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सावन में विष्णु पूजा का पर्व:जानिए कामिका एकादशी की पूजा विधि, इस दिन व्रत-दान से मिलता है कभी न खत्म होने वाला पुण्य

गुरुवार, 13 जुलाई को सावन महीने की एकादशी का व्रत किया जाएगा। जिसका नाम कामिका एकादशी है। पुराणों में कहा गया है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

भीष्म पितामह ने देवर्षि नारद को बताया था कि इस एकादशी व्रत की कथा सुनना वाजपेय यज्ञ करने के समान होता है। इस व्रत से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। जो इस एकादशी पर श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाते हैं, वो हर तरह के पापों से दूर रहते हैं।

श्रीकृष्ण, अर्जुन को इस व्रत के बारे में बताते हैं कि कामिका एकादशी व्रत से कोई भी इंसान कुयोनि में जन्म नहीं लेता। यानी दूसरे जन्म में मनुष्य के अलावा किसी और रूप में पैदा नहीं होता।

कामिका एकादशी की पूजा विधि…

1. इस तिथि पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर नहाएं। इसके बाद उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। फिर एकादशी व्रत, पूजा और दान का संकल्प लें। पीपल और तुलसी में जल चढ़ाकर घी का दीपक लगाएं और पेड़ की परिक्रमा करें।

2. भगवान विष्णु की पूजा करने से पहले घी का दीपक लगाएं। फिर शंख में पहले शुद्ध पानी भरकर भगवान का अभिषेक करें। फिर दूध और पंचामृत से दोबारा अभिषेक करें और बाद में शुद्ध पानी से भगवान को नहलाएं। भगवान का श्रंगार करें।

3. भगवान विष्णु को चंदन, अक्षत, गुलाब और पारिजात के फूल चढ़ाएं। मंजरी सहित तुलसी पत्र चढ़ाएं। अबीर, गुलाल और इत्र सहित पूजन सामग्री अर्पित करें। मौसमी फल, हलवा या किसी भी मिठाई का नैवेद्य लगाकर आरती करें और प्रसाद बांटे।

सावन में आने वाली एकादशी होती है पर्व
सावन महीने में आने वाली एकादशियों को पर्व भी कहा जाता है। इस पवित्र महीने में भगवान नारायण की पूजा करने से सभी देवों, गंधर्व और सूर्य की भी पूजा हो जाती है। सावन के कृष्ण पक्ष में आने वाली इस एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी पत्र चढ़ाने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इस दिन तीर्थ स्नान और दान से कई गुना पुण्य फल मिलता है।

स्कंद पुराण में बताया गया है कि सावन महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी पर व्रत, पूजा और दान से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं, लेकिन जानबूझकर दोबारा कोई पाप या अधर्म नहीं होगा, ऐसा संकल्प भगवान विष्णु के सामने लेने पर ही इसका फल मिलता है। ये व्रत साल की सभी एकादशियों में खास माना गया है।

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