सावन महीना चल रहा है। इस महीने में शिव जी का अभिषेक और विधिवत पूजा करने की परंपरा है। शिव पूजा में नंदीश्वर की भी पूजा जरूर करनी चाहिए। नंदी की प्रतिमा के कान में भक्त मनोकामनाएं कहते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं जल्दी पूरी हो जाती हैं। जानिए शिव जी के वाहन नंदी से जुड़ी खास बातें…
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य और शिव पुराण कथाकर पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, नंदी अल्पायु थे, लेकिन शिव भक्ति से इनका मरने का डर खत्म हो गया और शिव जी ने इन्हें अपना वाहन बना लिया। शास्त्रों में नंदी के जन्म की कथा है। पुराने समय में शिलाद नाम के ब्रह्मचारी ऋषि थे। शिलाद मुनि ने विवाह नहीं किया था। इस कारण उनके पितर देवता चिंतित रहते थे। पितरों की चिंता का कारण ये था कि शिलाद के बाद उनका वंश खत्म हो जाएगा।
एक दिन पितर देवता शिलाद मुनि के सामने प्रकट हुए और उन्हें अपनी ये चिंता बताई। पितर देव ने कहा कि तुम ब्रह्मचारी रहोगे तो हमारा वंश खत्म हो जाएगा। हमारा वंश आगे बढ़ सके, इसके लिए तुम्हें कुछ करना चाहिए।
पितर देवता की चिंता सुनकर शिलाद मुनि ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तप किया। शिव जी मुनि की तपस्या से प्रसन्न हो गए। शिलाद मुनि के सामने शिव जी प्रकट हुए। शिव जी शिलाद मुनि से वरदान मांगने के लिए कहा।
शिव जी से शिलाद मुनि ने वरदान में एक पुत्र मांगा। शिव जी ने शिलाद मुनि की इच्छा पूरी होने का वर दे दिया और अंतर्ध्यान हो गए।
कुछ समय बाद एक दिन शिलाद मुनि खेत में हल चला रहे थे, उस समय उन्हें खेत में से एक छोटा बच्चा मिला। शिलाद मुनि ने उस बच्चे को अपना पुत्र मान लिया और उसका नाम रखा नंदी। शिलाद मुनि नंदी का पालन करने लगे। शिलाद मुनि ने नंदी को सभी वेदों का ज्ञान दिया।
एक दिन शिलाद मुनि के आश्रम में कुछ अन्य संत-महात्मा आए। संतों ने शिलाद मुनि को तो लंबी उम्र और सुखी जीवन का आशीर्वाद दिया, लेकिन नंदी को कोई आशीर्वाद नहीं दिया। इस बारे में शिलाद मुनि ने संतों से बात की तो संतों ने बताया कि नंदी की उम्र ज्यादा नहीं है, ये अल्पायु है।
संतों की बात सुनकर शिलाद मुनि दुखी रहने लगे। जब नंदी ने पिता को दुखी देखा तो उन्होंने इस दुख की वजह से पूछी। शिलाद मुनि ने नंदी को संतों की बात बता दी। जब नंदी को मालूम हुआ कि वह अल्पायु है तो उन्होंने अपने पिता से कहा कि आप चिंता न करें। संतों की भविष्यवाणी सच नहीं होगी।
नंदी ने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए तपस्या शुरू कर दी। कठीन तपस्या से शिव जी प्रसन्न होकर नंदी के सामने प्रकट हुए। शिव जी नंदी से कहा कि तुम मेरे ही अंश हो। इसलिए तुम्हें मृत्यु से डरने की जरूरत नहीं है।
शिव जी ने नंदी से वर मांगने के लिए कहा तो नंदी ने कहा कि आप मुझे अपनी सेवा में रख लीजिए। शिव जी ने नंदी की इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें अपना वाहन बना लिया। इसके बाद नंदी शिव के वाहन बने और उनके प्रिय गण भी बन गए। तब से नंदी हर समय शिव जी के साथ ही रहते हैं। इस मान्यता की वजह से शिव जी के हर मंदिर में शिवलिंग के साथ ही नंदी भगवान की प्रतिमा भी जरूर होती है।
नंदी के कान में मनोकामना क्यों कहते हैं?
शास्त्रों में बताया गया है कि शिव जी तपस्या में बैठे रहते हैं। ऐसी स्थिति में शिव जी के भक्त जब पूजा-पाठ करते हैं तो वे अपनी मनोकामनाएं नंदी के कान में कह देते हैं। जब शिव जी की तपस्या पूरी होती है, तब नंदी शिव भक्तों की मनोकामनाएं उन्हें बता देते हैं। इसके बाद शिव जी अपने भक्तों की इच्छाएं पूरी करते हैं।