अभी सावन महीना चल रहा है और इन दिनों में शिव जी की पूजा करने का महत्व है। अगर कोई व्यक्ति अशांत है तो उसे शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाना चाहिए। मंत्र जप करना चाहिए। ऐसा करने से मन शांत हो सकता है। ऐसा प्राचीन ऋषि सुतजी ने अपने साथी ऋषियों को बताया था।
एक कथा के मुताबिक, पुराने समय में सूतजी नाम के एक ऋषि थे। वे अपने साथी ऋषियों को, शिष्यों को कथा सुनाया करते हैं, जीवन में सुख-शांति पाने के सूत्र बताया करते थे। उनकी कथा सुनने काफी लोग रोज उनके आश्रम पहुंचते थे।
एक दिन कुछ ऋषि भी सूतजी की कथा सुन रहे थे। कथा के बीच में एक ऋषि ने सूतजी से प्रश्न पूछा कि कृपया बताइए हमें शांति कैसे मिल सकती है? इंसान निराशा से कैसे बच सकता है? सभी लोगों के जीवन में इतनी समस्याएं हैं तो व्यक्ति अशांत ही रहता है।
सूतजी ने जवाब दिया कि सुख-शांति पाना चाहते हैं तो हमें प्रवचन सुनना चाहिए, भगवान का ध्यान करें, भजन करें। ये तीन कामों से निराशा खत्म होती है और मन शांत होता है।
ये उत्तर सुनने के बाद उस ऋषि ने फिर पूछा कि अगर कोई व्यक्ति ये तीन काम न कर सके तो उसे क्या करना चाहिए?
सुतजी ने जवाब दिया कि अगर ये तीन काम कर पाएं तो शिवलिंग की पूजा करें। शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाया जाए तो भी मन को शांति मिल सकती है।
इस कथा के मुताबिक, जो लोग भक्ति भाव से शिवलिंग पर जल-दूध चढ़ाते हैं, उनकी अशांति दूर हो सकती है और जीवन में सुख-शांति आ सकती है।
ऐसे चढ़ा सकते हैं शिवलिंग पर जल
शिवलिंग पर जल चढ़ाने के लिए तांबे के लोटे का उपयोग करना चाहिए। दूध चढ़ाना चाहते हैं तो चांदी के लोटे का उपयोग करेंगे तो बेहतर रहेगा। जल चढ़ाते समय शिव जी के मंत्र ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। जल पतली धार के साथ चढ़ाना चाहिए। पूजा करते समय नकारात्मक विचारों से बचना चाहिए। पूजा पूरी एकाग्रता के साथ करनी चाहिए। एकाग्र मन के साथ की गई पूजा जल्दी सफल होती है।