सावन में शिवजी के साथ भगवान नृसिंह, शनिदेव और हनुमान जी की भी आराधना करने का विधान है। इनकी विशेष पूजा सावन के शनिवार को की जाती है। स्कंद पुराण के मुताबिक, सावन महीने के शनिवार को इन तीनों देवताओं की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं।
इस बार सावन में 8 शनिवार: जुलाई में 8, 15, 22 और 29 तारीख को सावन शनिवार होंगे। वहीं, अगस्त में 5, 12, 19 और 26 तारीख को शनिवार रहेगा।
सावन के शनिवार को तिल के तेल से हनुमानजी और शनिदेव का अभिषेक करना चाहिए। वहीं, चंदन से नृसिंह भगवान की विशेष पूजा की जाती है। तीनों देवताओं को तिल के तेल का दीपक लगाएं। इसके बाद ब्राह्मणों को तिल से बना भोजन करवाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से मनोकामना पूरी होती है।
स्कंदपुराण: हनुमान पूजा से दुश्मनों पर जीत मिलती है
श्रावण महीने में शनिवार को हनुमानजी की आराधना करने से हर तरह की बीमारियां दूर हो जाती है। मानसिक और शारीरिक रुप से मजबूती मिलती है। हनुमानजी की कृपा से कामकाज में आ रही रुकावटें दूर हो जाती हैं। सोचे हुए काम पूरे होने लगते हैं। बुद्धि और वैभव बढ़ता है। शत्रु नष्ट हो जाते हैं और प्रसिद्धि मिलती है।
शनि और शिव पूजा
भगवान शिव, शनिदेव के गुरु हैं। शिव ने ही शनिदेव को न्यायाधीश का पद दिया था। जिसके फल स्वरूप शनि देव मनुष्यों को कर्मों के अनुसार फल देते हैं। इसलिए श्रावण के महीने में जो भी भगवान शिव के साथ साथ शनि देव की उपासना करता है। उसको शुभ फल प्राप्त होते हैं। भगवान शिव के अवतार पिप्पलाद, भैरव तथा रुद्रावतार हनुमान जी की पूजा भी शनि के प्रकोप से रक्षा करती है।
सावन शनिवार को नृसिंह पूजा
स्कन्दपुराण के अनुसार सावन शनिवार को सुबह तिल का उबटन लगाकर नहाना चाहिए। इसके बाद भगवान नृसिंह की विशेष पूजा करनी चाहिए। फिर उड़द की दाल से बनी खिचड़ी का नैवेद्य लगाना चाहिए। फिर ब्राह्मणों को भी प्रसाद का भोजन करवा कर दक्षिण देनी चाहिए। ऐसा करने से भगवान नृसिंह प्रसन्न होते हैं। धन और धान्य बढ़ता है। इसके साथ ही हर तरह का सुख भी मिलता है।