नई दिल्ली में पाकिस्तान हाईकमीशन (PHC) का स्कूल बंद कर दिया गया है। इस स्कूल में हाईकमीशन के स्टाफ और डिप्लोमैट्स के बच्चे पढ़ते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस स्कूल के स्टाफ को तीन साल से सैलरी ही नहीं मिली थी। इसकी वजह मुल्क में जारी इकोनॉमिक क्राइसिस है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने स्कूल खुला रखने के लिए कई बार सरकार से गुजारिश की। हर बार नाकामी हाथ लगी।
दूसरी तरफ, पाकिस्तान की फॉरेन मिनिस्ट्री ने सफाई दी। कहा- वहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की तादाद कम हो गई थी। इसलिए स्कूल बंद कर दिया गया।
पाकिस्तान एम्बेसी ने स्कूल बंद करने के बारे में सफाई नहीं दी। हालांकि, इस्लामाबाद में मौजूद फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा- वहां स्टाफ काफी कम हो गया था।
पहले जानिए, माजरा क्या है
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी और उनकी असिस्टेंट हिना रब्बानी खार ने स्कूल बंद किए जाने के मसले पर चुप्पी साध रखी है। (फाइल)
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की सफाई
इंडियन मीडिया में जैसे ही यह मामला रिपोर्ट हुआ तो पाकिस्तान की फॉरेन मिनिस्ट्री एक्टिव हो गई। मंगलवार को इस बारे में सफाई दी गई। कहा गया- ये सही है कि नई दिल्ली में हाईकमीशन के स्कूल को बंद किया गया है। इसकी वजह यह है कि वहां पढ़ने वाले बच्चों की तादाद काफी कम हो गई थी। वैसे भी यहां सिर्फ हमारे स्टाफ के बच्चे पढ़ते थे।
फॉरेन ऑफिस की स्पोक्सपर्सन मुमताज जाहरा बलोच ने पाकिस्तान के टीवी चैनल ‘समा न्यूज’ से कहा- नई दिल्ली में हमारे हाईकमीशन के स्टाफ और उनके बच्चों की जरूरत पूरी की जाएगी। हमने जून 2020 में वहां का स्टाफ कम किया था।
इमरान खान ने सत्ता से बेदखल किए जाने के पहले IMF की मर्जी के खिलाफ फ्यूल सस्ता किया था। अब तक IMF ने 1.2 अरब डॉलर लोन की किश्त जारी नहीं की। (फाइल)
स्टाफ ने खुद खोल दी थी कलई
पिछले साल पहले अमेरिका और इसके बाद सर्बिया में मौजूद पाकिस्तान एम्बेसी के स्टाफ ने अपनी सरकार के झूठ और इकोनॉमिक क्राइसिस की कलई खोल दी थी। तब इमरान खान प्रधानमंत्री थे। अब इन दो मामलों को अलग-अलग समझिए…
शाहबाज शरीफ क्या कर रहे हैं
फरवरी में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा- मैं और कैबिनेट के बाकी मिनिस्टर्स सैलरी नहीं लेंगे। तमाम केंद्रीय मंत्री बिजली, पानी, गैस और टेलिफोन के बिल जेब से भरेंगे। मंत्रियों के पास मौजूद लग्जरी गाड़ियां नीलाम की जाएंगी। सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट और ब्यूरोक्रेसी से खर्च में कटौती की अपील करते हैं।
बहरहाल, हैरानी वाली बात ये थी कि मुल्क बनने के बाद से अब तक (76 साल) के दौर में करीब आधा वक्त देश चला चुकी ताकतवर फौज के बजट पर शरीफ एक लफ्ज भी नहीं बोले। वो भी तब जबकि उसके पास अरबों रुपए का बजट है।
फॉरेन मिनिस्ट्री को 15% खर्च घटाने का टारगेट
विदेश मंत्रालय से खर्च में 15% की कटौती करने को कहा गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ देशों में मौजूद एम्बेसीज को बंद किया जा सकता है। इसके अलावा स्टाफ कम करने और फिजूलखर्ची को सख्ती से रोकने के भी आदेश हैं।
मुल्क तो दिवालिया हो चुका है…