कोलंबिया के अमेजन जंगलों में शुक्रवार को 40 दिन बाद 4 बच्चों रेस्क्यू किया गया था। शनिवार को जब ये बच्चे अपने दादा-दादी से मिले तो उन्होंने बताया कि कैसे 13 साल की बच्ची लेस्ली ने अपने 3 भाई, जो 9, 4 और 1 साल के थे, उनकी देखभाल की। लेस्ली की दादी ने कहा कि उनकी पोती बालों में लगाने वाले रिबन की मदद से कैंप बनाती थी।
दरअसल, ये बच्ची अकसर अपने घर में आंटी और छोटे भाई के साथ एक सर्वाइवल गेम खेलती थी। यहीं से उसने कैंप बनाना सीखा था। बच्चों की आंटी ने बताया कि लेस्ली को फलों के बारे में काफी जानकारी थी। अमेजन जंगलों के पास ही घर होने से उसे पता था कि कौन से फल खाए जा सकते हैं और कौन से जहरीले होते हैं।
सबसे पहले देखिए बच्चों के रेस्क्यू से जुड़ा ये फुटेज…
इसमें सेना के जवान बच्चों को एयरलिफ्ट करते नजर आ रहे हैं।
दादी बोली- मदर अर्थ ने मेरे बच्चों की रक्षा की
बच्चों से मिलने के बाद उनकी दादी फातिमा वेलेंशिया ने कहा- मदर अर्थ ने मेरे बच्चों की देखभाल की। मैं हमेशा आभारी रहूंगी। उन्होंने बताया कि जब भी बच्चों की मां काम पर जाती थी, तब लेस्ली ही अपने भाइयों की देखभाल करती थी। इसी से उन्हें जंगल में भी जिंदा रहने में मदद मिली।
राष्ट्रपति ने बच्चों और रेस्क्यू टीम से मुलाकात की
रेस्क्यू के बाद सभी बच्चों को बोगोटा के अस्पताल में भर्ती कराया गया। यहां राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने बच्चों, डॉक्टर्स और रेस्क्यू टीम से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने जवानों को अमेजन के जंगलों से बच्चों को सुरक्षित बचाने पर बधाई दी। ये परिवार गुआनानो समुदाय से है। इसी समुदाय के व्यक्ति ने बताया- इन बच्चों को उनकी दादी ने पाल-पोसकर बड़ा है। इस दौरान उन्होंने समुदाय के लोगों के साथ जो-जो सीखा वो जंगल में उनके काम आया।
तस्वीर 1 साल के बच्चे की है जिसे सेना ने रेस्क्यू किया।
तस्वीर में कोलंबिया के राष्ट्रपति की बेटी 13 साल की लेस्ली से मिलती नजर आ रही है।
इस फोटो में राष्ट्रपति गुस्तावों बच्चों के दादा को गले लगाते नजर आ रहे हैं।
बच्चो के मिलने पर सेना का कोड-वर्ड था ‘चमत्कार’
शुक्रवार को सेना के जवानों को जंगल में जैसे ही बच्चे मिले वो मिरेकल यानी चमत्कार, चमत्कार चिल्लाने लगे। इसी शब्द को मिलिट्री ने बच्चे मिलने पर कोड की तरह इस्तेमाल करने को कहा था। इसके बाद जवानों ने उन्हें कुछ खाने-पीने की चीजें दी। फिर बच्चों को एयरलिफ्ट किया गया और वहां से सीधा अस्पताल पहुंचाया गया।
सबसे पहले राष्ट्रपति को बच्चों के मिलने की सूचना दी गई। उन्होंने कहा- ये ऐतिहासिक पल है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। ये पूरे देश के लिए जश्न मनाने का दिन है। बच्चे 40 दिन तक खुद उस जंगल में जिंदा रहे। ये पूरी दुनिया के लिए मुश्किल परिस्थिति में सर्वाइवल का सबसे बड़ा उदाहरण है।
रेस्क्यू के बाद मिलिट्री ने बच्चों के साथ ये तस्वीर जारी की थी।
1 मई को अमेजन जंगल में हुआ था प्लेन क्रैश
दरअसल 1 मई को अमेजन के जंगल में सेसना 206 प्लेन क्रैश हो गया था। इस हादसे में पायलट समेत 3 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें इन बच्चों की मां भी शामिल थी। 16 दिन बाद प्लेन का मलबा बरामद हुआ था, लेकिन तब बच्चे वहां से लापता थे। घटना की जानकारी मिलने के बाद कोलंबिया सरकार और मिलिट्री ने बच्चों के रेस्क्यू के लिए ऑपरेशन होप शुरू किया था।
सेना को जंगल में मिली थी दूध की बोतल, बच्चों के पैरों के निशान
कोलंबिया की सेना को 40 दिन बाद 9 जून को बच्चे मिले। इनकी उम्र 13, 9, 4 और 1 साल है। रेस्क्यू ऑपरेशन के वक्त जवानों को जंगल में कैंची, दूध की बोतल, हेयर-टाई और टेम्पररी शेल्टर मिला था। उन्हें दादी की आवाज में एक रिकॉर्डेड मैसेज भी सुनाया गया था, जिससे बच्चे एक जगह रुक जाएं या कोई सिग्नल दे सकें।
सर्च ऑपरेशन के वक्त जवानों को दूध की बोतल और कैंची मिली थी।
100 से ज्यादा जवान शामिल थे सर्च ऑपरेशन में
सेना के एक अधिकारी ने बताया था कि रेस्क्यू और सर्च ऑपरेशन में 100 से ज्यादा जवान शामिल थे। मिलिट्री के एयरप्लेन्स और हेलिकॉप्टर भी बच्चों की तलाश में जुटे हुए थे। स्निफर डॉग्स की भी मदद ली गई थी। सिविल एविएशन अथॉरिटी के मुताबिक, प्लेन क्रैश होने के बाद बच्चे मदद मांगने के लिए वहां से निकल गए थे। हालांकि, बच्चे इतने दिनों तक कैसे बचे रहे इसकी जानकारी नहीं मिल सकी है।