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करनाल में यमुना के हालात खराब:लगातार बढ़ रहा वाटर लेवल, गढ़पर टापू का टूटा बांध नहीं हुआ बंद, 8 गांव और डूबे पानी में

हरियाणा के करनाल जिले में यमुना नदी के हालात खराब हैं। इंद्री में यमुना नदी उफान पर है। यमुना के तटों पर बसे गांवों बाढ़ आ चुकी है। सोमवार शाम को गांव गढ़पर टापू का बांध टूट गया था, जो अबतक बंध नहीं पाया है, जिस कारण आस-पास के करीब 8 गांवों में पानी पहुंच गया।

गांव कलसौरा में 2 से तीन 3 पानी भरा है। इसके अलावा लबकरी, डेरा हलवाना, डबकोली, बीबीपुर बाह्रामण, बदरपुरा व सिंकदर पुर गांवों की गलियों व खेतों में खड़ी फसल डूब् गई। ऐसे में ग्रामीणों की नींद उड़ी हुई है। लोग यमुना के किनारे पर बैठ कर पहरा दे रहे हैं कि न जाने कब बाढ़ आ जाए।

गांव गढ़पुर टापू में टूटे बांध का दृश्य।

गांव गढ़पुर टापू में टूटे बांध का दृश्य।

डीसी पहुंचे निरीक्षण के लिए

DC अनीश यादव भी सुबह गांव गढ़पर में टूटी बांध का निरीक्षण के लिए पहुंचे। रात से प्रशासन द्वारा बांध को बंद करने प्रयास किए जा रहे है। लेकिन गांव तटबंध में लगातार कटावा बढ़ता जा रहा है। अगर जल्द ही तटबंध बंद नहीं हुआ तो करीब दर्जनों गांव और बाढ़ से प्रभावीत हो जाएगें।

गांव कलसोरा में घुसे पानी का दृश्य।

गांव कलसोरा में घुसे पानी का दृश्य।

घबराए हुए दहशत में हैं ग्रामीण
पहाड़ी और मैदानी इलाकों में लगातार हो रही बारिश ने यमुना के साथ-साथ छोटी बड़ी नहरों में भी उफान ला दिया है। नदियां और नहरें खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इंद्री के शेरगढ़ टापू में यमुना का बांध टूटने के बाद से ही कलसौरा सहित युमना से सटे सभी गांवों के ग्रामीणों के माथे की शिकन बढ़ती जा रही है। ग्रामीण घबराए हुए हैं। दहशत में हैं, क्योंकि यमुना का जलस्तर मुहाने पर है और महज 2 फीट का उफान गांवों को जलमग्न कर देगा। उनके गांव का भी वही हाल होगा, जो शेरगढ़ टापू के आसपास गांवों का हो रहा है।

निरीक्षण के लिए सुबह गांव गढ़पुर टापू पहुंचे DC।

निरीक्षण के लिए सुबह गांव गढ़पुर टापू पहुंचे DC।

लोगों को गुमराह कर रहा प्रशासन
डेरा सिकलीगर निवासी रमेश, सुरेश ने बताया कि सिंचाई विभाग लगातार दावा कर रहा था कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन अचानक से शेरगढ़ टापू और गढ़ी बीरबल में यमुना के बांध टूट गए। अधिकारियों के मुताबिक, सुबह करीब 3 बजे यमुना नदी में 3 लाख क्यसेक पानी आया, लेकिन आरोप है कि प्रशासन गुमराह कर रहा है, क्योंकि यमुना में 3 लाख नहीं, बल्कि 6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, क्योंकि ग्रामीण जलस्तर के अनुसार ही पानी की स्थिति बता देते हैं।

गांव गढ़ी बीरबल में तटबंध को बंद करता प्रशासन।

गांव गढ़ी बीरबल में तटबंध को बंद करता प्रशासन।

करोड़ों रुपए पानी में बहाए या फिर कागजों में
प्रशासन के बाढ़ प्रबंधों की पोल खुल चुकी है। ग्रामीण भी प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठा रहे हैं। कलसौरा निवासी प्रवीन, राहुल, जयपाल का आरोप है कि यमुना में बाढ़ प्रबंधों के लिए करोड़ों रुपए हर साल खर्च किया जाता है, लेकिन वह कहीं पर भी नजर नहीं आता। या तो वह पैसा पानी में बहा दिया जाता है या फिर प्रबंध कागजों में ही रह जाते हैं। साफ नियत से न तो सरकार काम कर रही है और न ही प्रशासन। अगर प्रबंध हुए होते तो बाढ़ में लोगों के घर न डूबते।

गांव डेरा सिकलीगर में बांध पर पहरे के लिए खड़े ग्रामीण।

गांव डेरा सिकलीगर में बांध पर पहरे के लिए खड़े ग्रामीण।

हजारों एकड़ फसल बर्बाद, लोगों के घर डूबे
हजारों एकड़ फसल पर पानी फिर गया है जिससे किसानों की चिंता बढ़ गई। उनका बड़ा नुकसान हुआ। नगली, कमालपुर रोड़ान, चंद्राव, जपती छपरा, सैयद छपरा समेत 14 गांवों में 10 से 12 फीट तक पानी भर गया है। लोग घरों की छत पर बैठे हैं। कमालपुर रोड़ान में ग्रामीणों ने फिरनी पर मिट्टी के कट्टे अड़ाकर पानी को घरों में घुसने से रोकने के प्रयास किए। बचाव दल की टीमें नाव लेकर पहुंच गईं, लेकिन नगली पुल के पास नाव को चलाने के लिए घंटों मशक्कत करनी पड़ी।

गांव शेरगढ़ टापू में मौजूद प्रशासन की टीम।

गांव शेरगढ़ टापू में मौजूद प्रशासन की टीम।

विधायक रामकुमार कश्यप ने लिया जायजा
सोमवार को विधायक रामकुमार कश्यप और अधिकारियों की टीमों ने भी बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा किया। सिंचाई विभाग के SDO रमेश कुमार भी टीमों के साथ क्षेत्र में डटे रहे। बचाव दल NDRF की टीम ने समाजसेवियों के सहयोग से बाढ़ के पानी में आम के एक बाग में फंसी 3 महिलाओं, 5 बच्चों, एक बाबा समेत कई लोगों को दोपहर बाद सुरक्षित निकाला। 3 किसानों को उत्तर प्रदेश के लोगों ने सुरक्षित निकाल लिया।

ग्रामीणोंऔर बचाव दल के सदस्यों द्वारा बाढ़ के पानी में फंसे 3 महिलाओं, 5 बच्चों, 7 श्रमिकों समेत कुल 19 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। कुछ और किसानों या ग्रामीणों के यमुना क्षेत्र के खेतों में फंसे होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री से मांग करेंगे कि किसानों को बाढ़ के कारण हुई फसलों का अधिक से अधिक मुआवजा दिया जाए।

गांव रंदौली के पास बांध पर खड़े ग्रामीण।

गांव रंदौली के पास बांध पर खड़े ग्रामीण।

घरौंडा एरिया में अलर्ट जारी
इंद्री क्षेत्र के गांवों में पानी भरने के बाद यमुना से सटे घरौंडा एरिया के गांव में अलर्ट जारी कर दिया गया है। यमुना के उफान का असर घरौंडा के गांव लालूपुरा में ज्यादा देखने को मिल रहा है। यमुना का पानी पीर बाबा की मजार तक पहुंचने वाला है। पीर बाबा की मजार यमुना के किनारे से कुछ ही मीटर दूर है, जिससे ग्रामीणों की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है। लालूपुरा के सरपंच ओमबीर, पूर्व सरपंच विकास व अन्य का कहना है कि अगर आज पानी और भी ज्यादा छोड़ दिया जाता है तो पानी किनारे तक पहुंच जाएगा और तटबंध टूटते ही पानी सीधा गांव के अंदर घुसेगा।

बाढ़ में डूबे ग्रामीणों तक राशन पहुंचाती NDRF की टीम।

बाढ़ में डूबे ग्रामीणों तक राशन पहुंचाती NDRF की टीम।

JCB मशीनों के साथ प्रशासन की टीमें मौके पर
हालांकि सिंचाई विभाग की टीम JCB मशीनों के साथ यमुना के किनारों पर काम कर रही है। लेबर से मिट्टी के कट्टे भी भरवाए जा रहे हैं। प्रशासन तो स्थिति से निपटने का दावा ठोक रहा है, लेकिन अगर बाढ़ आ जाती है तो उससे कैसे प्रशासन निपटता है, वह देखने वाली बात होगी। घरौंडा SDM अदिति ने बताया कि लालूपूरा में यमुना का जलस्तर बढ़ रहा है, जहां पर सिंचाई विभाग और स्थानीय प्रशासन तैनात है।

गांव गढ़ी बीरबल में टूटे बांध का दृश्य।

गांव गढ़ी बीरबल में टूटे बांध का दृश्य।

प्रशासन के दावों पर फिर गया पानी
सरकार द्वारा बाढ़ से निपटने के लिए करोड़ों रुपए का बजट जारी किया गया था। प्रशासनिक अधिकारियों ने भी दावा किया था कि बाढ़ से निपटने के लिए सभी तटबंध उनके द्वारा मजबूत किए गए हैं, लेकिन इंद्री में हुई तबाही से प्रशासन के सभी दावों पर पानी फिर गया। किसानों की फसल बर्बाद हो गई और लोगो के घरों में पानी घुस गया। प्रशासन अगर पहले से ही दावों की अपेक्षा जमीनी स्तर पर काम करता तो शायद आज बाढ़ की नौबत न आती, लेकिन अब सिर्फ कोसने के अलावा कुछ नहीं है।

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