोग दुर्लभ माना जाता है। शिव पुराण के मुताबिक इस पर्व पर भगवान सूर्य और शिवजी की पूजा करने से शारीरिक परेशानियां दूर होने लगती हैं और उम्र भी बढ़ती है।
इस दिन तिल का खास महत्व
सूर्य ग्रह सत्ता, प्रबंध, सरकार का स्वामी माना जाता है। इनकी पूजा करने से ऐश्वर्य अधिकार मिलते हैं। डॉ. मिश्र के मुताबिक संक्रांति के दिन तिल का खास महत्व रहता है। इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में तिल डालकर नहाना चाहिए।
सूर्योदय के समय सूर्यदेव को मीठे जल में तिल डालकर अर्घ देना चाहिए। दिन में दूध-पानी में तिल मिलाकर तर्पण करने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। तिल का दान और फिर प्रसाद के रूप में तिल खाने चाहिए।