तीज-त्योहार का कैलेंडर:इस हफ्ते व्रत-पर्व के तीन दिन; बुधवार को योगिनी एकादशी, गुरुवार को मिथुन संक्रांति
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शुभ संयोग वाले व्रत-उपवास के दो दिन:योगिनी एकादशी 14 को और आषाढ़ द्वादशी व्रत 15 जून को,

निर्जला और देवशयनी एकादशी के बीच योगिनी एकादशी होती है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के वामन रूप और योगी राज श्रीकृष्ण की पूजा करने का विधान है। ये व्रत 14 जून, बुधवार को रहेगा। इसके अगले दिन द्वादशी तिथि है। 15 जून, गुरुवार को द्वादशी का शुभ संयोग रहेगा। एकादशी पर दो और द्वादशी पर तीन शुभ योग रहेंगे। इसलिए इन दोनों दिनों में भगवान विष्णु की पूजा और व्रत-उपवास किए जाएंगे।

दो शुभ योगों में एकादशी व्रत
14 जून, बुधवार को दो शुभ योगों में एकादशी व्रत शुरू होगा। इस दिन सूर्योदय के समय की कुंडली में बुधादित्य और गजकेसरी नाम के दो बड़े शुभ योग बन रहे हैं। इन योगों में व्रत का संकल्प लेना शुभ रहेगा। सितारों की इस शुभ स्थिति में शुरू हुए व्रत का पुण्य दोगुना हो जाएगा। बुधवार को एकादशी होने का विशेष महत्व है। इस दिन एकादशी व्रत रखने से घर में सुख, शांति, समृद्धि आती है।

तीन शुभ योगों में द्वादशी व्रत
आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि 15 जून, गुरुवार को रहेगी। इस दिन सुकर्मा, पद्म और बुधादित्य योग रहेगा। इन शुभ योगों में स्नान-दान करने पर मिलने वाला पुण्य और बढ़ जाएगा।

आषाढ़ मास की द्वादशी पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में गंगाजल और तिल मिलाकर नहाते हैं। इसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प लिया जाता है। फिर व्रत रखकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करते हैं। पीपल में भी जल चढ़ाते हैं। दिनभर जरुरतमंद लोगों को दान किया जाता है। इस तिथि के स्वामी खुद भगवान विष्णु ही हैं। इसलिए द्वादशी तिथि पर इनकी विशेष पूजा करने का विधान है।

आषाढ़ मास के देवता हैं वामन
स्कंद पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने में भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा करने का विधान है। क्योंकि इस महीने के देवता भगवान वामन ही हैं। इसलिए आषाढ़ मास की दोनों एकादशी और द्वादशी तिथियों पर भगवान वामन की विशेष पूजा और व्रत करने की परंपरा है। वामन पुराण के मुताबिक आषाढ़ महीने के दौरान भगवान विष्णु के इस अवतार की पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संतान सुख मिलता है, जाने-अनजाने में हुए पाप और शारीरिक परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं।

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