यह वेब सीरीज ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ से अलग कैसे है?
लोग मेरी ‘किल्ला’ का भी जिक्र करते हैं। उसे चिल्ड्रन फिल्म कह दिया जाता है। या फिर इस वेब सीरीज ‘स्कूल ऑफ लाइज’ में स्कूली बैक ड्रॉप है तो शायद इसे भी चिल्ड्रन फिल्म कह दिया जाए। लेकिन ऐसा नहीं है। हम ऐसी कहानियों में बिना जजमेंटल हुए चीजों को देखते हैं। तो इसलिए यहां जो हमारे मेन लीड हैं, किसी को जज नहीं करते।
बच्चों की फितरत है नई चीजों को एक्सप्लोर करते रहना। उन्हें नहीं मालूम क्या सही है क्या गलत? वैसी सूरत में कहानी के घटनाक्रम और दिलचस्प बन जाते हैं। मैं बीबीसी और डिज्नी प्लस हॉटस्टार वालों का शुक्रगुजार हूं। इसे देखने के बाद काफी डिसकशन होने वाले हैं।
क्या कहानी है सीरीज की ?
एक पुराना बोर्डिंग स्कूल है। वहां 7वीं से लेकर 12वीं तक के बच्चे पढ़ते हैं। कुछ टीचर और स्टाफ की बच्चियां वहां पढ़ती हैं। इस माहौल में एक 12 साल का बच्चा गुम हो जाता है। फिर इन्वेस्टिगेशन शुरू होती है। फिर हम स्कूल, टीचर, स्टाफ की दुनिया में जाते हैं। दरअसल बोर्डिंग स्कूल एक बहुत बड़ी दुनिया होती है। वहां छोटा सा बच्चा कैसे रहता है? तो उसको लेकर जो मेरी जिज्ञासा और कल्पनाएं रहीं हैं, वह हम लेकर आए हैं।
दरअसल बोर्डिंग स्कूल की खूबियां खामियां हैं। वह यह कि वहां के माहौल में आप रम गए तो आप कम उम्र में दुनिया को फेस करना तो सीख जाते हैं। हालांकि कई बार आप ऐसे निकल के आते हो कि कुछ भी एक्सप्रेस करना ही आप छोड़ देते हो।
सीरीज ‘तारे जमी पर’ से कैसे अलग है?
हमारी दुनिया पूरी तरह अलग है। कई तरह के लोगों के लेंस और नजरिए से ये कहानी कही गई है। इसमें एडल्ट लोगों का भी वर्ल्ड है। मैं डार्कनेस नहीं बोलूंगा, मगर जो पेचीदगी है, वह हमने डील की है। यहां एक ही समय पर आप किरदारों के अनुशासन और उनकी आजादी दोनों को एक्सप्लेार करते हो।
कास्टिग के बारे में बताइए कौन हैं?
यहां तो निम्रत कौर हैं। आमिर बशीर हैं। गीतिका हैं। हमारे बैचमेट नितिन गोयल हैं। सुनील कुलकर्णी हैं। स्कैम वाले हेमंत खेर है। बाकी ढेर सारे बाल कलाकार हैं। इसमें आपको 10 साल से लेकर 18 साल तक के कलाकार दिखेंगे।