आज गंगा दशहरा है। इस पर्व पर तिथि, नक्षत्र, करण और सूर्य-चंद्रमा की स्थिति से शुभ योग बन रहा है। साथ ही पूरे दिन सिद्धि और रवियोग भी रहेंगे। जिससे स्नान-दान और गंगा पूजन का ये पर्व और भी खास हो गया है।
10 योग से बना दशहरा
ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार जब गंगा का अवतरण हुआ तब ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर बुधवार और हस्त नक्षत्र के साथ ही व्यतिपात योग, गर करण आनंद योग, चंद्रमा कन्या राशि और सूर्य वृष राशि में था।
ऐसे संयोग में गंगा पूजन और स्नान-दान से अक्षय पुण्य मिलता है। हालांकि ये संयोग बहुत ही दुर्लभ होता है। इस बार ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, हस्त नक्षत्र, गर करण, कन्या राशि में चंद्र और सूर्य वृष राशि रहेगा।
गंगा दशहरे पर देवी गंगा का पूजन किया जाता है और इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि को मां गंगा अवतरित हुई थीं, इसलिए गंगा दशहरा मनाते हैं।
ये भी कहा जाता है कि गंगा दशहरे के दिन देवी गंगा की पूजा से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इस दिन पूजा करते वक्त ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः मंत्र बोलें। साथ ही भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने का भी विधान है।
गंगा दशहरे का दिन सिद्ध मुहूर्त के समान शुभ फलकारी माना जाता है। इस दिन नई शुरुआत और खरीदारी से लंबे समय तक फायदा मिलता है। साथ ही ग्रंथों के मुताबिक इस दिन पानी, पंखा, खरबूजा, मटका और आम दान करने का भी विधान है।
मान्यता: 10 तरह के पाप खत्म होते हैं
डॉ. मिश्र ने बताया कि मान्यता है कि गंगा दशहरे पर गंगा नदी या गंगाजल से स्नान करने से 10 तरह के पाप खत्म होते हैं। इनमें 3 तरह के शारीरिक, वाणी से होने वाले 4 तक के पाप और 3 तरह के मानसिक पाप शामिल हैं, इसलिए हिंदू धर्म में कहा गया है कि जीवन में एक बार गंगा स्नान जरूर करना चाहिए। गंगा दशहरा के दिन दान करने का भी विशेष महत्व है। इस दिन गंगाजल का दान करने से महापुण्य मिलता है।