सावन महीने के अलावा भगवान शिव की पूजा और व्रत के लिए प्रदोष तिथि को बहुत खास माना जाता है। प्रदोष यानी त्रयोदशी तिथि। शनिवार को ये तिथि होने से शनि प्रदोष का संयोग बनता है। जो कि इस बार 1 जुलाई को बन रहा है।
ग्रंथों में सावन महीने से ठीक पहले आने वाले इस प्रदोष व्रत का बहुत महत्व बताया गया है, क्योंकि इस संयोग में होने वाली शिव आराधना कई गुना फलदायी होती है।
शास्त्रों का कहना है कि प्रदोष व्रत से भगवान शिव की कृपा जल्दी मिलती है। जिससे हर तरह के सुख, समृद्धि, भोग और ऐश्वर्य मिलता है। शादीशुदा जीवन में सुख बढ़ता है। उम्र के साथ अच्छी सेहत भी मिलती है।
प्रदोष व्रत और पूजा की विधि
व्रत करने वाले को सूर्योदय से पहले उठकर नहाने के बाद भगवान शिव की पूजा और ध्यान करते हुए व्रत शुरू करना चाहिए। त्रयोदशी यानी प्रदोष व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा की जाती है। दिनभर बिना पानी पिए रहकर ये व्रत करने का विधान है, लेकिन सेहत संबंधी परेशानियों के चलते ऐसा न कर पाएं तो पानी पी भी सकते हैं।
सूर्योदय से पहले उठकर भगवान शिव की बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप सहित पूजा करें। शाम को फिर से नहाकर सफेद कपड़े पहनकर इसी तरह शिवजी की पूजा करनी चाहिए। शाम को शिव पूजा के बाद पानी पी सकते हैं।
शनि प्रदोष है खास
शनिदेव के गुरू भगवान शिव हैं, इसलिए शनि संबंधी दोष दूर करने और शनिदेव की शांति के लिए शनि प्रदोष का व्रत किया जाता है। संतान पाने की कामना के लिये शनि त्रयोदशी का व्रत खासतौर से सौभाग्यशाली माना जाता है।
इस व्रत से शनि का प्रकोप, शनि की साढ़ेसाती या ढैया का अशुभ असर कम हो जाता है। शनिवार को पड़ने वाला प्रदोष व्रत धन-धान्य और हर तरह के दुखों से छुटकारा देने वाला होता है। इस दिन दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ करने से शनि के अशुभ असर से बचा जा सकता है। इसके अलावा शनि चालीसा और शिव चालीसा का पाठ भी करना चाहिए।
प्रदोष व्रत का महत्व
सूरज डूबने के बाद और रात होने से पहले प्रदोष काल होता है। मान्यता है कि प्रदोष काल में शिव जी साक्षात शिवलिंग में प्रकट होते हैं और इसीलिए इस समय शिव का ध्यान करके उनका पूजन किया जाए तो उत्तम फल मिलता है।
प्रदोष व्रत से चंद्रमा के अशुभ असर और दोष दूर हो जाते हैं। शरीर में मौजूद चंद्र तत्व मजबूत होता है। चंद्रमा, शरीर में मौजूद पानी और मन का स्वामी है, इसलिए चंद्रमा संबंधी दोष दूर होने से मानसिक शांति और खुशी मिलती है। शरीर का ज्यादातर हिस्सा जल है इसलिए चंद्रमा के प्रभाव से शारीरिक स्वस्थता मिलती है। शनि प्रदोष पर सुबह भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद शनिदेव का पूजन करें।