दिल्ली हाईकोर्ट ने 2,000 रुपए के नोटों को चलन से वापस लेने के RBI के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। ये जनहित याचिका एडवोकेट रजनीश भास्कर गुप्ता ने दायर की थी।
उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि RBI के पास ऐसा निर्णय लेने के लिए RBI अधिनियम के तहत कोई इंडिपेंडेंट पावर नहीं है। वहीं RBI की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट पराग त्रिपाठी ने कहा था कि RBI का हालिया फैसला नोटबंदी नहीं है और यह केवल करेंसी मैनेजमेंट की एक एक्सरसाइज है।
पूरा मामला समझें…
RBI ने 19 मई को 2000 का नोट सर्कुलेशन से वापस लेने का ऐलान किया था। इसके तीन बाद यानी 23 मई से देशभर के बैंकों में इस नोट को बदलने की प्रोसेस शुरू हो गई। लोग बैंकों में अपने नोट बदलने के लिए पहुंच रहे हैं। RBI ने 30 सितंबर तक 2000 के नोट बदलने या अकाउंट में जमा कराने को कहा है। 2000 को नोट बदलने या जमा करने के लिए किसी तरह के डॉक्यूमेंट नहीं देने हैं।
रिजर्व बैंक ने अपने सर्कुलर में कहा है कि वो 2000 का नोट सर्कुलेशन से वापस लेगा, लेकिन मौजूदा नोट अमान्य नहीं होंगे। RBI ने बताया था कि ‘क्लीन नोट पॉलिसी’ के तहत रिजर्व बैंक ने यह फैसला किया है। लोग किसी भी बैंक में एक बार में 10 नोट बदलवा सकते हैं, जबकि डिपॉजिट की कोई लिमिट नहीं है।
2,000 रुपए के 50% नोट वापस आए- RBI गवर्नर
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने 8 जून को बताया था कि 1.8 लाख करोड़ रुपए के मूल्य के 2,000 रुपए के नोट सिस्टम में वापस आ गए हैं। उन्होंने कहा था कि ये नोट कुल सर्कुलेशन का करीब 50% है। RBI ने 19 मई को नोट वापस लेने की घोषणा करते हुए बताया था कि 31 मार्च तक 2,000 रुपए के नोटों का कुल मूल्य 3.62 लाख करोड़ रुपए था।
2016 में मार्केट में आया था 2000 का नोट
2 हजार का नोट नवंबर 2016 में मार्केट में आया था। तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए थे। इसकी जगह नए पैटर्न में 500 का नया नोट और 2000 का नोट जारी किया गया था। जब पर्याप्त मात्रा में दूसरे डिनॉमिनेशन के नोट उपलब्ध हो गए तो 2018-19 में 2000 के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी।